हरदा। जिला मुख्यालय की नई और पुरानी पुलिस लाइन में बने पुलिसकर्मियों के सरकारी आवासों में चोरों ने धावा बोला। अजाक्स डीएसपी सहित एक दर्जन पुलिसकर्मियों के घर चोरी की घटना हुई। चोरों ने इस वारदात को 25-26 जनवरी की दरमियानी रात को अंजाम दिया। तब अधिकांश पुलिसकर्मी ड्यूटी पर तैनात थे और उनके सरकारी आवास सूने थे। इस वारदात से पुलिस की लोगों के बीच काफी बदनामी हुई है। जब चोरों को पुलिस का ही खौफ नहीं है तो आमजन की सुरक्षा स्थिति का आसानी से पता चल सकता है। इस वारदात ने बता दिया कि जिले में पुलिस की कार्यप्रणाली की कितनी बदतर स्थिति है। पुलिस ने शुरुआत में इस घटना को दबाने का पूरा प्रयास किया, लेकिन मीडिया में खबर लीक होने के बाद पुलिस की काफी किरकिरी हो रही है।
पुरानी व नई पुलिस लाइन में चोरी का आंकड़ा लाखों में हो सकता है। इंदौर रोड स्थित नई और पुरानी पुलिस लाइन में 26 जनवरी की रात बारह पुलिसकर्मियों के घर चोरी हुई। इसके अलावा अजाक्स थाने के डीएसपी एसएल सिसोदिया के घर भी चोरी हुई। एक ही मकान में करीब 5 से 6 लाख रुपए के जेवरात और नकदी रुपए चोरी हुए हैं। पुरानी पुलिस लाइन में डीएसपी एसएल सिसोदिया, आरक्षक जितेंद्र राजपूत, ड्राइवर ओम राव एवं नई पुलिस लाइन मे क्षिप्रा ब्लाक में रवीश कामले, सपना चौहान, यशदीप पटेल, राहुल ठाकुर, वेतवा ब्लाक में उमेश पंवार, सिंध ब्लाक में सजन ठाकुर एवं ताप्ती ब्लाक में दुर्गेश पटेल, सुरेश बघेल, मयंक चौहान के घरों के ताले टूटे हैं। हालांकि पुलिस टीम अज्ञात चोरों की तलाश में तत्परता से जुट गई है। एफएसएल की टीम घटनास्थल पर पहुंचकर बारीकी से जांच कर रही है।
-आठ घरों के ताले टूटे हैं। इनमें से करीब चार से पांच घरों मे चोरी हुई है। कुछ सिविल लाइन थाने में और कुछ सिटी कोतवाली में मामले दर्ज किए जा रहे हैं। कुछ घरों में बड़ी चोरी हुई है। वहीं कुछ घरों में से जैकेट सहित अलग-अलग सामान चोरी हुआ है। इस वारदात में किसी बड़ी व बाहरी गैंग का हाथ है।
- मनीष कुमार अग्रवाल, एसपी, हरदा
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थाना से आदतन अपराधी हछकड़ी समेत फरार
छतरपुर। सिविल लाइन थाना से आदतन अपराधी हछकड़ी समेत फरार हो गया। चोरी के मामलों में पूछताछ के लिए लाए गए आरोपी के खिलाफ अभिरक्षा से भागने का केस दर्ज किया गया है। वहीं, लापरवाही बरतने पर पुलिस के राजपत्रित अधिकारी से जांच कराई जा रही है।
सिविल लाइन थाना इलाके में कुछ दिनों से चोरी की घटनाए बढ़ गई है। इन चोरियों की पतासाजी करते समय पुलिस को आदतन अपराधी की भूमिका संदिग्ध नजर आई। पुलिस ने गौरया गांव के निवासी आदतन अपराधी राकेश अहिरवार को हिरासत में ले लिया। पुलिस रात भर आरोपी से पूछताछ करती रही। लेकिन सुबह पौने छह बजे आरोपी मौका देखकर हथकड़ी समेत थाना से फरार हो गया। आरोपी की भागे जाने की जानकारी लगने पर पुलिस टीम ने आसपास तलाश की, लेकिन आरोपी नहीं मिल सका। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विक्रम सिंह ने बताया कि सिविल लाइन पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पुलिस अभिरक्षा से फरार होने का केस दर्ज कर उसकी तलाश शुरु कर दी है। वहीं, लापरवाही बरतने के मामले में दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई के लिए राजपत्रित अधिकारी को जांच सौंपी गई है।
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पति, पत्नी और 2 बच्चों की एक साथ उठी अर्थी
विदिशा। जहर खाकर सुसाइड करने वाले भाजपा नेता, उनकी पत्नी और दोनों बच्चों का एक साथ में अंतिम संस्कार किया गया। सुबह 9.45 बजे चारों शव पोस्टमॉर्टम के बाद घर लाया गया। अंतिम विदाई के दौरान परिवार के अलावा पूरा मोहल्ला उमड़ पड़ा। भीड़ इतनी कि पूरी गली पट गई। भाजपा नेता संजीव मिश्रा और उनकी पत्नी नीलम को एक साथ, जबकि बेटों अनमोल और सार्थक की 2 फीट दूर चिताएं सजाई गईं। संजीव के छोटे भाई ने बड़े भाई-भाभी को मुखाग्नि दी। उनके दोनों बेटों को मुखाग्नि भाजपा नेता के बड़े भाई के बेटे ने दी। ये मंजर जिसने भी देखा, उसकी आंखें भर आईं।
विदिशा में भाजपा के दुर्गानगर के मंडल उपाध्यक्ष और पूर्व पार्षद संजीव मिश्रा अपने दोनों बेटों की लाइलाज बीमारी मस्कुलर डिस्ट्राॅफी डीएमडी को लेकर परेशान थे। गुरुवार शाम करीब 6 बजे वे अपने घर में ही थे। उन्होंने परिवार सहित जहर खा लिया। गंभीर हालत में दोनों बच्चों और पति-पत्नी को जिला अस्पताल लाया गया। जहां पहले दोनों बेटों और बाद में संजीव मिश्रा, फिर उनकी पत्नी ने दम तोड़ दिया। शुक्रवार को चारों का अंतिम संस्कार किया गया।
पोस्ट देखने के बाद उनके साथी लोगों को पता चला। शाम करीब 6:45 बजे उनके एक परिचित घर पहुंचे तो बाहर से दरवाजा बंद था। घर का दरवाजा तोड़कर अंदर देखा तो चारों अचेत अवस्था में पड़े थे। चारों को आनन-फानन में जिला चिकित्सालय लाया गया। जहां संजीव मिश्रा (45), पत्नी नीलम मिश्रा (42), बड़ा बेटा अनमोल (13) और छोटा बेटा सार्थक (7) की मौत हो गई। इधर घटना की जानकारी मिलते ही बीजेपी नेता जिला अस्पताल पहुंचे। साथ ही जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी भी अस्पताल पहुंचे।
इस मामले में कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने कहा कि संजीव मिश्रा के बच्चों को मस्कुलर डिस्ट्राफी नाम की जेनेटिक बीमारी थी। जिसका कोई इलाज नहीं है। जैसा उन्होंने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं बच्चों को नहीं बचा पा रहा हूं, मैं अब नहीं रहना चाहता। उन्होंने दरवाजा बंद करके सल्फास खा लिया। फेसबुक में डाली पोस्ट देखकर लोगों ने टीआई को जानकारी दी। जिसके बाद पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर दरवाजा तुड़वाया। सभी को अस्पताल लेकर आए, इलाज करवाया, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि चारों में से कोई भी नहीं बचा।