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तेलंगाना BJP अध्यक्ष गिरफ्तार, हंगामा करने पर कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज

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नई दिल्ली। तेलंगाना पुलिस ने आधी रात को चले राजनीतिक ड्रामे के बीच प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बांदी संजय कुमार को करीमनगर शहर से गिरफ्तार कर लिया। पहले यह स्पष्ट नहीं था कि भाजपा नेता को कहां ले जाया जा रहा है। बाद में उन्हें बोम्मालारामरम पुलिस थाने में स्थानांतरित किया गया।
तेलंगाना भाजपा के अध्यक्ष बंदी संजय कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने आधी रात को बंदी संजय को करीमनगर में उनके आवास से हिरासत में लिया था। इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पुलिस का विरोध किया था। बड़ी संख्या में पहुंची पुलिस ने बंदी संजय को गाड़ी में बैठाकर ले गई। बीजेपी ने बंदी की हिरासत का विरोध करते हुए पूरे राज्य में प्रदर्शन करने की धमकी की है। बता दे कि बीजेपी चीफ को ऐसे समय में हिरासत में लिया गया है जब तीन दिन बाद 8 अप्रैल को प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के दौरे पर पहुंचने वाले हैं।
पुलिस को भाजपा कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज करना पड़ा। दरअसल, पुलिस बंदी संजय को मेडिकल जांच के लिए पलकुर्थी के एक अस्पताल लेकर जा रही थी। इस दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस को रोकने की कोशिश की और हंगाम करने लगे। मौजूदा माहौल को देखे हुए कार्यकर्ताओं पर काबू पाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
भाजपा के राज्य महासचिव प्रेमेंद्र रेड्डी ने कहा कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय को पुलिस ने आधी रात को हिरासत में लिया। उन्हें करीमनगर स्थित उनके आवास से अवैध रूप से पकड़कर ले गए। रेड्डी ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें सुबह कोई कानूनी प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए थी, बंदी संजय कहां जाएंगे। यह तेलंगाना में पीएम मोदी के कार्यक्रम में बाधा डालने के अलावा और कुछ नहीं है।
तेलंगाना बीजेपी चीफ बंदी संजय कुमार को हिरासत में लिए जाने के समय वहां पर तनाव की स्थिति बन गई, नेता के समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं ने पुलिस को रोकने की कोशिश की। पुलिस बंदी संजय को उठाकर ले गई और उन्हें वैन में बिठाया। बताया जा रहा है कि बीजेपी नेता को नालगौंडा जिले के बोम्मला रामाराम पुलिस स्टेशन ले जाया गया है। अभी तक हिरासत के पीछे की वजह सामने नहीं आई है।
पार्टी की राज्य इकाई के महासचिव प्रमेंदर रेड्डी ने कहा कि एक सांसद के खिलाफ आधी रात को इस कार्रवाई की क्या जरूरत थी। अपराध क्या है और क्या केस है। वे हमें कुछ भी नहीं बता रहे हैं। ये केवल इसलिए है कि वह पेपर लीक मामले पर लगातार राज्य सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। बंदी संजय को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ राज्य व्यापी प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। उन्होंने कि हम पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ राज्य भर में प्रदर्शन करेंगे।
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हनुमान जन्मोत्सव पर केंद्रीय गृह मंत्रालय की एडवाइजरी, ‘हिंसा फैलाने वालों पर सख्ती बरतें’
रामनवमी पर भड़की हिंसा के बाद हनुमान जन्मोत्सव पर भी ऐसा न हो, इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों ने एडवाइजरी जारी कर दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि हनुमान जन्मोत्सव पर हिंसा न फैले, इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाएं।
एडवाइजरी में आगे कहा गया है कि धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने वालों पर नजर रखी जाए और सख्ती बरती जाए। सरकारों को कानून और व्यवस्था बनाए रखने, त्योहार का शांतिपूर्ण पालन करने और समाज में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्ती सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।
इससे पहले, पश्चिम बंगाल में रामनवमी पर भड़की हिंसा के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने हनुमान जयंती को लेकर जरूरी निर्देश जारी किए हैं। हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को कहा है कि हिंसा रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं। जरूरी हो तो केंद्रीय सुरक्षा बलों की मदद ली जाए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन इलाकों में धारा 144 लागू है, वहां हनुमान जयंती का कोई जुलूस नहीं निकाला जाएगा। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार ने हाल ही में शिबपुर और रिशरा में भड़की हिंसा पर एक रिपोर्ट सौंपी। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि आगामी हनुमान जयंती के मद्देनजर राज्य में अमन-चैन सुनिश्चित करने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं।
रामनवमी के जुलूस के दौरान बंगाल के हावड़ा और हुगली जिलों में हिंसा की घटनाओं के बाद अदालत ने पुलिस से रूट मार्च निकालने को कहा है। साथ ही नेताओं को हनुमान जयंती पर कोई भी बयान देने से परहेज किया गया है।
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ED-CBI के खिलाफ दायर विपक्षी दलों की याचिका खारिज
नई दिल्ली । देश की सर्वोच्च अदालत से बुधवार को देश के विपक्षी दलों को एक बड़ा झटका दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सहित 14 विपक्षी दलों की एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इन दलों ने केंद्रीय एजेंसी सीबीआई-ईडी के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। जिसपर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि नेताओं के लिए अलग नियम नहीं बना सकते। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला विपक्षी दलों से लिए बड़ा झटका है। क्योंंकि बीते कुछ दिनों अलग-अलग राज्यों में सीबीआई और ईडी द्वारा जारी करप्शन के अलग-अलग मामलों की जांच पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए थे। विपक्षी दलों का कहना था कि केंद्र सरकार जानबूझकर विपक्षी दलों को परेशान कर रही है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया।
विपक्षी दलों की ओर से दायर याचिका में जांच एजेंसियों को लेकर दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार विपक्षी दलों को परेशान करने के लिए इन एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई के योग्य नहीं माना। ऐसे में विपक्षी दलों को अपनी याचिका वापस लेनी पड़ी।
इससे पहले 5 अप्रैल को विपक्षी दलों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि 2013-14 से 2021-22 तक सीबीआई (CBI) और ईडी (ED) के मामलों में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें से ज्यादातर जांच विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ हो रहे हैं।