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मणिपुर में सीरिया जैसे हालात... रिटायर्ड आर्मी चीफ ने PM मोदी और गृहमंत्री से तुरंत दखल की लगाई गुहार

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नई दिल्ली। मणिपुर में 3 मई को शुरू हुई हिंसा लगभग डेढ़ महीने बाद भी थमने का नाम नहीं ले रही है। केंद्र और राज्य सरकार की शांति की अपील के बावजूद मणिपुर में मैतेई और कुकी जनजाति के बीच जातीय हिंसा जारी है। सरकार और पुलिस प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे हर प्रयास विफल हो रहे हैं। राज्य की बिरेन सरकार की बात मानने को कोई भी पक्ष तैयार नहीं है। इन्हीं हालातों के बीच पूर्व आर्मी चीफ जनरल (रिटायर्ड) वेद प्रकाश मलिक ने मणिपुर की स्थिति पर तत्काल ध्यान देने की अपील देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से की है।
मणिपुर के गंभीर हालात पर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एल निशिकांत सिंह ने ट्वीट करके राज्य के हालात सीरिया-लेबनान जैसे बताए थे। इसी को लेकर वीपी मलिक ने ऐसा बयान दिया है। लेफ्टिनेंट जनरल ने लिखा- मैं मणिपुर का एक साधारण भारतीय हूं, जो रिटायर हो कर जीवन जी रहा है।लेकिन राज्य अब स्टेटलेस है।
जिंदगी और संपत्ति को कोई भी, कभी भी समाप्त कर सकता है। किसी का कोई कंट्रोल नहीं है, जैसा हालात लीबिया, लेबनान, नाइजीरिया, सीरिया में होता है ठीक वैसा ही हालात मणिपुर में हो गया है। मौजूदा स्थिति को देखकर ऐसा लगता है कि मणिपुर को अपनी ही आग में जलने के लिए छोड़ दिया गया है। क्या कोई सुन रहा है?
इस ट्विट पर चिंता जाहिर करते हुए पूर्व चीफ वीपी मलिक ने कहा कि एक सैन्य अधिकारी का ऐसा कहना बहुत दुख की बात है। राज्य के हालात पर सरकार के बड़े लेवल के अधिकारियों को तुरंत ध्यान देना चाहिए। पीएम मोदी , गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को तुरंत इस मामले में दखल देना चाहिए ताकि स्थिति संभले। अब जल्द से जल्द यहां कठोर कार्रवाई की जरुरत है।
बता दें कि, मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर चल रही जातीय हिंसा में अब तक 105 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी और करीब 40 हजार लोगों को विस्थापित किया है। इसी बीच इंटेलिजेंस ने दावा किया है कि बड़ी संख्या में उपद्रवी पुलिस की वर्दी में राज्य में दाखिल हो सकते हैं। इन लोगों ने एक दर्जी को वर्दी सिलने का ऑर्डर दिया है।
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सेना ने सिक्किम में फंसे 3500 टूरिस्ट को बचाया:लैंडस्लाइड से सड़क बह गई
गंगटोक। उत्तरी सिक्किम के चुंगथांग में शुक्रवार को लैंडस्लाइड (भूस्खलन) और बारिश के कारण सड़क बह गई। इससे वहां फंसे करीब 3,500 टूरिस्ट्स को भारतीय सेना ने बचा लिया है। इनमें कुछ कॉलेज स्टूडे्टस भी शामिल हैं। शुक्रवार को लाचेन, लाचुंग और चुंगथांग घाटियों में भारी बारिश हुई।
त्रिशक्ति कोर, भारतीय सेना और सीमा सड़क संगठन (BRO) के जवानों ने कार्रवाई की और भारी बारिश और खराब मौसम में टूरिस्ट्स को बचाने के लिए फ्लैश फ्लड वाली जगह पर एक अस्थायी क्रॉसिंग बनाने के लिए रात भर काम किया। इलाके में टेंट लगाए जा रहे हैं और मेडिकल मदद के लिए पोस्ट बनाई गई हैं। टूरिस्ट्स को उनकी आगे की यात्रा के लिए रास्ता साफ होने तक हर संभव मदद दी जाएगी।
सेना ने टूरिस्ट्स को नदी पार करने में मदद की। उन्हें गर्म भोजन, तम्बू और मेडिकल मदद दी गई। भारतीय सेना, हिमालय के अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सीमा की रखवाली करते हुए, पर्यटकों और स्थानीय आबादी की मदद करने में सक्रिय रहती है।
सिंगटम, दिक्चू, रंगरान, मंगन और चुंगथांग को जोड़ने वाली सड़क भूस्खलन बुरी तरह प्रभावित हुई। राकडुंग-तिनटेक मार्ग के जरिए दिक्चू से गंगटोक मार्ग केवल हल्के वाहनों के लिए खुला है। फंसे टूरिस्ट्स के बारे में जानकारी के लिए स्थानीय प्रशासन ने एक हेल्प लाइन नंबर 8509822997 भी जारी किया है।