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रावण का मंदिर बनवाने वाले की बेटी को भाजपा ने दिया टिकट

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छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए कई राजनीतिक दलों ने प्रदेश की अलग अलग विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित करने शुरु कर दिए हैं। सिर्फ कांग्रेस को छोड़ दें तो अबतक प्रदेश में सक्रीय सभी मुख्य राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। अबतक घोषित हुए उम्मीदवारों में कई नाम तो ऐसे हैं, जिनके नामों की घोषणा के बाद से क्षेत्र में राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गरमा गया है। इन्हीं में से एक चर्चा छिंडवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट पर भी इन दिनों काफी गर्म है और ये उस समय से बढ़ी है, जब से भाजपा ने इस सीट से उम्मीदवार के तौर पर मोनिका बट्टी को मैदान में उतारा है।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर चर्चाओं का बाजार गर्माता जा रहा है। बीजेपी ने गोडवाना पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुई मोनिका बट्टी को यहां से अपने उम्मीदवार के तौर पर उतारा है। बताया जा रहा है कि मोनिका बट्टी पूर्व विधायक और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे मनमोहन शाह बट्टी की बेटी हैं। हालांकि मनमोहन शाह बट्टी का कुछ साल पहले निधन हो चुका है। इसके बाद गोंडवाना पार्टी की कमान मोनिका के कांधों पर सौंपी गई थी। लेकिन, अचानक ही पछले दिनों मोनिका ने पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर ली और इसके एक सप्ताह बाद ही भाजपा ने उन्हें उसी सीट से उम्मीदवार के तौर पर उतार दिया।
मनमोहन शाह बट्टी ने अपने गांव देवरी में रावण का एक मंदिर बनवाया था। इस मंदिर में बकायदा रावण की दस सिर वाली मूर्ति भी स्थापित करवाई गई थी। इस मंदिर को मनमोहन शाह बट्टी ने विधायक रहते हुए साल 2003 से 2008 के बीच बनवाया था।मनमोहन शाह बट्टी को रावण के उपासक भी माना जाता था। यही कारण था कि उन्होंने अपने गृह गांव में रावण के मंदिर का निर्माण कराया था।
यही कारण है कि, क्षेत्र में बीजेपी नेता मनमोहन शाह बट्टी को सनातन विरोधी बताकर उनकी बेटी की उम्मीदवारी का विरोध किया जा रहा है। मनमोहन शाह बट्टी बीते विधानसभा चुनाव में गोंडवाना पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर दूसरे स्थान पर थे और बीजेपी तीसरे स्थान पर थी। साल 2020 में मनमोहन शाह बट्टी के निधन के बाद से उनकी बेटी राजनीति में सक्रिय हुईं और इस बार बीजेपी की तरफ से इसी सीट से चुनावी मैदान में उतर गई हैं।
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भोपाल में आलमी तब्लीगी इज्तिमा 8 दिसंबर से, पाकिस्तानी जमातों पर पाबंदी
भोपाल। राजधानी भोपाल के ईंटखेड़ी में 8 दिसंबर से आलमी तब्लीगी इज्तिमा शुरू होगा। इनमें देश-विदेश की जमातें शामिल होंगी। 8 से 11 दिसंबर के बीच करीब 10 लाख मुस्लिम जुटेंगे। यह दुनिया के चार बड़े मजहबी समागम में एक है। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के चलते इस बार इज्तिमा एक महीने बाद लगेगा। इसमें पाकिस्तानी जमातों पर पाबंदी रहेगी। इज्तिमा में मुस्लिम धर्मगुरु तकरीरें (प्रवचन) करेंगे।
दिल्ली मरकज से इज्तिमा की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। इज्तिमा का आगाज 8 दिसंबर को जुमा की नमाज के साथ होगा। चार दिन चलने वाले इस कार्यक्रम का समापन 11 दिसंबर को दुआ-ए-खास के साथ होगा। आलमी तब्लीगी इज्तिमा के प्रवक्ता अतीक उल इस्लाम ने बताया कि इस चार दिवसीय धार्मिक समागम को संबोधित करने के लिए देश के बड़े उलेमा तशरीफ लाएंगे। आयोजन में देश-विदेश की सैंकड़ों जमातें शामिल होंगी। उन्होंने बताया, लगातार बढ़ रही जमातियों की तादाद के लिहाज से अंदाज लगाया जा रहा है कि इस साल इज्तिमा में 10 लाख से ज्यादा लोग शिरकत करेंगे। प्रवक्ता इस्लाम ने बताया कि आयोजन की तैयारियों का दौर जल्दी ही शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए ईंटखेडी घासीपुरा स्थित इज्तिमागाह की सफाई, पाइप लाइन आदि के कामों को पहले किया जाएगा। इसके बाद सड़क, बिजली, पानी और पांडाल आदि लगाने के काम शुरू किए जाएंगे। विभिन्न तैयारियों के लिए अलग-अलग सरकारी विभागों को चिट्ठी भेजी जा रही है।
भोपाल में होने वाला आलमी तब्लीगी इज्तिमा दुनिया के सबसे बड़े चार धार्मिक समागम में शामिल किया जाता है। सबसे बड़ा मजमा हज के दौरान मक्का और मदीना में होता है। जहां करीब 40 लाख लोग जमा होते हैं, जबकि बांग्लादेश और पाकिस्तान में होने वाले आलमी तब्लीगी इज्तिमा में शामिल होने वाली जमातों की तादाद के लिहाज से बड़े आयोजन माने जाते हैं। भोपाल में आलमी इज्तिमा का यह 77वां साल होगा।
आलमी तब्लीगी इज्तिमा में दुनियाभर की जमातें शामिल होती हैं। इनमें इंडोनेशिया, मलेशिया, बांग्लादेश, साउथ अफ्रीका, जार्डन, अफगानिस्तान, कनाडा, अमेरिका आदि देश शामिल होते हैं, लेकिन पाकिस्तान से बिगड़े ताल्लुकात के चलते पिछले कई सालों से यहां की जमातों पर पाबंदी लगा दी गई है। अतीक उल इस्लाम ने बताया कि यह पाबंदी इस साल भी जारी रहेगी।
इज्तिमा अरबी भाषा का शब्द है। इसका मतलब कई लोगों का एक जगह पर इकट्ठा होना है। भोपाल में इज्तिमा की शुरुआत 1947 में मस्जिद शकूर खां में महज 12 या 14 लोगों के साथ की गई थी। इसके 2 साल बाद इसे ताजुल मस्जिद में किया जाने लगा। जब इसमें आने वाले लोगों की संख्या लाखों में होने लगी और मस्जिद कैम्पस छोटा लगने लगा। फिर इसे साल 2015 में बैरसिया रोड स्थित ईंटखेड़ी के पास घासीपुरा में शिफ्ट कर दिया गया। तब से यह यहीं पर लगाया जा रहा है।
इज्तिमे में पिछले साल 10 लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे। इनके खाने-पीने और रहने की बड़े स्तर पर तैयारियां की गई थीं। इस बार भी 10 लाख लोगों के हिसाब से ही तैयारियां भी की जाएंगी।
कोरोना के चलते वर्ष 2020 और 2021 में आलमी तब्लीगी इज्तिमे का आयोजन नहीं हो सका था।
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80 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी करणी सेना, मालवा सहित अन्य जिलों में भी उतारेगी उम्मीदवार
रतलाम। प्रदेश की राजधानी में 8 जनवरी को करणी सेना परिवार के महा आंदोलन की 18 सूत्रीय मांगे नहीं माने जाने पर करणी सेना परिवार 80 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने जा रही है। संगठन के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आंदोलन की राजनीति से सत्ता परिवर्तन की लड़ाई लड़ने की घोषणा की है ।
जीवन सिंह शेरपुर ने कहा कि जो पार्टी अपनी घोषणा पत्र में हमारी 18 सूत्री मांगों को शामिल करेगी उसे समर्थन देकर हम चुनाव लड़ेंगे । करणी सेना परिवार मालवा के रतलाम,मंदसौर, नीमच ,उज्जैन,धार जिलों सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी 80 उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी कर चुकी है।
रतलाम के जावरा में आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में जीवन सिंह शेरपुर ने कहा कि भोपाल जंबूरी मैदान में 8 जनवरी के महा आंदोलन के दौरान भाजपा सरकार के मंत्री अरविंद भदौरिया ने लिखित पत्र देकर हमारी 18 सूत्रीय मांगे मानी थी लेकिन हमारे साथ भाजपा सरकार ने वादाखिलाफी की है। इसके बाद अब सर्व समाज से जुड़ी इन 18 सूत्रीय मांगो को पूरा करवाने के लिए करणी सेना परिवार 80 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार चयन कर चुकी है।
इसके साथ ही जीवन सिंह शेरपुर ने कहा कि हम किसी के पास पार्टी टिकट मांगने नहीं गए हैं। भाजपा के पास अब भी हमारी 18 सूत्रीय मांगों को लागू करने का समय है। वही, काँग्रेस एवं आम आदमी पार्टी के नेतृत्व द्वारा भी करणी सेना परिवार से संपर्क किया गया है। इस पर हमारा सभी पार्टियों के लिए यही कहना है कि जो पार्टी 18 सूत्रीय मांगों को अपने घोषणा पत्र में शामिल करेगी हम उनके साथ चुनाव लड़ेंगे और समर्थन देंगे।