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आप किसी को ऐसे जेल में नहीं रख सकते?... मनीष सिसोदिया की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा ED से सवाल

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नई दिल्ली। दिल्ली शराब घोटाला केस में जेल में बंद आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय से कड़े सवाल पूछे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से सवाल पूछा कि आखिर मनीष सिसोदिया के खिलाफ आरोपों पर अब तक बहस क्यों नहीं शुरू हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि आप किसी को इस तरह जेल में नहीं रख सकते हैं। वहीं, इस मामले में ED की ओर से पेश ASG ने सुप्रीम कोर्ट में बयान दिया कि का ईडी आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाने पर विचार कर रही है।
दरअसल, मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ चार्जेज पर अब तक बहस शुरू क्यों नहीं हुई. किसी को इस तरह आप जेल में नहीं रख सकते? सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कल यानी मंगलवार को इस बात का जवाब देने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट में मनीष सिसोदिया की जमानत पर कल भी सुनवाई जारी रहेगी।
वहीं, ईडी की तरफ से एएसजी राजू ने सुप्रीम कोर्ट को मनीष सिसौदिया और विजय नायर के बीच निकटता का हवाला दिया. ई़डी ने आरोप लगाया कि नई आबकारी नीति में प्रस्तावित बदलाव शराब बाजार में सुधार का एक साधन नहीं था, बल्कि कुछ निजी कंपनियों के लिए अत्यधिक मुनाफा सुनिश्चित करने का एक तरीका था. ईडी ने कहा कि लाभ मार्जिन को 5% से बढ़ाकर 12% करने का भी कोई औचित्य नहीं है. कैबिनट की बैठक के मिनट ऑफ मीटिंग में इसका कोई ज़िक्र नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी ने कहा कि 12% मार्जिन के कारण खुदरा विक्रेता की लागत 12% बढ़ गई, जो उपभोक्ता से वसूल की जाने वाली राशि में बदल गई. ईडी ने आगे कहा कि पॉलिसी अवधि के लिए इंडोस्पिरिट का 12% लाभ मार्जिन 192 करोड़ रुपये था और पूरी कोशिश की गई कि इंडोस्पिरिट को ही यह मिले. जस्टिस खन्ना ने कहा कि 12% और 5% के बीच के अंतर को आपके द्वारा अपराध की आय के रूप में दर्शाया गया है?
बता दें कि उपमुख्यमंत्री के तौर पर मनीष सिसोदिया के पास कई विभागों का जिम्मा था, जिसमें आबकारी विभाग भी शामिल था. सीबीआई ने 26 फरवरी को सिसोदिया को ‘घोटाले’ में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था. तब से वह हिरासत में हैं. ईडी ने तिहाड़ जेल में उनसे पूछताछ के बाद नौ मार्च को सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े धन शोधन के मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया. मनीष सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया था।
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महादेव ऐप का संचालक सट्टा किंग गिरफ्तार, 90 खातों में 2000 करोड़ का लेन देन
प्रतापगढ़ । क्रिकेट मैचों पर ऑनलाइन सट्टा कारोबार करने वाला महादेव एप का संचालक मृगांक मिश्रा पकड़ा गया. राजस्थान की प्रतापगढ़ पुलिस ने उसे मुंबई एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया. वो दुबई में बैठकर भारत में सट्टा खिला रहा था और अब तक करोड़ों रुपए का खेल कर चुका है. मृगांक मध्य प्रदेश के रतलाम जिले का रहने वाला है. पुलिस ने उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया था।
मृगांक जैसे ही दुबई से मुंबई एयरपोर्ट पहुंचा पुलिस ने उसे धर दबोचा. प्रतापगढ़ पुलिस ने मृगांक को 21 अक्टूबर तक रिमांड पर लिया है. सट्टा एप महादेव ऑनलाइन का खुलासा होते ही पुलिस को मृगांक मिश्रा की तलाश थी. हाल ही में इस ऐप से जुड़े सट्टा कारोबार में कई नामी गिरामी लोगों के नाम आए हैं. उसमें कुछ फिल्मी हस्तियां भी हैं।
प्रतापगढ़ एसपी अमित कुमार बुडानिया ने बताया कि रतलाम मध्य प्रदेश का रहने वाला मृगांक मिश्रा और उसके साथियों ने सट्टे की रकम को ठिकाने लगाने के लिए ठगी का शातिराना तरीका अपनाया. इन सटोरियों ने प्रतापगढ़ में भोले भाले लोगों को सरकारी योजनाओं में पैसे कमाने का लालच देकर बैंक खाते खुलवाए. फिर करोड़ों रुपए के सट्टे की रकम इन बैंक खातों में जमा करवाई गई. ये रकम 2000 करोड़ रुपए तक की है।
एसपी अमित कुमार ने बताया कि बैंक प्रबंधन ने संदेह जताया तब साइबर सेल ने इन बैंक खातों की पड़ताल शुरू की. इसमें सामने आया कि आर्थिक रूप से निर्धन 90 लोगों के बैंक खातों में करीब 2000 हजार करोड़ रुपए का लेन देन हुआ है. पुलिस ने इन सभी बैंक खातों में मिली करीब 4 करोड़ रुपए की रकम को होल्ड करवा दिया है. मृगांक से पहले चार और सटोरियों को पकड़ा जा चुका है. इस संबंध में ईडी को भी सूचना दी गई थी।
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निठारी कांड : फांसी की सजा रद्द , दोनों को निर्दोष करार दिया
प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 18 साल पुराने निठारी कांड में बड़ा फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने दोषी सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की फांसी की सजा रद्द करते हुए दोनों को निर्दोष करार दे दिया है।
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र व न्यायमूर्ति एसएचए रिजवी की खंडपीठ ने फैसला दिया है। सोमवार को फैसला सुनाते हुए सजा के खिलाफ दोनों की अपील भी मंजूर कर ली गई।
नोएडा के पास का निठारी कांड 18 साल पहले सामने आया था। दिसंबर 2006 में निठारी स्थित मनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पास नाले से नर कंकाल मिले थे। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की, तो पता चला कि मनिंदर सिंह ने अपने नौकर सुरेंद्र कोली के साथ मिलकर कई बच्चों का अपहरण किया। उनके साथ दुष्कर्म किया गया और हत्या कर शव नाले में फेंक दिए गए।
जैसे-जैसे केस की परतें खुलती गईं, वैसे-वैसे हैरान करने वाली कहानियां सामने आईं। इस केस दी भारत ही नहीं, दुनियाभर में चर्चा हुई। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने अपने अपराध बताए, तो सुनने वाले पुलिसकर्मी उल्टियां करने लगे।
मामला सीबीआई को सौंपा गया। सुरेंद्र कोली पर अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का केस चला, जबकि मनिंदर सिंह पर मानव तस्करी की धाराएं भी लगीं। कुल मिलाकर दोनों पर 16 केस दर्ज हुए। लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को 10 मामले और मनिंदर सिंह पंढेर को 3 मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी।
2010 में सजा के खिलाफ सुरेंद्र कोली की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। कोली ने ऐसी कुल 12 याचिकाएं कर रखी हैं, जिनमें हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। ऐसी ही एक याचिका पर हाई कोर्ट ने 15 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो आज सुनाया गया।