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राहुल गांधी की बड़ी घोषणा, ‘चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना’ में अब 50 लाख तक का इलाज मुफ्त

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राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान राहुल गांधी ने बड़ी घोषणा की है। उन्होने एक्स पर ट्वीट करते हुए ऐलान किया है कि अब प्रदेश सरकार की ‘चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना’ योजना में 25 लाख की मुफ्त इलाज राशि को बढ़ाकर 50 लाख किया जाएगा। इसी के साथ कांग्रेस ने इसे भारत की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुरक्षा योजना बनाने का दावा किया है। बता दें कि कांग्रेस ने राजस्थान के लिए जारी घोषणापत्र में भी इस राशि को दुगना करने का वादा किया है।
राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होना है और अब वहां अंतिम दौर का प्रचार चल रहा है। यहां एक तरफ कांग्रेस सत्ता में वापसी करने के लिए प्रयासरत है वहीं भाजपा कुर्सी पाने के लिए पूरा ज़ोर लगा रही है। इसी क्रम में आज राहुल गांधी ने X पर ट्वीट करते हुए बड़ी घोषणा की। उन्होने लिखा है कि “मैंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी से कहा, राजस्थान की क्रांतिकारी चिरंजीवी योजना में ₹25 लाख तक के मुफ़्त इलाज की राशि और बढ़ा देनी चाहिए। आज, इसे बढ़ा कर ₹50 लाख के मुफ्त इलाज की, भारत की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुरक्षा योजना बना दिया गया। अब, राजस्थान में किसी गरीब या मध्यमवर्गीय परिवार को बड़े से बड़े इलाज के लिए…- न घर बेचना पड़ेगा, – न कर्ज़ा लेना पड़ेगा, – न गहने गिरवी रखने होंगे। ये कांग्रेस गारंटी है। कांग्रेस फिर से, सदा चिरंजीवी राजस्थान!”
बता दें कि राजस्थान में ‘मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना’ अंतर्गत सभी सरकारी अस्पतालों में OPD और IPD की सेवाएं पूरी तरह से नि:शुल्क हैं। साल 2021 में गरीब कल्याण और उन्हें निशुल्क चिकित्सा मुहैया कराने के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार ने इसे शुरु किया था। इसमें लाभार्थी को 25 लाख तक का इलाज मुफ्त दिया जाता है। इसमें कैंसर, हार्ट सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, कोविड सहित 19 गंभीर बीमारियों को शामिल किया गया है। योजना में अब तक 1 करोड़ से ज्यादा परिवार जुड़ चुके हैं। अब चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 25 लाख के कवरेज को बढ़ाकर 50 लाख करने की घोषणा की है।
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दिल्ली का प्रदूषण, 3 सरकारों को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दिल्ली प्रदूषण मामले में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और पंजाब सरकार से पूछा कि प्रदूषण की समस्या को रोकने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के किसानों के साथ हमदर्दी दिखाई। कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों को विलेन बना दिया जाता है। कोई उनका पक्ष नहीं सुनता है। किसानों के पास पराली जलाने के लिए कारण जरूर होंगे।
पंजाब सरकार को उन्हें पराली जलाने से रोकने के लिए सहायता राशि देनी चाहिए। कोर्ट ने दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकार को फटकारते हुए कहा- बीते छह साल में यह सबसे प्रदूषित नवंबर रहा है। हमें समस्या पता है और उस समस्या को दूर करना आपका काम है।
जस्टिस एसके कॉल और एस धूलिया की बेंच ने पंजाब और दिल्ली की सरकारों से कहा कि पराली जलाने के खिलाफ सख्त एक्शन लें, जिससे दिल्ली के प्रदूषण में इजाफा होता है।
यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को उठाया है कि प्रदूषण फैलने के मामले में सभी तरफ से किसानों को दोषी ठहराया जाता है, लेकिन सुनवाई में उनका पक्ष नहीं रखा जाता। कोर्ट ने यह भी कहा कि पंजाब सरकार को किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सहायता राशि देनी चाहिए। पंजाब सरकार को हरियाणा सरकार से सीखना चाहिए।
पंजाब सरकार ने कोर्ट को बताया- पराली जलाने वालों पर 2 करोड़ रुपए जुर्माना
सुनवाई के दौरान पंजाब के अटॉर्नी जनरल ने कहा कि पराली जलाने पर हमने 1 हजार FIR दर्ज की हैं और 2 करोड़ जुर्माना लगाया है। हम पराली में लगी आग को बुझा रहे हैं, लेकिन लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतर रहे हैं।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि लोगों का सड़कों पर उतरना एक समस्या है। यह कानून व्यवस्था की स्थिति है। हम आधी रात को भी आग बुझा रहे हैं। अगले सीजन की शुरुआत से ही सख्त कदम उठाए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने पक्ष सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर तय की है।
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दो साल से जेल में बंद था पत्रकार, जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने सिस्‍टम को दिखाया आईना
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने करीब 22 महीनों से जेल में बंद कश्मीरी पत्रकार सज्जाद अहमद डार जमानत दे दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने उनके खिलाफ आतंकी साजिश सहित कई आरोपों को खारिज कर दिया है। वहीं, हाईकोर्ट ने एक और पत्रकार फहद शाह को भी उनकी बंद हो चुकी पत्रिका ‘द कश्मीर वाला’ में कथित तौर पर देश विरोधी लेख छपने के मामले में जमानत दे दी है। जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बहुत तल्ख टिप्पणी भी की।
हाईकोर्ट के समक्ष कश्मीर वाला समाचार पोर्टल के संपादक का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील पीएन रैना ने कहा कि हम जमानत में निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन कर रहे हैं। फहद शाह को जेल से बाहर आने में कुछ समय लगेगा। उन्होंने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की आतंकवादी साजिश (धारा 18) और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने (धारा 121) और भारतीय दंड संहिता की राष्ट्रीय-एकीकरण (धारा 153-बी) के लिए हानिकारक आरोप जैसे आरोप लगाए गए थे। कोर्ट ने शाह के खिलाफ खारिज कर दिया।
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर कहा कि पत्रकार सज्जाद अहमद डार के खिलाफ कोई खास आरोप नहीं थे। कोर्ट में यह साबित नहीं हो सका कि वह सुरक्षा के लिए किसी तरह से खतरा हैं। जस्टिस कोटेश्वर सिंह और जस्टिस एम.ए. चौधरी की बेंच ने कहा कि प्रशासन ने खुद माना है कि आरोपी ने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है और एक पत्रकार के तौर पर काम कर रहा था।
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि प्रशासन की तरफ से सरकारी नीतियों, आयोग, अथवा सरकारी मशीनरी की आलोचना करने वालों को इस तरीके से हिरासत में लेना पूरी तरह कानून का दुरुपयोग है। एक मीडिया कर्मी को इस तरीके से हिरासत में लेना कानून का दुरूपयोग दायरे में आता है।