गुना। (गरिमा टीवी न्यूज़) एक व्यक्ति को अपने जरूरी घरेलू कार्य के लिए पैसे लेकर चैक देना उस वक्त महंगा पड़ा, जब न्यायालय ने आरोपी को 6 माह के कठोर कारावास एवं चेक दिनांक से 9% साधारण ब्याज के प्रतिकर के दंड से दंडित किया।
अभिभाषक अवधेश माहेश्वरी ने बताया की परिवादी शैलेन्द्र अग्रवाल से निश्चल कुमार जैन ने 3,00,000/-रूपये नगद उधार लिये और उसके एबज में अपने खाते का एक चैक इस राशि के भुगतान के लिये दिया। जिसे परिवादी ने अपने बचत खाते में क्लियरेंस के लिये जमा किया, तो उक्त चैक बैंक ने अपर्याप्त निधि की टीप लगाकर अनादरित कर दिया। व्यक्तिगत सूचना एवं मांग का सूचना-पत्र प्राप्त होने के बाबजूद भी निश्चल जैन आरोपी ने उक्त राशि की अदायगी नहीं की, तब परिवादी शैलेन्द्र ने अपने अभिभाषक अवधेश माहेश्वरी के माध्यम से न्यायालय में निश्चल जैन के विरूद्ध धारा-138 परक्राम्य लिखत अधिनियम-1881 के तहत परिवाद प्रस्तुत किया गया, निश्चल जैन निवासी चौधरी मोहल्ला कांजी हाउस के पास गुना ने न्यायालय के समक्ष विभिन्न प्रकार के झूठे बचाव लिये जहां तक कहा कि प्रश्नगत चैक उसने परिवादी को नहीं दिया, और किसी अन्य व्यक्ति के पास अभियुक्त का शेल्फ लिखा हुआ चैक रखा था, उस पर शैल्फ शब्द को काट कर शैलेन्द्र अग्रवाल ने अपना नाम लिख लिया इस संबंध में न्यायालय के समक्ष उच्च न्यायालय के आदेश से हस्तलेखा विशेषज्ञ को भी परिक्षित कराया गया। लेकिन न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गुना मोहित श्रीवास्तव ने उक्त हस्तलेखा विशेषज्ञ की रिपोर्ट को सुसंगत व विश्वसनीय ना मानते हुये आरोपी के बचाव को झूठा मानते हुये दरकिनार कर दिया, और यह माना, कि शैलेन्द्र अग्रवाल ने आरोपी निश्चल कुमार जैन का संकट के समय में काम चलाया और उसने व्यापारिक प्रथा का दुरूपयोग करते हुये चैक का दुरूपयोग किया और आरोपी निश्चल जैन निवासी चोधरी मोहल्ला कांजी हाउस के पास गुना के इस कृत्य को अत्यधिक निंदनीय मानते हुये उसे 6 माह के कठिन कारावास से दण्ड़ित कर यह दण्ड़ाज्ञा पारित की, कि निर्णय दिनांक से 1 माह के भीतर विवादित चैक की राशि 3,00,000/-रूपये पर दिनॉक-27/12/2008 से अदायगी दिनाँक तक 9 प्रतिशत् साधारण ब्याज संदत्त कर अदा करें, अन्यथा 6 माह के अलावा 1 माह का साधारण कारावास पृथक से भुगताया जावे।