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ऑनलाइन इंटरस्टेट ठग गिरोह का पर्दाफाशः गैंग के सात बदमाश गिरफ्तार, बेचते थे बैंक खाते

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जबलपुर। मध्य प्रदेश पुलिस ने साइबर क्राइम के बड़े गैंग का पर्दाफाश किया है। जबलपुर पुलिस ने ऑनलाइन इंटरस्टेट ठग गिरोह के सात बदमाशों को गिरफ्तार किया है। गिरोह के सदस्य सीधे सादे लोगों के बैंक में खाता खुलवाकर झारखंड और दूसरे राज्यों में बेचकर पैसा कमाते थे। गैंग ने अब तक सैकड़ों लोगों के खाते खुलवाकर बेच चुके है।
गिरोह के लोग 5 से 15 हजार रुपए में खाते बेचते थे। अब तक करीब 200 खाते खुलवाकर बेचने की बात सामने आई है। इन्ही खातों में करोड़ों रुपए का लेनदेन होता था। देश के कई राज्यों में इस ठग गिरोह का जाल फैला है। पुलिस पकड़े खातों को सीज कराने की तैयारी में है। पूरे नेटवर्क का पर्दाफास करने में पुलिस जुटी है। पुलिस ने लोगों को ऐसे लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। जानकारी आदित्य प्रताप सिंह, एसपी, जबलपुर ने दी है।
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6 सालों से एक हाथ ऊपर उठाए हुए हैं बाबा, राम के वनवास की तरह 14 सालों का लिया संकल्प
दमोह। 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का होने वाला है. जिसे लेकर पूरे देश में हर्षोल्लास का माहौल है. सब राम के भक्ति में लीन हैं. इसी कड़ी में दमोह शहर में एक बाबा 6 सालों से अपना एक हाथ ऊपर उठाए हुए हैं. उनका कहना है कि जिस तरह भगवान राम 14 साल के लिए वनवास काटे थे, उसी तरह ही बाबा अपना एक हाथ 14 साल तक उठाए रहेंगे. जिसके लिए अभी और 8 साल बाकी है. बाबा के आध्यात्म के हठ योग को लेकर लोग बड़े अचंभित होते हैं.
दमोह के पथरिया शनि सिद्ध धाम के बाबा गोपाल पुरी छह साल से अपने हाथ को आसमान की दिशा में उठाए हुए हैं. इनका हाथ दुबला हो गया है और नाखून भी बड़े बड़े हो गए हैं. अधिकतर हाथ को ढककर रखने वाले बाबा भगवान राम के अनन्य भक्त हैं. इनके साथी बताते हैं बाबा का एक संकल्प अयोध्या मंदिर निर्माण भी पूरा होने जा रहा है और शेष काल भी इसी तरह भक्ति भाव के साथ बीत जाएगा।
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310 साल पुरानी दुर्लभ वाल्मीकि रामायणः फारसी भाषा में अनुवादित रामायण लाइब्रेरी में संरक्षित
भोपाल/ग्वालियर। हिंदू ग्रंथों की शुरुआत ‘ऊं’ या ‘श्री गणेशाय नम:’ से होती है, लेकिन ग्वालियर में एक मुस्लिम परिवार के पास फारसी में अनुवादित 310 साल पुरानी दुर्लभ वाल्मीकि रामायण है। जिसे उन्होंने श्रृद्धा भाव से सहेजकर रखा है। यह भारत की गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल है। इसकी मूल प्रति रामपुर की रजा लाइब्रेरी में संरक्षित है। फारसी में अनुवादित इस रामायण की प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में ईरान के राष्ट्रपति डॉ. हसन रोहानी को भेंट की थी।
सुप्रीम कोर्ट वकील हाजी शिराज कुरैशी के मुताबिक फारसी रामायण की प्रति कईं सालों से हमारे घर में पूरी श्रृद्धा के साथ रखी हुई है। मेरे वालिद हाजी एमएम कुरैशी रामायण के जानकार थे। 1713 में लिखी गई यह फारसी रामायण गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है।