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FTII में हिंदूवादी संगठन ने छात्रों को पीटा:बाबरी का विवादित पोस्टर लगाया, जामिया में लगे जस्टिस फॉर बाबरी के नारे

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दिल्ली। 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद दिल्ली और पुणे में बाबरी मस्जिद के समर्थन में पोस्टर और बैनर लगाने का मामला सामने आया है। पुणे में मामला मारपीट तक पहुंच गया।
पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) कैंपस के अंदर घुसकर हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने छात्रों के साथ मारपीट की। इसमें कई छात्र घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फिलहाल कैंपस के गेट पर पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
दरअसल, FTII में छात्र संगठनों ने एक बैनर लहराया, जिसमें लिखा था- 'रिमेंबर बाबरी, डेथ ऑफ कॉन्स्टिट्यूशन।' इसकी जानकारी हिंदुत्ववादी संगठन के कुछ कार्यकर्ताओं को हुई और उन्होंने कैंपस में घुसकर बोर्ड लगाने वाले छात्रों की पिटाई कर दी। फिलहाल परिसर से बाबरी मस्जिद का जिक्र करने वाला बैनर हटा दिया गया है।
उधर, दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में सोमवार को जस्टिस फॉर बाबरी जैसे नारे लगाए गए। इसको लेकर पुलिस ने कहा कि कैंपस के अंदर की घटना है। फिलहाल यहां मामला शांत है।
22 जनवरी को दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में विवादित नारे लगाने के वीडियो वायरल हुए। यूनिवर्सिटी में 'जस्टिस फॉर बाबरी', 'फाइट फॉर बाबरी' और 'बॉयकॉट फॉर बाबरी' जैसे नारे लगाए गए। एक और वायरल वीडियो में दो गुटों के बीच झड़प होती दिख रही है। इसमें एक छात्र दावा कर रहा है कि दूसरे पक्ष के लोगों ने 'राम की कब्र खुदेगी, जामिया की धरती' पर नारा भी लगाया था।
मामले में साउथ ईस्ट दिल्ली के डीसीपी राजेश देव ने कहा कि वायरल वीडियो कैंपस के अंदर के हैं। इसके बाहर कोई प्रोटेस्ट नहीं हुए। घटना को देखते हुए पुलिस की तैनाती की गई है। हालांकि, पुलिस परिसर के अंदर नहीं गई है। मामला शांत है।
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राम मंदिर की नई मूर्ति का नाम बालक राम रखा:प्राण प्रतिष्ठा में शामिल पुजारी बोले- प्रभु बच्चे की तरह दिखते हैं
अयोध्या। अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की गई भगवान राम की नई मूर्ति को बालक राम के नाम से जाना जाएगा। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा में शामिल रहे पुजारी अरुण दीक्षित ने बताया- नई मूर्ति का नाम बालक राम रखने का कारण यह है कि प्रभु एक बच्चे की तरह दिखते हैं, जिनकी उम्र 5 साल है।
वाराणसी के रहने वाले अरुण दीक्षित ने बताया कि पहली बार जब मैंने मूर्ति देखी, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मेरी आंखों में खुशी के आंसू बहने लगे। उस समय मुझे जो अनुभूति हुई, उसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता।
उन्होंने आगे कहा कि अब तक मैं 50-60 बड़े अभिषेक में शामिल रहा, लेकिन मेरे जीवन का यह सबसे अलौकिक, दिव्य और सर्वश्रेष्ठ कार्यक्रम रहा। दीक्षित ने कहा कि उन्हें मूर्ति की पहली झलक 18 जनवरी को मिली थी।
सोमवार यानी 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा पूजा में PM मोदी और RSS चीफ मोहन भागवत समेत 6 यजमान शामिल हुए। इसके बाद मोदी ने करीब 35 मिनट का भाषण दिया। PM ने कहा- कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। राम मंदिर किसी आग को नहीं, ऊर्जा को जन्म दे रहा है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुसार, रामलला की पुरानी मूर्ति, जो पहले एक अस्थायी मंदिर में रखी गई थी। उसे भी नई मूर्ति के सामने रखा गया है। मूर्ति के लिए आभूषण अध्यात्म रामायण, वाल्मिकी रामायण, रामचरितमानस और अलवंदर स्तोत्रम जैसे ग्रंथों के गहन शोध और अध्ययन के बाद तैयार किए गए हैं।
मूर्ति को बनारसी कपड़े से सजाया गया है, जिसमें एक पीली धोती और एक लाल 'पताका' या 'अंगवस्त्रम' है। 'अंगवस्त्रम' को शुद्ध सोने की 'जरी' और धागों से सजाया गया है, जिसमें शुभ वैष्णव प्रतीक-शंख, पद्म, चक्र और मयूर शामिल हैं।
5 साल के बालक रूप में विराजमान रामलला का सोने के आभूषणों से श्रृंगार देख लोग भाव-विभोर हो गए। ट्रस्ट सूत्रों के मुताबिक, 200 किलो की प्रतिमा को 5 किलो सोने के जेवरात पहनाए गए हैं। नख से ललाट तक भगवान जवाहरातों से सजे हुए हैं। रामलला ने सिर पर सोने का मुकुट पहना है।
मुकुट में माणिक्य, पन्ना और हीरे लगे हैं। बीच में सूर्य अंकित हैं। दायीं ओर मोतियों की लड़ियां हैं। वहीं, कुंडल में मयूर आकृतियां बनी हैं। इसमें भी सोना, हीरा, माणिक्य और पन्ना लगा है। ललाट पर मंगल तिलक है। इसे हीरे और माणिक्य से बनाया है। कमर में रत्न जड़ित करधनी है। इसमें छोटी-छोटी पांच घंटियां भी लगाई हैं। दोनों हाथों में रत्न जड़े कंगन हैं। बाएं हाथ में सोने का धनुष और दाहिने में सोने का बाण है।
मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा तराशी गई 51 इंच की मूर्ति को तीन अरब साल पुरानी चट्टान से बनाया गया है। नीले रंग की कृष्णा शिला की खुदाई मैसूर के एचडी कोटे तालुका में जयापुरा होबली में गुज्जेगौदानपुरा से की गई थी। यह एक महीन से मध्यम दाने वाली आसमानी-नीली मेटामॉर्फिक चट्टान है, जिसे आम तौर पर इसकी चिकनी सतह की बनावट के कारण सोपस्टोन कहा जाता है।
कृष्ण शिला रामदास (78) की कृषि भूमि को समतल करते समय मिली थी। इसके बाद एक स्थानीय ठेकेदार ने पत्थर की गुणवत्ता का आकलन किया था। इसके बाद अयोध्या में मंदिर के ट्रस्टियों से बात की थी।
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असम में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ी, CM बोले- राहुल पर FIR होगी
डिसपुर। राहुल गांधी की न्याय यात्रा मंगलवार को गुवाहाटी पहुंची, जिसे असम पुलिस ने रोक दिया। राहुल अपने काफिले के साथ गुवाहाटी शहर के बीच से गुजरना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी। पुलिस ने गुवाहाटी सिटी जाने वाली सड़क पर बैरिकेडिंग कर दी। इसके बाद कांग्रेस समर्थक पुलिस से भिड़ गए। उन्होंने बैरिकेडिंग तोड़ दी।
घटना को लेकर राहुल ने कहा कि जिस रास्ते पर हमारी यात्रा को रोका गया है, उसी रास्ते से बजरंग दल और जेपी नड्डा की रैली निकली थी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रास्ते पर लगे बैरिकेड हटा दिए हैं, लेकिन हमने कानून नहीं तोड़ा है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कहा, 'ऐसा बर्ताव असमिया कल्चर का हिस्सा नहीं है। ये नक्सली गतिविधियां हमारी संस्कृति से अलग हैं। मैंने असम पुलिस के DGP को निर्देश दिया है कि वे राहुल गांधी के खिलाफ भीड़ को उकसाने के लिए FIR दर्ज करें और कांग्रेस ने जो वीडियो पोस्ट किए हैं, उन्हें सबूत के तौर पर इस्तेमाल करें।'
दरअसल, असम पुलिस ने वर्किंग डे का कारण बताकर न्याय यात्रा को शहर के अंदर ले जाने से मना किया था। पुलिस ने कहा था कि आज अगर न्याय यात्रा शहर में गई तो ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ जाएगी, इसलिए प्रशासन ने रैली को नेशनल हाईवे पर जाने का निर्देश दिया है।
राहुल की न्याय यात्रा 18 जनवरी को नगालैंड से असम पहुंची थी। 20 जनवरी को यात्रा अरुणाचल प्रदेश गई, फिर 21 को असम लौट आई। इसके बाद यात्रा 22 जनवरी को मेघालय निकली और मंगलवार को एक बार फिर असम पहुंची। राहुल की न्याय यात्रा 25 जनवरी तक असम में रहेगी।
हिमंता बिस्व सरमा और कांग्रेस के बीच पिछले कई दिनों से जुबानी जंग चल रही है। कांग्रेस सरमा पर यात्रा को प्रभावित करने का आरोप लगाती आ रही है। सरमा भी कांग्रेस को कई जिलों में नहीं जाने की सुझाव दे चुके हैं।
10वें दिन की यात्रा की शुरुआत राहुल गांधी ने असम-मेघालय सीमा पर युवाओं से बातचीत करके की। उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कि मैं आपकी यूनिवर्सिटी आकर आपसे बात करना चाहता था और ये समझना चाहता था कि आप किन मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।
लेकिन, देश के गृह मंत्री ने असम के मुख्यमंत्री को फोन किया और फिर असम के मुख्यमंत्री ने आपकी यूनिवर्सिटी के लीडर्स को फोन करके कहा कि राहुल गांधी को स्टूडेंट्स से बात न करने दी जाए। ये बेहद जरूरी है कि आप जिसे सुनना चाहते हैं, उसे सुनने की आपको इजाजत दी जाए।
उन्होंने कहा कि आपसे कहा जा रहा है कि आपको आंखें बंद करके RSS और इस देश की सरकार की बातें माननी है। आपको कहा जा रहा है कि आपके पास कल्पनाशक्ति नहीं होनी चाहिए। आपको कहा जा रहा है कि आप अपनी भाषा नहीं बोल सकते हैं, कि आपको अपना इतिहास भूलना होगा। आपको गुलाम बनाने की कोशिशें की जा रही हैं।
भारत जोड़ो न्याय यात्रा के नवें दिन सोमवार को राहुल गांधी असम के नगांव पहुंचे। वे यहां बोर्दोवा थान में संत श्री शंकरदेव के जन्मस्थल पर दर्शन करने आए थे, लेकिन उन्हें एंट्री नहीं दी गई। सुरक्षाबलों ने राहुल और अन्य कांग्रेसी नेताओं को रास्ते में हैबरगांव में रोक दिया।
यहां सुरक्षाबलों से बहस के बाद राहुल और अन्य कांग्रेसी नेता धरने पर बैठ गए। सभी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद 3 बजे मंदिर आने के लिए कहा गया था। इस मामले पर असम CM हेमंत बिस्वा सरमा से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा- आज रावण के बारे में तो बात मत कीजिए।