उमरिया। सोमवार की शाम वायरल हुए इस वीडियो को देखकर आपकी रूह कांप जाएगी. कुछ लोग दो युवकों की जमकर पिटाई कर रहे हैं. वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि एक युवक कार के कांच फोड़ रहा है तो दूसरा एक युवक की बेरहमी से पिटाई कर रहा है और दो लोग तमाशबीन बने खड़े हैं. ये बांधवगढ़ के एसडीएम अमित सिंह और तहसीलदार विनोद कुमार हैं. पिटाई करने वाले इन्हीं के कर्मचारी है.इन युवकों का कसूर सिर्फ इतना था कि इन्होंने एसडीएम के वाहन को ओवरटेक कर लिया था.
एसडीएम द्वारा करवाई जा रही पिटाई का वीडियो वायरल हो चुका है.यह वीडियो सोमवार की शाम का बताया जा रहा है. इस वीडियो में एसडीएम के कर्मचारी एक युवक के साथ लाठी से मारपीट कर रहे हैं. वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि एसडीएम अमित सिंह युवक को पिटता हुआ देख रहे हैं. साथ ही वीडियो में यह भी साफ दिखाई दे रहा है कि जब उनकी नजर वीडियो बनाने वाले पर पड़ी तो वे उसे भी धमकाकर रोकने का प्रयास कर रहे हैं. एसडीएम के धमकाते ही वीडियो बनना बंद भी हो जाता है.
इन युवकों की पिटाई का कारण जानकर आप हैरान रह जाएंगे. बताया जाता है कि भरौला निवासी प्रकाश दहिया और शिव यादव नामक युवक अपनी कार क्रमांक MP20 CK 2951 से खैरा से भरौला जा रहे थे. इन युवकों ने एसडीएम साहब के वाहन को ओवरटेक कर लिया था. इसके बाद एसडीएम की जीप ने घंघरी ओवरब्रिज के पास कार रोक कर एसडीएम और तहसीलदार ने युवकों को कार से उतरने को कहा, फिर अपने डाइवर और एक अन्य व्यक्ति से गलियां देते हुए डंडों से उनकी जमकर पिटाई करवाई. इस पर भी जब साहब का गुस्सा शांत नहीं हुआ तो उन्होंने फरियादियों की कार को भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त करवा दिया.
इस घटना में प्रकाश और शिव बुरी तरह जख्मी हो गए हैं. जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया.जब युवकों की पिटाई की जा रही थी, तभी किसी ने अधिकारियों की पूरी करतूत शूट कर ली. थोड़ी ही देर में यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया. मारपीट करते हुए वायरल वीडियो में इसलिए सभी नजर नहीं आए क्योंकि वीडियो बनाने वाले को एसडीएम अमित सिंह द्वारा धमकाकर वीडियो बनाने से रोक दिया गया था.
एसपी निवेदिता नायडू ने जानकारी देते हुए बताया कि रात करीब 11 बजे सिविल लाइन चौकी पुलिस ने एसडीएम अमित सिंह, तहसीलदार विनोद कुमार, चालक नरेंद्रदास पनिका और संदीप सिंह के खिलाफ धारा 294, 323, 341 तथा 34 का अपराध दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है.
इस घटना में पिटाई में घायल हुए विकास दाहिया ने बताया कि वह तो मारपीट का कोई कारण जानता नहीं है. वे तो बस एसडीएम की गाड़ी से आगे निकल गए थे जिसके बाद उनकी गाड़ी का पीछा करते हुए एसडीमए की गाड़ी वहां पहुंची और एसडीएम की गाड़ी में सवार लोगों ने उनके साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट शुरू कर दी.
युवकों के साथ मारपीट का वीडियो के वायरल होने के बाद जब एसडीएम अमित सिंह से चर्चा की गई तो उन्होंने अलग ही कहानी सुनाई. उन्होंने कहा कि किसी के साथ मारपीट नहीं की गई. युवकों ने कई लोगों को ओवरटेक करके परेशान किया था जिसकी वजह से उन्हें रोका गया. उन्होंने तो अपने कर्मचारियों पर ही दोषारोपण करना शुरू दिया और कहा कि वे तो अपने कर्मचारियों को रोकने का प्रयास कर रहे थे. हालांकि उनकी यह दलील काम नहीं आई और सरकार ने उनके सस्पेंशन का लेटर जारी कर दिया है. मामले की जांच शुरु हो गई है.
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7500 पुलिस कांस्टेबल की भर्ती उलझी, अभी तक नहीं आए लिखित परीक्षा के परिणाम
भोपाल। कर्मचारी चयन मंडल से लिखित परीक्षा परिणाम जारी नहीं होने के कारण प्रदेश में साढ़े सात हजार पुलिस आरक्षकों की नियुक्ति उलझी हुई है। लिखित परीक्षा के परिणाम आने के बाद ही शारीरिक दक्षता परीक्षा पुलिस लेगी। परीक्षा में चार से पांच माह लग जाएंगे। इसके बाद लिखित परीक्षा और शारीरिक दक्षता परीक्षा के अंकों को जोड़कर प्रावीण्य सूची तैयार की जाएगी। इसमें भी लगभग दो माह लगेंगे।
इस प्रकार जून के पहले नियुक्ति होने की संभावना नहीं है। जब तक पुलिस आरक्षण भर्ती परीक्षा के परिणाम जारी नहीं होते साढ़े पांच सौ उप निरीक्षकों की भर्ती भी शुरू होने के आसार नहीं हैं। इसकी वजह यह कि पुलिस आरक्षकों के परिणाम जारी करना कर्मचारी चयन मंडल की पहली प्राथमिकता है। दूसरी बात यह कि फरवरी-मार्च में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी। इस कारण भी उप निरीक्षकों की भर्ती शुरू होने के आसार कम हैं।
पुलिस मुख्यालय सितंबर में ही उप निरीक्षकों की नियुक्ति के लिए मंडल को नियमावाली ब भेज चुका है। पहली बार शारीरिक दक्षता परीक्षा के 50 प्रतिशत अंक रखे गए हैं, इसके पहले की परीक्षाओं में मात्र निर्धारित अंक ही लाना पड़ता था। आरक्षकों और पुलिस उप निरीक्षकों की भर्ती भी इसी का हिस्सा है। अगस्त 2023 के पहले सभी पदों पर मे भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य था, पर कर्मचारी चयन मंडल के पास परीक्षाओं का ज्यादा दबाव होने के कारण परीक्षाओं के आयोजन और परिणाम जारी करने में देरी हो रही है।
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पुलिस बल को अवकाश न मिलने पर मानवाधिकार आयोग ने मांगा जवाब, दो तत्कालीन मुख्यमंत्रियों ने की थी घोषणा
भोपाल। दो तत्कालीन मुख्यमंत्रियों की घोषणा के बाद भी पुलिस बल को साप्ताहिक अवकाश नहीं मिल रहा है। अब यह मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंच गया है। आयोग ने पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखकर कई बिंदुओं पर जवाब मांगा है। इसमें पूछा गया है कि पुलिस बल को साप्ताहिक अवकाश क्यों नहीं दिया जा रहा है। यह भी जानकारी मांगी है कि साप्ताहिक अवकाश देने के संबंध में जारी आदेश प्रभावी है भी या नहीं।
मानव अधिकार कार्यकर्ता एवं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता राधाकांत त्रिपाठी ने मामले की शिकायत आयोग में की थी। अब पुलिस मुख्यालय की कल्याण शाखा ने सभी सभी जिलों से इस संबंध में जानकारी मांगी है। दिसंबर 2018 में मुख्यमंत्री बनने के बाद कमल नाथ ने पुलिस बल को साप्ताहिक अवकाश देने के निर्देश दिए थे। यह व्यवस्था कुछ हद तक लागू हुई। अलग-अलग दिन पुलिसकर्मियों के अवकाश का रोस्टर तैयार किया गया। इसके बाद लोकसभा चुनाव के चलते साप्ताहिक अवकाश बंद कर दिया गया, लेकिन दोबारा शुरू नहीं किया गया।