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रामदेव बाबा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, पतंजलि के विज्ञापनों पर लगाई रोक, कहा- भ्रामक विज्ञापन दिखाकर बनाया जा रहा बेवकूफ

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु बाबा रामदेव के स्वामित्व वाली पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को अपने उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ उसके आदेश का उल्लंघन करने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया। अदालत ने पंतजलि को अगले आदेश तक अपने औषधीय उत्पादों का विज्ञापन करने से भी रोक दिया है। शीर्ष अदालत ने 'एलोपैथी के खिलाफ गलत सूचना' के संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की याचिका पर सुनवाई करते हुए पतंजलि समूह की खिंचाई की।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि भ्रामक विज्ञापनों को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पतंजलि ने योग की मदद से मधुमेह और अस्थमा को 'पूरी तरह से ठीक' करने का दावा किया था। जस्टिस अमानुल्ला ने कहा कि भविष्य में ऐसा करने पर प्रति उत्पाद विज्ञापन पर एक करोड़ रुपए जुर्माना लगाया जाएगा
शीर्ष कोर्ट ने पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। विज्ञापनों में छपे फोटो के आधार पर नोटिस जारी किया गया है। इसके साथ ही चेतावनी देते हुए कोर्ट कहा कि प्रिंट या अन्य मीडिया में किसी भी रूप में किसी भी चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ बयान ना दें।
आईएमए की शिकायत के अनुसार, रामदेव कथित तौर पर मेडिकल बिरादरी द्वारा इस्तेमाल की जा रही दवाओं के खिलाफ सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैला रहे थे। कोर्ट ने अगली सुनवाई 15 मार्च को तय की है।
बता दें कि यह मामला साल 2022 का है. तब पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. आज इसी याचिका पर न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने सुनवाई की. IMA ने अपनी याचिका में कहा था कि जब प्रत्येक वाणिज्यिक इकाई को अपने उत्पादों को बढ़ावा देने का अधिकार है तो पतंजलि क्यों एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों पर झूठे दावे कर रही है.
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केंद्र सरकार ने कहा-RPF में 4,660 पदों पर भर्ती वाला विज्ञापन फर्जी है
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे उस शॉर्ट नोटिस को फर्जी करार दिया है जिसमें आरपीएफ में कांस्टेबल और सब इंस्पेक्टर के 4660 पदों पर भर्ती निकलने का दावा किया गया है. सरकार ने साफ किया है कि रेल मंत्रालय की तरफ से इस तरह का कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया है. PIB फैक्ट चेक ने ट्विटर कर कहा सब इंस्पेक्टर (SI) और कांस्टेबल भर्ती के लिए किसी तरह का कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया है.
बता दें कल एक विज्ञापन तेजी से वायरल हुआ था जिसमें आरपीएफ में बंपर भर्ती निकलने एवं उसके विवरण की जानकारी दी थी. जिसमें रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) ने रेलवे सुरक्षा बल (RPF) में सब इंस्पेक्टर (SI) और कांस्टेबल भर्ती के लिए संक्षिप्त अधिसूचना जारी की है. इस भर्ती अभियान के जरिए कुल 4,660 पद भरे जाएंगे. इस सरकारी नौकरी के लिए आवेदन प्रक्रिया 15 अप्रैल से शुरू होगी और 14 मई को समाप्त हो जाएगी.
इस भर्ती अभियान के तहत कांस्टेबल के 4,208 पद और सब इंस्पेक्टर के 452 पद भरे जाएंगे.सभी पदों पर अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) और दिव्यांग उम्मीदवारों को नियमानुसार आरक्षण दिया जाएगा.हालांकि, किस वर्ग के लिए कितनी सीटें आरक्षित की गई हैं, इसकी जानकारी संक्षिप्त अधिसूचना में नहीं दी गई है. अधिसूचना के मुताबिक, ये भर्ती दिव्यांग वर्ग के उम्मीदवारों के लिए उपयुक्त नहीं है. कांस्टेबल के पद पर चयनित उम्मीदवारों को 21,700 रुपये और सब इंस्पेक्टर के पद पर चयनित उम्मीदवारों को 35,400 रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा.
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महाराष्ट्र सरकार मराठा आरक्षण आंदोलन की SIT जांच कराएगी:विधानसभा अध्यक्ष ने दिए निर्देश
मुंबई। महाराष्ट्र में चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन की SIT जांच कराई जाएगी। मंगलवार (27 फरवरी) को विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने SIT के गठन का आदेश दिया। आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने डिप्टी सीएम, सीएम और अन्य नेताओं पर आरोप लगाए थे, जिस पर BJP विधायक आशीष शेलार ने विधानसभा में कहा कि आरक्षण आंदोलन की SIT जांच कराई जाए।
जरांगे ने डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि देवेंद्र फडणवीस मराठा समुदाय को आरक्षण मिलने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे जहर देने की कोशिश की जा रही है।
विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा, 'जो लोकतंत्र में विश्वास करता है वह हिंसक कृत्य या हिंसक बयान नहीं देता है। मराठा आंदोलन के दौरान जो हिंसा हुई, उसमें जो भी शामिल था उसकी SIT जांच करेगी।'
डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने सदन में कहा, 'उन्हें मराठा समुदाय को लेकर किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। मराठा समुदाय जानता है कि उन्होंने अब तक क्या किया है। मनोज जरांगे के भाषण के बाद मराठा समुदाय मेरे पीछे खड़ा हो गया। मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है, लेकिन मनोज जरांगे के पीछे कौन है, इसका पता लगाया जाएगा।'
विधानसभा के बाद विधानपरिषद में BJP नेता प्रवीण दरेकर ने मांग की है कि मराठा आरक्षण आंदोलन में किसने मदद की, इसका पता लगाने के लिए SIT से जांच कराई जाए। जरांगे पाटिल अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं तो उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। ऐसे बयानों की जांच होनी चाहिए। कानून सब पर लागू होना चाहिए।
मनोज जरांगे ने 25 फरवरी को आंतरवाली सराटी गांव में आंदोलन को लेकर बैठक बुलाई थी। जरांगे ने डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस पर गंभीर आरोप हुए कहा था- अकेले देवेंद्र फडणवीस ही मराठा समुदाय को आरक्षण मिलने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
जरांगे ने आगे कहा था, 'फडणवीस अगर आपको मेरी बलि चाहिए तो मैं तैयार हूं। अगर आप मुझे मारने की साजिश रच रहे हैं, तो मैं भूख हड़ताल पर मरने के बजाय आपकी चौखट पर मरने के लिए तैयार हूं। ये लोग मराठाओं को खत्म करना चाहते हैं। इसमें CM शिंदे के लोग हैं और अजित दादा के दो विधायक हैं। ये देवेंद्र फडणवीस की साजिश है। मैं आपका जीना मुश्किल कर दूंगा।'
आज कई नेता BJP में क्यों आ रहे हैं। छगन भुजबल, अजित पवार कभी भी NCP नहीं छोड़ सकते थे। एकनाथ शिंदे कभी भी शिवसेना नहीं छोड़ सकते थे। अशोक चव्हाण कभी कांग्रेस नहीं छोड़ सकते थे। जरांगे ने कहा कि फडणवीस के कपट की वजह से इन नेताओं को पार्टी छोड़नी पड़ी। फडणवीस पर गंभीर आरोप लगाने के बाद जरांगे गुस्से में आ गए थे।