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PFI के बाद RSS पर बैन लगाने की मांग:कांग्रेस सांसद के बाद लालू यादव बोले- दोनों संगठनों का काम एक जैसा

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नई दिल्ली। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर बैन लगने के बाद विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर बैन लगाने की मांग शुरू हो गई है। कांग्रेस सांसद के सुरेश के बाद अब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने मांग की है कि संघ पर भी बैन लगाया जाए। लालू ने कहा कि संघ भी पूरे देश में हिंदू सांप्रदायिकता फैलाने का काम कर रही है, जो PFI की तरह ही है, इसलिए इसे भी बैन करो।
इससे पहले, कांग्रेस सांसद ने कहा था- हम RSS पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते है। PFI पर बैन कोई उपाय नहीं है। RSS भी पूरे देश में हिंदू सांप्रदायिकता फैला रहा है। RSS और PFI दोनों समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। केवल PFI पर ही बैन क्यों?
कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह भी 2018 में RSS के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं। झाबुआ में दिग्विजय सिंह ने कहा था कि अभी तक जितने भी हिंदू आतंकी सामने आए हैं, सब RSS से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा था कि संघ के खिलाफ जांच की जाए और फिर कार्रवाई होनी चाहिए।
PFI पर बैन लगने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया है। सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा- बाय बाय PFI। वहीं असम के CM हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा- मैं भारत सरकार की ओर से PFI पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का स्वागत करता हूं। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ है कि भारत के खिलाफ विभाजनकारी या विघटनकारी डिजाइन से सख्ती से निपटा जाएगा।
12 सितंबर को कांग्रेस ने अपने ट्विटर अकाउंट से खाकी की एक निक्कर की तस्वीर शेयर की। इसमें लिखा- देश को नफरत से मुक्त कराने में 145 दिन बाकी हैं। हालांकि, संघ ने भी इसका तुरंत विरोध किया और संगठन के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा था कि इनके बाप-दादा ने संघ का बहुत तिरस्कार किया, लेकिन संघ रुका नहीं। पूरी खबर यहां पढ़ें...
भारत में आजादी के बाद 3 बार बैन लग चुका है। पहली बार 1948 में गांधी जी की हत्या के बाद बैन लगा था। यह प्रतिबंध करीब 2 सालों तक लगा रहा। संघ पर दूसरा प्रतिबंध 1975 में लागू आंतरिक आपातकाल के समय लगा। आपातकाल खत्म होने के बाद बैन हटा लिया गया।
वहीं तीसरी बार RSS पर 1992 में बाबरी विध्वंस के वक्त बैन लगाया गया। यह बैन करीब 6 महीने के लिए लगाया गया था।
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गरबा में मुस्लिम लड़कों की पिटाई:विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पकड़ा
अहमदाबाद। अहमदाबाद शहर के एक गरबा मैदान में मंगलवार की रात उस समय तनावपूर्ण हालात बन गए, जब हिंदू संगठनों ने दो मुस्लिम युवकों को पकड़ लिया। इसी बीच पूछताछ के दौरान कुछ युवकों ने इनकी जमकर पिटाई कर दी और मैदान से बाहर कर दिया। घटना का वीडियो अब वायरल हो रहा है। हालांकि, मामले को लेकर पुलिस में अब तक कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है।
विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता हितेंद्र सिंह के बताए अनुसार उन्हें अहमदाबाद के एसपी रिंग रोड के पास हो रहे गरबा में दो मुस्लिम युवकों की एंट्री की सूचना मिली थी। इसके बाद उनके साथ बजरंग दल के भी कई कार्यकर्ता गरबा मैदान में पहुंचे और दोनों को पकड़ लिया। इसके बाद समझाइश देकर मैदान से बाहर कर दिया गया।
हितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि आने वाले दिनों में भी हमारी औचक जांच जारी रहेगी, क्योंकि कुछ विधर्मी लोग हिंदू लड़कियों से छेड़छाड़ और चोरी करने भी दाखिल होते हैं। गरबा स्थल इनके लिए लव जेहाद का भी अड्डा बनते जा रहे हैं। इसे रोकना हमारी जिम्मेदारी है और इसी के चलते विधर्मियों के खिलाफ हमारी जांच जारी रहेगी।
कोरोना के चलते दो साल बाद पूरे गुजरात में नवरात्रि के साथ गरबा का आयोजन हो रहा है। गरबा के आयोजन से पहले ही विहिप और बजरंग दल ने धार्मिक स्थल में दूसरे धर्म के लोगों की एंट्री के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की धमकी दी थी। इसके तहत हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता कई गरबा मैदानों में अचानक एंट्री करते हुए चेकिंग अभियान चला रहे हैं।
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भारत जोड़ो यात्रा बीच में छोड़ दिग्विजय की दिल्ली रवानगी; गहलोत भी सोनिया से करेंगे मुलाकात
कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव की गुत्थी उलझती जा रही है। राजस्थान के घटनाक्रम के बाद दिग्विजय सिंह बुधवार को भारत जोड़ो यात्रा बीच में छोड़कर केरल के मलप्पुरम से दिल्ली रवाना हुए। माना जा रहा है कि वे शुक्रवार को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर सकते हैं।
कांग्रेस ने शशि थरूर, कार्ति चिदंबरम, मनीष तिवारी समेत 5 सांसदों की ट्रांसपेरेंसी की मांग को मानते हुए अध्यक्ष चुनाव के नियमों में बदलाव किया है। इसके तहत नॉमिनेशन भरने वाले को 9 हजार डेलीगेट्स की लिस्ट मिलेगी। जो पार्टी की सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी के पास 20 सितंबर से उपलब्ध है। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव 17 अक्टूबर को होने हैं। 30 सितंबर नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता एके एंटनी ने बुधवार को दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी देर रात दिल्ली पहुंच गए। उनकी सोनिया से मुलाकात गुरुवार को होनी है। दिल्ली एयरपोर्ट पर गहलोत ने कहा कि राजस्थान में चल रही उठा-पटक घर का मामला है, इंटर्नल पॉलिटिक्स में यह सब चलता रहता है।
बात अगर शशि थरूर की करें तो वे आखिरी दिन यानी 30 सितंबर को नामांकन करने का ऐलान कर चुके हैं। हालांकि थरूर ने कमलनाथ से कहा था कि वे इसलिए पर्चा भरेंगे, क्योंकि चुनाव हो। ऐसा न लगे कि चुनाव नहीं हो रहे।
गहलोत को लेकर पार्टी में दो तरह की राय है। CWC के कुछ सदस्य चाहते हैं कि गहलोत अध्यक्ष की दौड़ से अलग रहें। नामांकन में दो दिन बचे हैं, इसलिए संभावित उम्मीदवारों से पर्चे भरवाए जाएं और बाद में विचार-मंथन के दौरान जिस नाम पर आमराय बने, उसका नाम छोड़कर बाकी नाम 8 अक्टूबर तक वापस ले लिए जाएं। दूसरी ओर, कुछ वरिष्ठ सदस्य गहलोत की गलती माफ कर उन्हीं से पर्चा भरवाने की बात कह रहे हैं।
दिग्विजय गुरुवार को अध्यक्ष पद के लिए नामाकंन कर सकते हैं। उन्होंने पिछले हफ्ते ही कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे। यदि दिग्विजय सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो वे इस कुर्सी पर बैठने वाले मध्य प्रदेश के दूसरे नेता होंगे। ​​​​​​​अशोक गहलोत चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इसे लेकर तस्वीर साफ नहीं है। ​​​