दाक्षिन भारत के राज्य तमिलनाडु से दिल को दहला देने वाले हादसे की खबर सामने आई है। यहां कडलोर जिले में मंगलवार को रेलवे क्रॉसिंग पर बच्चों को ले जा रही एक स्कूल वैन चलती पैसेंजर ट्रेन की चपेट में आ गई, जिससे दो छात्रों की मौत हो गई। वहीं कम से कम छह अन्य बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। यह दुखद टक्कर सुबह करीब 7:45 बजे कडलोर और आलप्पक्कम के बीच मानवयुक्त रेलवे क्रॉसिंग पर हुई, जिससे सुरक्षा प्रोटोकॉल और मानवीय भूल पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
रेलवे की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, ये हादसा मंगलवार को सुबह करीब पौने आठ बजे हुआ है। छात्रों को ले जा रही स्कूल वैन ने कडलूर और अलप्पक्कम के बीच रेलवे क्रॉसिंग को पार करने की कोशिश की। इस दौरान वैन 56813 विल्लुपुरम-मयिलादुथुराई यात्री ट्रेन से टकरा गई। टक्कर के कारण वैन रेलवे क्रॉसिंग से उछलकर कुछ दूर गिरी। इसके बाद घायलों को सरकारी अस्पताल में भेजा गया। पुलिस के मुताबिक, वैन का ड्राइवर पटरी पार करने के समय ये नहीं देख पाया कि ट्रेन आ रही है। इस कारण अचानक टक्कर हुई और वैन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। इस दुर्घटना में गांव के दो बच्चों की मौत हो गई है। दो अन्य का अस्पताल में इलाज चल रहा है। आपातकालीन सेवाओं ने घायल बच्चों को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया।
रेलवे ट्रैक पार कर रही एक स्कूल बस के ट्रेन की चपेट में आने पर कुड्डालोर के एसपी जयकुमार ने कहा- “दो छात्रों की मौत हो गई, दो छात्र और बस चालक घायल हो गए। रेलवे पुलिस, रेलवे अधिकारी और राज्य पुलिस आगे की जांच कर रही है।” हादसे के बाद सेम्बनकुप्पम रेलवे क्रॉसिंग पर मरम्मत का काम चल रहा है।
PTI के मुताबिक, रेलवे की प्रारंभिक जांच में ये जानकारी सामने आई है कि जब गेटकीपर रेलवे फाटक को बंद करने जा रहा था तो वैन के ड्राइवर ने वाहन को फाटक पार करने की अनुमति देने पर जोर दिया। हालांकि, इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी। अधिकारियों की एक समिति घटना की जांच कर रही है। कथित लापरवाही के कारण लोगों ने रेलवे गेटकीपर पर हमला कर दिया था जिसे पुलिस ने बचाया।
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भारत बंद : 9 जुलाई को देशभर में थमेगा कामकाज, 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी उतरेंगे सड़कों पर
नई दिल्ली। 9 जुलाई को देश एक बार फिर बड़े श्रमिक आंदोलन का गवाह बनने जा रहा है। बैंकिंग, बीमा, कोयला खनन, राजमार्ग, निर्माण और डाक सेवाओं जैसे तमाम क्षेत्रों में काम करने वाले 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी और मजदूर देशव्यापी आम हड़ताल पर उतरेंगे। इस भारत बंद का आह्वान 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों और उनसे जुड़ी सहयोगी इकाइयों ने सरकार की श्रम विरोधी, किसान विरोधी और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ किया है। देश की राजधानी से लेकर दूर-दराज के गांवों तक इसका असर देखने को मिल सकता है।
यह हड़ताल सिर्फ एक प्रतीकात्मक विरोध नहीं है, बल्कि देश की बुनियादी सेवाओं को ठप करने की क्षमता रखती है। बैंकिंग, बीमा और डाक सेवाओं के अलावा कोयला खनन, परिवहन, स्टील, निर्माण, राज्य परिवहन और फैक्ट्रियों में कामकाज पूरी तरह ठप पड़ सकता है। हिंद मजदूर सभा के महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू के मुताबिक, इस आंदोलन का असर देश की सामान्य सेवाओं पर भी गंभीर पड़ेगा। खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पहले से ही संसाधनों की कमी है, वहां हालात और भी बिगड़ सकते हैं।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की महासचिव अमरजीत कौर ने जानकारी दी कि इस बार की हड़ताल में 25 करोड़ से अधिक मजदूरों और कर्मचारियों की भागीदारी सुनिश्चित करने की तैयारी की जा रही है। संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के कामगार इस आंदोलन में शामिल होंगे। हड़ताल को किसानों और ग्रामीण श्रमिक संगठनों का भी समर्थन मिला है। संयुक्त किसान मोर्चा और देशभर के कृषि मजदूर संगठन भी इस हड़ताल में साथ खड़े हैं। इतना ही नहीं, एनएमडीसी लिमिटेड, सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनियों, खनिज उद्योग और राज्य सरकारों के विभागों से भी कर्मचारियों ने भाग लेने की घोषणा की है।
श्रमिक संगठनों का आरोप है कि सरकार श्रमिकों की मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रही है। संगठनों ने पिछले साल श्रम मंत्री को 17 सूत्री मांगपत्र सौंपा था, लेकिन उस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। प्रमुख आरोपों में चार नई श्रम संहिताओं के लागू किए जाने से श्रमिक अधिकारों का हनन, वार्षिक श्रम सम्मेलन का दस सालों से आयोजित न होना और सामूहिक सौदेबाजी व हड़ताल के अधिकार को कमजोर करने की कोशिशें शामिल हैं। इसके अलावा, संगठनों का कहना है कि बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और घटती मजदूरी ने कामगार वर्ग की स्थिति को और भी दयनीय बना दिया है।
श्रमिक संगठनों ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया है कि वह निजीकरण, आउटसोर्सिंग और ठेकेदारी प्रणाली को बढ़ावा दे रही है, जिससे स्थायी नौकरियों में कटौती हो रही है। संगठनों का कहना है कि सरकार एक तरफ युवाओं को रोजगार के अवसर देने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ सेवानिवृत्त कर्मचारियों को दोबारा नियुक्त कर रही है। ऐसे में 35 वर्ष से कम उम्र की देश की 65% युवा आबादी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है। इसके अलावा, रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (ELI) जैसे कार्यक्रमों के जरिए नियोक्ताओं को फायदा पहुंचाया जा रहा है, जिससे कामगारों का शोषण और बढ़ रहा है।
यह पहली बार नहीं है जब श्रमिक संगठनों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोला है। 26 नवंबर 2020, 28-29 मार्च 2022 और 16 फरवरी 2024 को भी इसी तरह की देशव्यापी हड़तालें की गई थीं। लेकिन इस बार का आंदोलन अधिक संगठित और प्रभावशाली बताया जा रहा है। संगठनों ने जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक जनसंपर्क और जनजागरण अभियान शुरू कर दिए हैं, जिससे अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
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STF का बड़ा एक्शन : दो गिरफ्तार, पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप, ISI से निकला सीधा संबंध
पश्चिम बंगाल में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से संबंध रखने के आरोप में 2 संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में लिया है। STF के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान जिले से दोनों संदिग्धों को पकड़ा गया है। संदिग्धों की पहचान राकेश कुमार गुप्ता और मुकेश राजक के रूप में हुई है। राकेश कोलकाता के भोवानीपुर का रहने वाला है तो वहीं, मुकेश पाना गढ़ का निवासी है।
STF ने बताया कि दोनों पश्चिम बंगाल के एक NGO में काम करते हैं और मेमारी में किराए के घर में रहते हैं। STF ने मेमारी स्थित घर से ही एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। खुफिया जानकारी के आधार पर शनिवार की रात को STF ने यहां रेड मारी और मुकेश को धर दबोचा। वहीं, राकेश अपने इलाज के लिए एक नर्सिंग होम में भर्ती था, जिसे पुलिस ने वहां पहुंचकर गिरफ्तार किया।
STF के अधिकारी का कहना है कि पाकिस्तान की ISI से दोनों का संबंध मिला है। पिछले कुछ समय से दोनों संदिग्ध आरोपी ISI समेत कई पाकिस्तानी नागरिकों के संपर्क में थे।
STF ने सोमवार को दोनों संदिग्धों को अदालत में पेश किया था, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें 7 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।