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विस्तारा की फ्लाइट में महिला ने कपड़े उतारे, क्रू मेंबर को पीटा, स्टाफ ने सीट से बांधा

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मुंबई। विस्तारा की फ्लाइट में एक महिला पैसेंजर ने नशे में क्रू मेंबर के साथ मारपीट की। इतना ही नहीं उसने अपने कपड़े भी उतार दिए। फ्लाइट इटली से मुंबई आ रही थी। मुंबई में फ्लाइट लैंड होते ही क्रू मेंबर की शिकायत पर आरोपी महिला को अरेस्ट कर लिया गया। यह घटना 30 जनवरी को फ्लाइट संख्या UK 256 में हुई।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह घटना सोमवार की है। महिला इटली की रहने वाली है। उसका नाम पाओला पेरुशियो है। 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाने के बाद महिला को जमानत दे दी गई है। हालांकि, मामले में अभी भी जांच की जा रही है।
पुलिस ने कहा कि महिला के पास इकोनॉमी क्लास का टिकट था, लेकिन वह बिजनेस क्लास में जाकर बैठ गई थी। क्रू मेंबर ने जब उसे अपनी सीट में बैठने के लिए कहा तो वह बहस करने लगी। पीड़ित क्रू मेंबर ने बताया, 'वह बत्तमीजी करने लगी थी। मेरे साथ उसने मारपीट। जब मेरी मदद के लिए दूसरा क्रू मेंबर आया तो महिला ने उसके ऊपर थूक दिया। इसके बाद वह कपड़े उतारकर इधर-उधर घूमने लगी।'
कैप्टन के निर्देश पर क्रू मेंबर ने महिला को पकड़कर कपड़े पहनाए। उसे शांत करने के लिए एक सीट से बांध दिया गया और फ्लाइट के लैंड होने पर उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया। मामले में विस्तारा एयरलाइन ने कहा कि महिला के हंगामा करने पर उससे शांत रहने की अपील की गई थी। बाकी पैसेंजर्स की सुरक्षा को देखते हुए उसे हंगामा न करने के लिए कहा गया, लेकिन वह हिंसक हो गई थी। इसलिए फ्लाइट लैंड होने पर तत्काल कार्रवाई की गई और उसे पुलिस को सौंप दिया गया।
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81 साल के आसाराम को रेप केस में उम्रकैद:सूरत की महिला से किया था दुष्कर्म
अहमदाबाद। सूरत की एक महिला से रेप के मामले में 81 साल के आसाराम को मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। गुजरात के गांधीनगर सेशन कोर्ट ने आसाराम को सोमवार को दोषी करार दिया था। इससे पहले जोधपुर कोर्ट ने 25 अप्रैल 2018 को यूपी की एक नाबालिग से रेप के मामले में आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तब से वह जोधपुर की जेल में बंद है।
10 साल से जेल में बंद आसाराम के खिलाफ दुष्कर्म का यह मामला 22 साल पुराना है। तब अक्टूबर 2013 में अहमदाबाद के चांदखेड़ा थाने में FIR दर्ज हुई थी। FIR के मुताबिक, महिला के साथ अहमदाबाद शहर के बाहर बने आश्रम में 2001 से 2006 के बीच कई बार दुष्कर्म किया गया। महिला तब आसाराम के आश्रम में थी। मामले में पुलिस ने जुलाई 2014 में चार्जशीट दाखिल की थी।
इस केस में आसाराम की पत्नी समेत 6 अन्य आरोपी थे। कोर्ट ने आसाराम को दोषी माना। आरोपियों में से एक की मौत हो गई थी। कोर्ट ने बाकी 5 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। सरकारी वकील आर.सी. कोड़ेकर ने बताया कि आसाराम को धारा 342, 357, 376, 377 के तहत सजा सुनाई गई। कोर्ट ने पीड़ित को 50 हजार रुपए मुआवजा देने का भी आदेश दिया है।
दो बहनों में से छोटी ने आसाराम के बेटे नारायण साईं और बड़ी बहन ने आसाराम के खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज कराई थी। बड़ी बहन की शिकायत गांधीनगर ट्रांसफर होने के कारण आसाराम पर गांधीनगर में मुकदमा चला, जिसमें सोमवार को कोर्ट ने आसाराम को दोषी करार दिया है। सरकारी वकील आरसी कोडेकर और सुनील पंड्या ने यह जानकारी दी।
पीड़िता के मुताबिक, आसाराम ने उसके साथ गुरु पुर्णिमा के दिन दुष्कर्म किया था। आसाराम ने इसी दिन उसे वक्ता के रूप में चुना था। इसके बाद आसाराम के फार्म हाउस शांति वाटिका में मुझे बुलाया गया। आश्रम का एक अन्य व्यक्ति मुझे फार्म हाउस ले गया। जहां आसाराम ने हाथ-पैर धोकर मुझे कमरे के अंदर बुलाया।
बाद में मुझे एक कटोरी घी मंगवाने को कहा। इसके बाद आसाराम ने सिर की मालिश करने को कहा। मालिश करते समय ही आसाराम ने गंदी हरकतें करनी शुरू कर दी। मैंने भागने की कोशिश की लेकिन आसाराम ने मेरे साथ मारपीट की। इसके बाद आसाराम ने जबरन दुष्कर्म के बाद अप्राकृतिक दुष्कर्म भी किया।
28 फरवरी, 2014 को सूरत की दो पीड़ित बहनों में से एक के पति पर जानलेवा हमला किया गया था। इसके 15 दिन बाद आसाराम के वीडियोग्राफर राकेश पटेल पर भी जानलेवा हमला किया गया। हमले के कुछ दिनों बाद सूरत के एक कपड़ा मार्केट में गवाह दिनेश भगनानी पर तेजाब फेंक दिया गया। ये तीनों गवाह हमले में बच गए थे। 23 मार्च 2014 को एक गवाह अमृत प्रजापति को गोली मार दी गई। 17 दिनों के इलाज के बाद अमृत की मौत हो गई थी।
जनवरी 2015 में एक अन्य गवाह अखिल गुप्ता की मुजफ्फरनगर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। एक महीने बाद, आसाराम के निजी सहायक के रूप में काम करने वाले राहुल सचान पर हमला किया गया। जोधपुर कोर्ट में गवाही देने पहुंचे राहुल पर कोर्ट परिसर में जानलेवा हमला किया गया। राहुल सचान हमले में बच गए, लेकिन 25 नवंबर 2015 को लापता हो गए और तब से उनका कोई पता नहीं चला है।
गवाहों पर हमलों का सिलसिला जारी रहा और 13 मई 2015 को पानीपत में महेंद्र चावला पर हमला किया गया। हालांकि, हमले में महेंद्र की जान बच गई थी। इसके तीन महीने बाद एक अन्य गवाह 35 वर्षीय कृपाल सिंह की जोधपुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कृपाल सिंह ने जोधपुर कोर्ट में पीड़िता के पक्ष में गवाही दी थी।
आसाराम का असली नाम आशुमल हरपलानी है। उसका जन्म अप्रैल 1941 में सिंध, पाकिस्तान के बेरानी गांव में हुआ था। 1947 के विभाजन के बाद परिवार अहमदाबाद में बस गया था। 1960 के दशक में आसाराम ने लीलाशाह को अपना गुरु बनाया था। आसाराम ने दावा किया कि गुरु ने उसे आसुमल की जगह आसाराम नाम दिया है। 1972 में आसाराम ने अहमदाबाद से दस किलोमीटर दूर मोटेरा गांव के पास साबरमती नदी के किनारे अपनी छोटी सी झोपड़ी बनाई।
शुरुआत में आसाराम ने अपने 'व्याख्यान, देशी औषधि और भजन-कीर्तन' से गुजरात के गांवों के गरीब, पिछड़े और आदिवासी लोगों को आकर्षित किया। बाद में धीरे-धीरे इसका प्रभाव गुजरात के शहरी क्षेत्रों के मध्यम वर्ग में भी बढ़ने लगा। शुरुआती वर्षों में आसाराम के व्याख्यानों के बाद प्रसाद के नाम पर मुफ्त भोजन दिया जाता था।
आसाराम के फॉलोअर्स की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी और गुजरात के कई शहरों और देश के विभिन्न राज्यों में भी उसके आश्रम खुलने लगे। दो-तीन दशकों में आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं ने मिलकर देश-विदेश में 400 आश्रमों का साम्राज्य खड़ा कर लिया था। जैसे-जैसे आश्रमों और अनुयायियों की संख्या बढ़ती गई, आसाराम की संपत्ति बढ़ने लगी। उसके करीब 10 हजार करोड़ की संपत्ति बताई गई थी।
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खुला के तहत तलाक लेने फैमिली कोर्ट जाएं मुस्लिम महिलाएं
चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा मुस्लिम महिलाओं के तलाक से जुड़ा एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि शरीयत काउंसिल न तो अदालत हैं और न ही मध्यस्थ, इसलिए वे खुला के तहत तलाक को प्रमाणित नहीं कर सकती हैं। जस्टिस सी सरवनन ने शरीयत काउंसिल के ‘खुला’ सर्टिफिकेट को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया।
कोर्ट ने महिला और उसके पति को उनके बीच चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए तमिलनाडु लीगल सर्विस अथॉरिटी या फैमिली कोर्ट जाने का निर्देश दिया है।
बेंच ने आगे कहा कि मुस्लिम महिला, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 के तहत मान्यता प्राप्त ‘खुला’ (तलाक का एक प्रकार) के लिए फैमिली कोर्ट जा सकती है। बेंच ने बदर सईद बनाम भारत संघ मामले का हवाला देते हुए कहा कि कि इससे पहले भी हाईकोर्ट ने काजियों जैसे निकायों को खुला के जरिए तलाक सर्टिफिकेट जारी करने से रोक दिया था।
यह पूरा मामला:-मद्रास हाईकोर्ट मोहम्मद रफीक नाम के शख्स की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें तमिलनाडु सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1975 के तहत रजिस्टर्ड शरीयत काउंसिल के दिए हुए ‘खुला’ सर्टिफिकेट को रद्द करने की मांग की गई थी। काउंसिल ने खुला का सर्टिफिके सईदा बेगम को दिया था। सईदा के पति ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि उसकी पत्नी को दिया गया सर्टिफिकेट कानूनन सही नहीं है।
रफीक का कहना था कि फतवा या खुला जैसी चीजें कानूनी तौर पर वैध नहीं है। ऐसे आदेश किसी शख्स पर नहीं थोपे जा सकते।