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पुलिस के सामने हत्या के आरोपी को कार में बैठाकर फरार, पुलिस की गाड़ी को टक्कर मारी

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नर्मदापुरम। नर्मदापुरम में हत्या के आरोपी को पकड़ने आई हरदा पुलिस पर कार चढ़ाने की कोशिश की गई। आरोपी को उसका मामा कार में बैठाकर वेयर हाउस का गेट तोड़ते हुए ले गया। इस बीच पुलिस की प्राइवेट कार में टक्कर भी मारी। एक पुलिसकर्मी की आंख में चोट आई है। आरोपी के रिश्तेदारों ने पुलिस को धमकाते हुए कहा कि 6 महीने बाद हमारा राज आएगा, तब देख लेंगे।
मामला जिले के सिवनी मालवा थाने के गाडरिया गांव का है। हरदा में अनिल माणिक हत्याकांड का मुख्य आरोपी धर्मेंद्र पटेल आकर गाडरिया में छिपा हुआ था। अनिल, धर्मेंद्र का डंपर चलाता था। बैटरी चोरी के आरोप में धर्मेंद्र ने दूसरे आरोपियों के साथ मिलकर उसकी बैट से पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इसे हादसा साबित के लिए उसके शव को रोड पर फेंक दिया था। धर्मेंद्र हरदा से जनपद पंचायत अध्यक्ष रेवा पटेल का पति है। प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल का रिश्तेदार भी है।
हरदा के टिमरनी थाना टीआई सुशील पटेल के मुताबिक, आरोपी के गाडरिया गांव में छिपे होने की सूचना पर गिरफ्तारी के लिए पहुंचे थे। विवाद की सूचना देने के एक घंटे तक स्थानीय थाने सिवनी मालवा से पुलिस नहीं पहुंच पाई। दबाव के कारण आखिर में टिमरनी पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा। सिवनी मालवा थाने में गाडरिया के विजय पटेल (आरोपी का मामा) पर केस कराया है।
FIR :- टिमरनी थाना की करताना पुलिस चौकी में पदस्थ शैलेंद्र धुर्वे ने सिवनी मालवा थाने में FIR दर्ज कराई। इसमें बताया कि अनिल माणिक हत्याकांड के मुख्य आरोपी धर्मेंद्र उर्फ धरमू पिता मोहन पटेल के सिवनी मालवा थाने के गाडरिया स्थित विजय पटेल के खेत में बने वेयरहाउस में छिपे होने की सूचना मिली थी। उसकी गिरफ्तारी के लिए मैं और थाना टिमरनी टीआई सुशील पटेल, एसआई मनीष चौधरी, अमित भारद्वाज, एएसआई राजेश रघुवंशी, शांतिलाल, महेंद्र रघुवंशी, नीलेश तिवारी, शैलेंद्र राजपूत के साथ मुखबिर की सूचना पर 29 जनवरी की रात 10.45 बजे गाडरिया में वेयरहाउस के पास पहुंचे।
हम उसे पकड़ने के इंतजार में थे कि विजय सिंह जाट (पटेल) उसके साथ धर्मेंद्र जाट (पटेल) कार एमपी 04 ईसी 1937 में बैठकर निकल रहे थे। पुलिस ने गाड़ी को रोकने का प्रयास किया तो विजय जाट ने गाड़ी नहीं रोकी और हमारी गाड़ी को टक्कर मारी, इससे गाड़ी का गेट उसकी आंख के पास टकराया है। उसकी दाहिने आंख के पास चोट लगी है। फिर विजय सिंह तेज स्पीड में गाड़ी को दौड़ाते हुए गाडरिया में अपने घर पहुंच गया।
पुलिस भी पीछा करते हुए विजय पटेल घर के सामने आकर रुकी। घर का दरवाजा अंदर से बंद था। 7-8 लोग भी इकट्‌ठा हो गए। पुलिस ने बड़ी मुश्किल से दरवाजा खुलवाया, तो अंदर विजय पटेल था। वह पुलिस को देखकर चिल्लाते हुए गालियां देने लगा। विजय से पूछा कि धर्मेंद्र अभी तुम्हारे साथ था, वो कहा है? उसने कहा कि उसके घर जाकर तलाश कर लो। विजय पटेल ने धमकी दी कि 6 महीने बाद हमारा राज होगा, तब पूरे स्टाफ को देख लूंगा। तुम अभी यहां से चले जाओ, वरना ठीक नहीं होगा। दबाव के चलते टिमरनी टीआई सुशील पटेल स्टाफ को लेकर गांव से लौट गए। पुलिस ने इस मामले में आरोपी विजय पटेल के खिलाफ धारा 353, 332, 425, 212 के तहत केस दर्ज किया है।
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महाकाल मंदिर में प्रोटोकॉल व्यवस्था समाप्त:1 फरवरी से व्यवस्था लागू होगी, अब दर्शन करने पर देना होंगे 250 रुपए
उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर में अब प्रोटोकॉल के तहत दर्शन करने के लिए जाने वाले दर्शनार्थियों को 250 रुपए का शुल्क चुकाना होगा। मंदिर प्रशासन ने यह व्यवस्था 1 फरवरी से लागू की है। हालांकि, शासन के प्रोटोकॉल में आने वाले अति विशिष्ट दर्शनार्थियों के लिए दर्शन व्यवस्था निशुल्क ही रहेगी।
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में अभी तक विभिन्न विभागों को प्रोटोकॉल के माध्यम से दर्शन कराने के लिए कोटा निर्धारित है। इस व्यवस्था के माध्यम से आने वाले श्रद्धालुओं को प्रोटोकॉल के तहत निशुल्क रूप से शीघ्र दर्शन कराए जाते थे। प्रोटोकॉल व्यवस्था को समाप्त करने के लिए 27 जनवरी को हुई मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में खाका तैयार कर निर्णय लिया गया था। शुल्क को लेकर निर्धारण होना था।
सोमवार देर रात को इस व्यवस्था को 1 फरवरी से लागू करने का निर्णय लिया गया। अब प्रोटोकॉल व्यवस्था में शासन के प्रोटोकॉल की श्रेणी में आने वाले अति विशिष्ट अतिथियों को ही निशुल्क दर्शन करने की व्यवस्था रहेगी। इसके अलावा सत्कार व्यवस्था के अंतर्गत आने वाले दर्शनार्थियों से गजट प्रावधान के अनुसार 250 रुपए प्रति व्यक्ति भेंट राशि लेने के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा। मंदिर समिति ने यह व्यवस्था 1 फरवरी से मंदिर में लागू करने कि सूचना भी जारी कर दी है।
निशुल्क प्रवेश की पात्रता इन्हें रहेगी :- श्री महाकालेश्वर मंदिर में 1 फरवरी से लागू हो रही व्यवस्था में दर्शन के लिए आने वाले साधु, संत-महंत, महामंडलेश्वर, शंकराचार्य, पीठाधीश्वर, धर्माचार्य, प्रेस क्लब के सदस्य, अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार (स्वयं) सत्कार व्यवस्था के अंतर्गत निशुल्क शीघ्र दर्शन व्यवस्था से प्रवेश कर सकेंगे। इसके अलावा अति विशिष्ट व्यक्ति, जो शासन के प्रोटोकॉल श्रेणी में आते हैं, उन्हें भी निशुल्क प्रवेश दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त किसी भी माध्यम से कोई दर्शनार्थी प्रोटोकॉल के तहत दर्शन के लिए आते हैं, तो 250 रुपए प्रति व्यक्ति रसीद लेना अनिवार्य होगा।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में मंदिर प्रशासन द्वारा अभी तक शासन के विभिन्न विभागों, प्रेस, न्यायिक विभाग, राजनीतिक दल के लिए प्रोटोकॉल के तहत दर्शन को जाने वाले श्रद्धालुओं का कोटा निर्धारित किया गया था। इस व्यवस्था के बाद भी देखा गया कि जो श्रद्धालु प्रोटोकॉल के तहत व्यवस्था में नहीं आते थे, उन्हें भी निशुल्क दर्शन कराए जा रहे थे। वहीं प्रोटोकॉल से दर्शन कराने के नाम पर पैसे लेने की शिकायत भी मिलने लगी थी। इस कारण मंदिर की व्यवस्थाएं बिगड़ रही थी। दूसरी परेशानी यह थी कि मंदिर में प्रोटोकॉल के तहत आने वाले दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही थी, जिसके कारण सामान्य दर्शनार्थियों को भी दर्शन के दौरान असुविधा होती थी। मंदिर के अधिकारियों ने कई दिन तक इस व्यवस्था पर नजर रखने के बाद प्रोटोकॉल समाप्त करने के लिए मंदिर प्रबंध समिति में प्रस्ताव रखा था।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में सभी तरह की प्रोटोकॉल व्यवस्था समाप्त करने के बाद केवल अति विशिष्ट लोगों को ही प्रोटोकॉल के दायरे में रखा गया है। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद माना जा रहा है कि प्रोटोकॉल से दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम होगी। वहीं सामान्य श्रद्धालुओं को दर्शन करने में सहजता रहेगी। हालांकि, यह व्यवस्था कितने दिन चल सकेगी यह समय अनुसार ही तय हो पाएगा।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में इसके पहले मंदिर प्रबंध समिति की बैठक 3 सितंबर 2021 में निर्णय लेकर प्रोटोकॉल पद 100 रूपए शुल्क लागू किया था। इसके लिए हरिफाटक ब्रिज के नीचे प्रोटोकाल का नया ऑफिस भी खोला गया था। शुल्क लगाने के विरोध के बाद करीब पांच महिने बाद ही 16 फरवरी 2022 को प्रबंध समिति न महाशिवरात्रि पर्व के पहले महाकाल दर्शन के लिए वीआइपी दर्शनार्थियों के लिए लागू किए गए 100 रुपए शुल्क को समाप्त कर दिया है। साथ ही वीआइपी प्रवेश के लिए कुछ शर्ते भी लागू की हैं। प्रोटोकॉल के तहत आने वाले सदस्यों को सीमित संख्या में प्रवेश दिया जाएगा
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शराब दुकान के खिलाफ उमा का सुंदरकांड पाठ,उमा बोलीं- ये शराब दुकान भाजपा के लिए शर्मनाक
भोपाल। भोपाल का अयोध्या नगर इलाका। यहां के प्राचीन हनुमान और दुर्गा मंदिर में बीते तीन दिन से कुछ ज्यादा हलचल है। यहां 29 जनवरी से पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा नेता उमा भारती ने डेरा डाल रखा है। मंदिर के ठीक सामने रोड की दूसरी तरफ एक शराब दुकान है। उमा का विरोध इस दुकान के साथ ही प्रदेश की शराब नीति को लेकर है। उनके विरोध को देखते हुए पहले पर्दा लगाकर शराब दुकान को ढंक दिया गया था, वहीं मंगलवार को दुकान को बंद भी कर दिया गया। उमा का कहना है कि अगर प्रदेश की शराब नीति हमारे अनुरूप नहीं आई तो शराब दुकानों पर जो होगा वो नजीर बनेगा।
उमा भारती जिस मंदिर में रुकीं हैं, वहां प्लाइवुड से अस्थाई कुटिया बनाई गई है। उनके खाने-पीने का इंतजाम स्थानीय लोग कर रहे हैं। मंदिर में आज तीसरे दिन भी धार्मिक कार्यक्रम हो रहे हैं। आज यहां सुंदरकांड पाठ रखा गया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। इसके लिए सड़क की एक साइड को बैरिकेड लगाकर बंद कर टेंट लगाया गया है।
उमा ने कहा- इस मंदिर के सामने जो दुकान है, वो पुलिस विभाग की जमीन है। यानी जिस जमीन पर थाना बनना था, जहां शराब रुकवा कर कानून व्यवस्था बनाने का काम होना था, वहीं शराब बिक रही है। ये मेरे लिए और भाजपा के लिए शर्मनाक है। मेरा विरोध अकेले इस दुकान को लेकर नहीं है। मेरा विरोध मप्र की 18 हजार शराब दुकानों को लेकर है। मैं तो इन दुकानों को बंद कराना चाहती थी। देश में दो राज्य हैं गुजरात और बिहार, यहां शराब बंद है। लेकिन, मप्र की सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। उमा ने कहा ये धरना नहीं था। अयोध्या नगर से मेरा लगाव है। यहां के लोग इस शराब दुकान के कारण परेशान हैं।
दुकान बंद होने को लेकर उमा भारती ने कहा, पुलिसवालों को डर रहा था कि कहीं दीदी रात में दुकान में आग न लगा दें। मैं किसी एक दुकान के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन अगर शराब नीति में हमारे अनुकूल नहीं आई, तो फिर जो होगा, उसको कोई रोक नहीं पाएगा। फिर वो हजारों दुकानों पर होगा। वो एक नमूना होगा इस बात का कि लोकतंत्र में अगर जनता की आवाज नहीं सुनोगे तो उसके परिणाम क्या होते हैं। उन्होंने कहा, अभी पता चला है कि शराब नीति पर फैसला एक-दो दिन के लिए टाल दिया गया है। आज मैं यहां से बुंदेलखंड की अयोध्या ओरछा जा रही हूं। शराब नीति पर सरकार का फैसला ओरछा में रहकर सुनेंगे। वहां जो नियम विरुद्ध शराब की दुकान खुली है उसमें 11 गायों को बांधकर मधुशाला में गौशाला की शुरुआत करेंगी।
शराब नीति में संशोधन और शराबबंदी की मांग को लेकर मंदिर में डेरा डालकर बैठीं उमा भारती की मौजूदगी के बाद जब दैनिक भास्कर की टीम शराब दुकान पर पहुंची, तो देखा कि आसपास ठेके के कर्मचारी घूम रहे हैं। एक कर्मचारी अनिल पयासी ने बताया कि दुकान तीन दिन (हालांकि लोग आज ही दुकान बंद होने की बात कह रहे हैं) से बंद है। दोनों दुकानों (देसी और विदेशी शराब) से रोजाना करीब 7 लाख रुपए की शराब बिकती है। तीन दिन से शराब की दुकानें बंद होने की वजह से करीब 21 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। दीदी (उमा भारती) की आपत्ति पर हमें जानकारी नहीं है। दुकान बंद करने को लेकर प्रशासनिक आदेश नहीं मिला, लेकिन सामने दीदी का धरना-प्रदर्शन चल रहा है। कोई बलवा, विवाद की स्थिति न बने, इसलिए हमने ये दुकान खुद बंद कर रखी है। अब देखते हैं कि उनका धरना कब तक चलता है।
अयोध्या नगर चौराहे पर बने मंदिर में हनुमान जी और दुर्गा जी समेत अन्य देवी-देवताओं के मंदिर हैं। मंदिर में तीन दिन से उमा भारती धार्मिक आयोजन करा रहीं हैं। सुबह 9.30 से दोपहर 1 बजे तक दुर्गा सप्तशती का पाठ हो रहा है। दोपहर 2 बजे से 3.30 बजे तक शिवार्चन और शाम 3.45 से 5 बजे तक सुंदरकांड का पाठ हो रहा है। मंगलवार को सुंदरकांड के सामूहिक पाठ का कार्यक्रम रखा गया है। इसके लिए सड़क की एक साइड पर बैरिकेडिंग करके टेंट लगाया गया है।
उमा के लिए मंदिर में बने अस्थाई आवास में स्थानीय रहवासी और उनके पुराने परिचित खाने-पीने की व्यवस्था कर रहे हैं। रीगल टेजर निवासी एसएल चौरसिया आज सुबह उमा के लिए चिली गोभी और आलू के पराठे, इडली सांभर लेकर पहुंचे। एसएल चौरसिया ने बताया कि उमा भारती से 30 साल से जुडे़ हैं। जब वे बचपन में प्रवचन करतीं थीं, तब से संपर्क है। उमा के बडे़ भाई हरबल सिंह के साथ बिलासपुर में हम दोनों सब इंजीनियर थे। हम पारिवारिक तौर पर भी जुडे़ हुए हैं।
अयोध्या नगर के रहने वाले रिटायर्ड डीएसपी एसएन मुखर्जी कहते हैं कि शराब परिवारों को बर्बाद कर रही है। मंदिरों के सामने शराब दुकान श्रद्धालुओं की भावनाएं तो आहत करती ही है, साथ ही महिलाओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सम्मेद शिखर जी को लेकर जो आंदोलन हुआ, वो बड़ा उदाहरण है। सम्मेद शिखर में यदि पर्यटन क्षेत्र बनता, तो वहां शराब, मांस का व्यापार भी होता। जैन धर्म की भावनाओं के अनुरूप उस फैसले पर रोक लगाई गई। इसी तरह उमा जी का ये अभियान भी सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से सही है। वहीं स्थानीय लोग कहते हैं कि उमा जी के मंदिर में डेरे की वजह से सड़क की आज एक साइड पूरी तरह बंद है। ऐसे में बार-बार जाम की स्थिति बन रही है।