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RBI ने बैंकों से पूछा-अडाणी ग्रुप को कितना कर्ज दिया:संसद में हंगामा

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अडाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर गुरुवार को संसद में जमकर हंगामा हुआ। पूरे विपक्ष ने अडाणी ग्रुप के वित्तीय लेनदेन की जांच संसदीय पैनल (JPC) या सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से कराने की मांग की। इस मुद्दे पर हंगामे के चलते लोकसभा और राज्यसभा को कार्यवाही शुरू होते ही पहले दोपहर 2 बजे तक और फिर अगले दिन तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
इधर, RBI ने सभी बैंकों से अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) को दिए कर्ज की जानकारी मांगी है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि RBI के अफसरों ने नाम न बताने की शर्त पर यह जानकारी दी है। वहीं, शेयर मार्केट में भी अडाणी ग्रुप के शेयर्स में 10% तक की गिरावट देखी गई।
बुधवार देर रात अडाणी ग्रुप ने 20 हजार करोड़ रुपए के फुली सबस्क्राइब्ड FPO को रद्द कर इन्वेस्टर्स का पैसा लौटाने की बात कही थी। बुधवार को अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 26.70% गिरकर 2179.75 पर बंद हुआ था। इस गिरावट को ही FPO वापस लेने की वजह माना जा रहा है।
गौतम अडाणी ने FPO रद्द करने के बाद एक वीडियो मैसेज दिया। इसमें इन्वेस्टर्स का शुक्रिया अदा किया। कहा, 'पिछले हफ्ते स्टॉक में हुए उतार-चढ़ाव के बावजूद कंपनी के बिजनेस और उसके मैनेजमेंट में आपका भरोसा हमारे लिए आश्वासन देने वाला है। मेरे लिए मेरे निवेशकों का हित सर्वोपरि है। बाकी सब कुछ सेकेंडरी है। इसलिए निवेशकों को संभावित नुकसान से बचाने के लिए हमने FPO वापस ले लिया है। बोर्ड ने महसूस किया कि FPO के साथ आगे बढ़ना नैतिक रूप से सही नहीं होगा।'
अडाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को लेकर कांग्रेस, TMC, आम आदमी पार्टी, सपा, DMK, जनता दल और लेफ्ट समेत 13 विपक्षी पार्टियों ने मीटिंग की। यह बैठक राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के चैंबर में हुई। इनमें से 9 पार्टियों ने राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि लोगों की मेहनत का पैसा बर्बाद हो रहा है। लोगों का विश्वास बैंक और LIC से उठ जाएगा। कुछ कंपनियों के शेयर लगातार गिरते जा रहे हैं। सभी पार्टियों के नेताओं ने मिलकर एक फैसला लिया है कि आर्थिक दृष्टि से देश में जो घटनाएं हो रही हैं उसे सदन में उठाना है, इसलिए हमने एक नोटिस दिया था। हम इस नोटिस पर चर्चा चाहते थे, लेकिन जब भी हम नोटिस देते हैं तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है।
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बजट के बाद सोना में 700 रुपए की तेजी, चांदी भी 71 हजार के पार
नई दिल्ली। बजट के बाद गुरुवार को गोल्ड (सोना) 700 रुपए की तेजी के बाद ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) की वेबसाइट के मुताबिक, सोना 779 रुपए की तेजी के बाद 58 हजार 689 रुपए प्रति 10 ग्राम पर है। इससे पहले बुधवार को सोना 57 हजार 910 रुपए पर बंद हुआ था।
उधर चांदी की बात करें तो इसकी कीमत में भी आज शानदार तेजी देखने को मिली। सर्राफा बाजार में ये 1,805 रुपए महंगी होकर 71 हजार 250 रुपए प्रति किग्रा पर पहुंच गई है। 1 फरवरी को ये 69 हजार 445 हजार पर थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को बजट में सोने और इमिटेशन ज्वेलरी पर सीमा शुल्क 20% से बढ़कर 25%, चांदी पर 7.5% से 15% करने का ऐलान किया था। इसके बाद ही भारतीय बाजार में सोने के दाम बढ़ने लगे।
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक, केंद्रीय बैंकों की तरफ सोने की खरीदारी बढ़ना सकारात्मक संकेत है। इससे सोने की कीमतों को सपोर्ट मिलेगा। अजय केडिया ने कहा कि 2023 में सोना 64,000 रुपए तक पहुंच सकता है।
आज से एक साल पहले यानी 1 फरवरी 2022 को 48 हजार 8 रुपए प्रति 10 ग्राम पर था, जो अब पर 58 हजार 689 रुपए पर पहुंच गया है। यानी बीते 1 साल में इसकी कीमत में 10,681 रुपए (20%) की तेजी आई है।
आप सोना और चांदी का भाव आसानी से घर बैठे पता लगा सकते हैं। इसके लिए आपको सिर्फ 8955664433 नंबर पर मिस्ड कॉल देना है और आपके फोन पर मैसेज आ जाएगा। इसमें आप लेटेस्ट रेट्स चेक कर सकते हैं।
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उपराष्ट्रपति-कानून मंत्री के खिलाफ बॉम्बे HC में PIL दाखिल:लॉयर्स एसोसिएशन ने कहा- दोनों को अयोग्य घोषित किया जाए
मुंबई। बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में PIL दाखिल की है। याचिका में दावा किया गया है कि धनखड़ और रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा को कम किया है। ऐसे में दोनों को उनके आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोका जाए।
याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट यह भी घोषित करे कि दोनों के बयानों में भारत के संविधान के प्रति अविश्वास दिखता है, जिसके चलते वे संवैधानिक पदों पर रहने के योग्य नहीं हैं। बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अहमद आबिदी की ओर से यह याचिका कोर्ट में दाखिल की गई है। जल्द ही हाई कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई करेगी।
दरअसल, किरेन रिजिजू कई बार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने सीजेआई को लेटर लिखकर कॉलेजियम में सरकार का प्रतिनिधि शामिल करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि सिस्टम में पारदर्शिता आएगी और जनता के प्रति जवाबदेही भी तय होगी।
किरण रिजिजू ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि कॉलेजियम सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी है। उन्होंने कहा था कि हाईकोर्ट में भी जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में संबंधित राज्य सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
वहीं, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1973 के ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाए थे। इसके साथ ही दिसंबर 2022 में धनखड़ ने NJAC अधिनियम रद्द होने पर उसे लोगों के जनादेश की अवहेलना कहा था। फैसले में कोर्ट की टिप्पणी पर धनखड़ ने कहा था कि “क्या हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं” इस सवाल का जवाब देना मुश्किल होगा।