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न्यायालय के आदेश पर एनएचएआइ और एसडीएम कार्यालय की संपति कुर्क की गई

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खंडवा । करीब दो साल से मुआवजे के लिए परेशान हो रहे किसान के लिए सोमवार को राहतभरा फैसला आया। किसान के पक्ष में फैसला देते हए जिला एवं सत्र न्यायालय ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) की दलीलों को खारिज कर दिया। न्यायालय के आदेश पर एनएचएआइ और एसडीएम कार्यालय की संपति कुर्क की गई। अब इस मामले में अगली सुनवाई 16 फरवरी को होगी। कोर्ट के आगामी आदेश तक संपति कुर्क रहेगी। किसान रामेश्वर पटेल के अधिवक्ता अभिषेक पाराशर ने बताया-इंदौर-ऐदलाबाद फोरलेन निर्माण में जमीन अधिग्रहण को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की थी।
13 जुलाई को पंधाना एसडीएम ने किसान रामेश्वर पुत्र घीसाजी पटेल को बगीचे में लगे अमरूद के वृक्षों, पाइप लाइन और अन्य संसाधनों जोकि गाइडलाइन अंतर्गत साढ़े चार एकड़ जमीन के लिए दो करोड़ 44 लाख 58 हजार रुपये का अवार्ड पारित किया था। एनएचएआइ ने मध्यस्थता के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था जिसे एसडीएम न्यायालय ने खारिज कर दिया था। इसके बाद एनएचएआइ ने पारित अवार्ड को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने पारित अवार्ड की राशि आधी कर दी थी।
हाईकोर्ट के इस फैसले पर किसान रामेश्वर पटेल सहमत हो गया था, लेकिन इसके बाद एनएचएआइ ने कलेक्टर कार्यालय में अपील की। यहां उसे किसी तरह की राहत नहीं मिली। इस मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय ने किसान के पक्ष में फैसला देते हुए हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। एनएचएआइ को आदेश दिया कि वह किसान को एक करोड़ 47 लाख रुपये का मुआवजा दें लेकिन अभी तक किसान को उसकी जमीन का मुआवजा नहीं मिला है। इस मामले में न्यायालय ने एनएचएआइ की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया था।
सोमवार को खंडवा में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के परियोजना निदेशक के इंदौर रोड पर दादाजी कालेज के पास सिद्धी विनायक कालोनी में किराये के मकान में संचालित कार्यालय और पंधाना एसडीएम कार्यालय की संपति कुर्क की गई है। कार्यालय में रखे टेबल कुर्सी समेत समस्त फर्नीचर, कंप्यूटर, प्रिंटर, फोटोकापी, मशीन, फ्रिज सहित कार्यालयीन शासकीय वाहन कुर्क करने की कार्रवाई की है।
किसान रामेश्वर पटेल ने अपने खेत में अमरूद का बगीचा लगा रखा था। इसमें करीब 2100 पौधे थे। नेशनल हाईवे बनाने वाली कंपनी ने जमीन अधिग्रहण हो जाने से इन पौधों को काट दिया। इसके बदले में किसान को किसी तरह का मुआवजा नहीं दिया। मुआवजा निर्धारण में यह बात सामने आई कि किसान को 2100 पौधों से 20 साल तक आय होती। इसके अनुसार एक-एक पौधे की गाइडलाइन के हिसाब से अाय तय की गई। इसके मुताबिक ही मुआवजा भी तय किया गया, लेकिन एनएसएआइ ने किसान को मुआवजा नहीं दिया।
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मध्‍य प्रदेश के तीन बांधों के ढहने का खतरा, केंद्रीय जल आयोग ने तत्काल मरम्मत करवाने के दिए निर्देश
भोपाल । मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित कारम बांध के बीते साल टूटने के बाद केंद्रीय जल आयोग प्रदेशभर के बांधों की जांच करवा रहा है। इसमें प्रदेश में तीन ऐसे बांध पाए गए हैं, जिनके ढहने का खतरा है। इसमें नर्मदापुरम जिले में वर्ष 1981 में बना खोरीपुरा बांध, विदिशा जिले में वर्ष 1976 में बना सम्राट अशोक सागर बांध (हलाली बांध) और सागर जिले में वर्ष 1992 में बना नयाखेरा टैंक बांध शामिल है।
आयोग की टीम ने इनका निरीक्षण किया था और इनकी स्थिति को लेकर चेतावनी दी है। इन तीनों बांधों को केंद्रीय जल आयोग ने जोखिम की श्रेणी-एक में रखा है और जल संसाधन विभाग को डैम सेफ्टी एक्ट-2021 के तहत जारी गाइडलाइन अनुसार बांधों की मरम्मत करने के निर्देश दिए हैं।
इन तीनों बांधों में दरारें बताई गई हैं और पानी का लगातार रिसाव हो रहा है। यह आगामी वर्षाकाल में संकट बन सकता है। इधर, मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता बोधी अनिल सिंह ने तीनों बांधों से संबंधित धसान केन बेसिन सागर, चंबल बेतवा बेसिन भोपाल एवं होशंगाबाद बेसिन के मुख्य अभियंताओं को इन तीनों बांधों की मरम्मत करने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए कहा है।
कारम बांध टूटने के छह माह बाद भी बांध के पुनर्निर्माण बनाने का काम शुरू नहीं किया गया है। 12 अगस्त, 2022 को बांध से पानी का रिसाव होने लगा था। जिससे स्थिति चिंताजनक हो गई थी। पाल के बड़े हिस्से को तोड़कर पानी बहा दिया गया और स्थिति पर नियंत्रण पा लिया गया। मामले में आठ इंजीनियरों को निलंबित किया गया है। बता दें कि वर्ष 2018 में 304 करोड़ रुपये की लागत से कारम बांध बनाने का कार्य शुरू हुआ था और अगस्त, 2022 में बांध में दरार आ गई।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में वर्ष 1960 में बने मंदसौर जिले के गांधी सागर बांध को लेकर चेतावनी दी गई थी कि जल्द ही बांध की मरम्मत नहीं कराई गई तो उसका टूटना तय है। इससे राजस्थान और मध्य प्रदेश के आठ जिलों की 40 लाख की आबादी को खतरा बताया गया था। बांध की मरम्मत और सुधार को लेकर बांध सुरक्षा निरीक्षण पैनल की अनुशंसाएं 12 वर्ष से मध्य प्रदेश-राजस्थान और केंद्र सरकार के विभागों में धूल खा रही हैं।
इनका कहना है
वर्षा ऋतु के पहले और बाद में प्रदेश के बांधों की वस्तुस्थिति के साथ एक निरीक्षण प्रतिवेदन केंद्रीय जल आयोग को भेजा जाता है। यह प्रक्रिया प्रत्येक वर्ष की जाती है। गलती से इन तीन बांधों को जोखिम की श्रेणी-एक में रख दिया होगा, जिससे भ्रम की स्थिति हुई है और आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इसे ढहने योग्य बता दिया। हम रिपोर्ट में सुधारकर आयोग को इससे अवगत कराएंगे।
-एसएन मिश्रा, अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन विभाग, मध्य प्रदेश
प्रदेश के सभी बांध बेहतर स्थिति में है। वर्षा ऋतु के पहले और बाद में बांधों का निरीक्षण प्रतिवेदन केंद्रीय जल आयोग को भेजा जाता है। त्रुटिवश इन बांधों की गलत रिपोर्ट भेज दी होगी। हम अधिकारियों से बात कर इसे पुन: सुधारकर आयोग को भेजेंगे। कारम बांध का शीघ्र ही गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य कराया जाएगा।
- तुलसी सिलावट, मंत्री, जल संसाधन विभाग
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पानी गर्म करने के दौरान करंट लगने से वृद्ध दंपती की मौत
उज्जैन। चिंतामन थाना क्षेत्र के ग्राम लेकोड़ा में सोमवार सुबह करंट की चपेट में आने से वृद्ध दंपती की मौत हो गई। किचन में पानी गर्म करने की रॉड के साथ हीटर रखा मिला है। बिजली की तार भी खुले पड़े मिले। चिंतामन थाने के एएसआइ राधेश्याम भाबर ने बताया कि ग्राम लेकोड़ा में मोहनलाल चौधरी उम्र 68 वर्ष और उनकी पत्नी मनुबाई 65 वर्ष अकेले ही रहते थे। दोनों घर में ही किराने की दुकान संचालित करते थे। उनका कोई पुत्र तथा पुत्री नहीं था। रिश्तेदार आसपास निवास करते हैं। सोमवार सुबह करीब 6 बजे मोहनलाल के पड़ोसी ने उनसे बाइक की चाबी मांगी थी।
बाइक की चाबी देकर मोहनलाल ने दरवाजा बंद कर लिया था। इसके बाद सुबह करीब 8 बजे तक दुकान नहीं खुलने पर आसपास के लोग लोगों ने दरवाजा खटखटाया था। दंपती ने दरवाजा नहीं खुला तो लोगों ने खिड़की से झांक कर अंदर देखा। दोनों किचन में मृत अवस्था में पड़े थे। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। जांच में पता चला है कि किचन में पानी गर्म करने की राड तथा हीटर रखा हुआ था और तार खुले पड़े मिले थे। करंट लगने से दोनों की मौत हुई है। आशंका है कि एक को करंट लगने के बाद दूसरा बचाने पहुंचा और वह भी करंट की चपेट में आ गया। पुलिस ने फिलहाल मर्ग कायम कर जांच शुरू की है।
शवों का पीएम करने वाले डा. भोजराज शर्मा ने बताया कि बुजुर्ग के हाथों में करंट लगने के निशान मिले हैं। वहीं महिला के शव पर करंट के अलावा धारदार हथियार से चोट लगने के निशान मिले हैं। पेट व सिर पर निशान मिलने से मामला संदिग्ध लग रहा है। हालांकि पुलिस का कहना है कि दरवाजा अंदर से बंद था। आसपास के रहवासियों ने दरवाजा तोड़कर प्रवेश किया था। कमरे में महिला के सिर के नीचे खून से सनी चाय की केतली मिली है। आशंका है कि करंट लगने से गिरने के कारण उसके नीचे केतली आने से पेट व सिर पर चोट लगी होगी। दंपती के पास कोई अधिक संपत्ति नहीं थी। उनकी कोई संतान भी नहीं थी। दोनों का किसी से कोई विवाद भी नहीं था। इसलिए हत्या की आशंका नहीं है। हालांकि मामले की जांच की जा रही है।