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कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे बोले- PM मोदी जहरीले सांप जैसे,आप सोचेंगे यह जहर है या नहीं? उसे चखेंगे और मौत हो जाएगी

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बेंगलुरू। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जहरीला सांप कहा है। कर्नाटक के कलबुर्गी में गुरुवार काे चुनावी सभा को संबोधित करते हुए खड़गे ने कहा- PM मोदी जहरीले सांप की तरह हैं। आप सोच सकते हैं कि यह जहर है या नहीं, लेकिन यदि आप उसे चखेंगे, तो आपकी मौत हो जाएगी।
इसके बाद रोन में हुई सभा में खड़गे ने कहा कि भ्रष्ट भाजपा सरकार राज्य को लूट रही है। यहां हर काम के लिए 40% कमीशन वसूला जाता है। भाजपा की सरकार उन लोगों को देश से भगाने में मदद करती है, जिन पर घोटालों का आरोप लगा होता है। पीएम खुद भ्रष्ट लोगों को बचाने में लगे हैं।
बयान पर विवाद होने के बाद खड़गे ने सफाई देते हुए कहा- कि मैंने यह उनके (PM मोदी) बारे में नहीं कहा है। मैं कहना चाह रहा था कि उनकी विचारधारा सांप की तरह है, जिसे चाटने की कोशिश करेंगे तो मौत होनी तय है।
इससे पहले, PM ने आज कर्नाटक के 50 लाख बीजेपी कार्यकर्ताओं को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए कांग्रेस पर चुनावी वादे पूरे न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मतलब है झूठी गारंटी, कांग्रेस का मतलब है भ्रष्टाचार की गारंटी। इसके जवाब में खड़गे ने पूछा कि क्या पीएम मोदी के पास यह साबित करने के लिए कोई डेटा है कि कांग्रेस के वादे पूरे नहीं हुए।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि खड़गे के मन में जहर है। यह पीएम मोदी और बीजेपी के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित दिमाग है। यह सोच हताशा के कारण आती है क्योंकि वे पीएम से राजनीतिक रूप से लड़ने में असमर्थ है।
बीजेपी IT सेल के हेड अमित मालवीय ने खड़गे के बयान का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि इससे कांग्रेस की हताशा दिख रही है। कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम मोदी को जहरीला सांप कहा है। कांग्रेस लगातार गर्त में उतरती जा रही है। इस हताशा से पता चलता है कि कांग्रेस कर्नाटक में जमीन खो रही है।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी अध्यक्ष बनाया, लेकिन कोई भी उन्हें अध्यक्ष नहीं मानता। इसीलिए उन्होंने ऐसा बयान देने के बारे में सोचा। पीएम मोदी को लेकर दिया गया खड़गे का बयान सोनिया गांधी के बयान से भी बदतर है। बता दें कि 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को मौत का सौदागर कहा था।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पीएम मोदी को लेकर खड़गे के बयान के आलोचना की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया।
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SC का केंद्र से सवाल - समलैंगिक कपल की शादी को कानूनी मान्यता दिए बिना क्या अधिकार दे सकते हैं
नई दिल्ली। सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने वाली 20 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में छठे दिन की सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है कि वे बताएं कि समलैंगिक जोड़ों की शादी को कानूनी मान्यता न दी जाए तो इससे उन्हें क्या-क्या फायदा होगा। मामले की अगली सुनवाई 3 मई को होगी।
इससे पहले केंद्र का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने पूछा कि समलैंगिक विवाह में पत्नी कौन होगा, जिसे भरण-पोषण का अधिकार मिलता है। गे या लेस्बियन मैरिज में पत्नी किसे कहेंगे।
इस पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर यह जिक्र सेम सेक्स मैरिज में लागू करने के लिए किया जा रहा है तो इसके मायने हैं कि पति भी रखरखाव का दावा कर सकता है, लेकिन अपोजिट जेंडर वाली शादियों में यह लागू नहीं होगा।
सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस रवींद्र भट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की संवैधानिक बेंच कर रही है।
स्पेशल मैरिज एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट
सरकार को इस मुद्दे को हल करने के लिए मजबूर किया जा रहा है क्योंकि अगर ज्यूडीशियरी इसमें एंट्री करती है, तो यह एक कानूनी मुद्दा बन जाएगा।
सरकार बताए कि वह इस संबंध में क्या करने का इरादा रखती है और कैसे वह ऐसे लोगों की सुरक्षा और कल्याण के काम कर रही है।
CJI ने यह भी कहा कि समलैंगिकों को समाज से बहिष्कृत नहीं किया जा सकता है।
जस्टिस नरसिम्हा ने कहा- जब हम मान्यता कहते हैं, तो यह हमेशा शादी के रूप में मान्यता नहीं हो सकती है। मान्यता का मतलब है, जो उन्हें कुछ लाभों के लिए हकदार बनाए।
जस्टिस भट बोले- मान्यता कुछ ऐसी होनी चाहिए जो उन्हें लाभ दे।
SG तुषार मेहता की दलीलें...
स्पेशल मैरिज एक्ट केवल अपोजिट जेंडर वालों के लिए है। अलग आस्थाओं वालों के लिए इसे लाया गया। सरकार बाध्य नहीं है कि हर निजी रिश्ते को मान्यता दे। याचिकाकर्ता चाहते हैं कि नए मकसद के साथ नई क्लास बना दी जाए। इसकी कभी कल्पना नहीं की गई थी।
सरकार को किसी रिश्ते को मान्यता देने में धीमा चलना होगा, क्योंकि इस स्थिति में वह सामाजिक और निजी रिश्ते के मंच पर होता है। देखा जाए तो अपोजिट जेंडरवालों में शादियों को नियंत्रित नहीं किया जाता है, लेकिन समाज को लगता है कि आप लोगों को किसी भी उम्र में और कई बार शादी की इजाजत नहीं दे सकते। ऐसी कई चीजें हैं।
अपोजिट जेंडर वाले समलैंगिकों को दिए जाने वाले बेनिफिट की मांग सकते हैं। यह भी हो सकता है कि अपोजिट जेंडर वाले शादीशुदा अदालत में आएंगे और कहेंगे कि मुझे वही लाभ मिले जो समलैंगिक जोड़ों को मिलता है, क्योंकि मैं भीतर से हेट्रोसेक्शुअल (विषमलैंगिक) हो सकता हूं, लेकिन मुझे कुछ और लगता है...।
पांच साल बाद क्या होगा, कल्पना करें। सेक्शुअल ऑटोनॉमी का हवाला देकर कोई अनाचार पर रोक लगाने वाले प्रावधानों को ही कोर्ट में चुनौती दे सकता है। इस पर CJI ने कहा कि ये तर्कसंगत नहीं है। कोई भी अदालत कभी भी इसका समर्थन नहीं करेगी।
समलैंगिक विवाह की मान्यता की मांग करने वाले स्पेशल मैरिज एक्ट को दोबारा लिखवाना चाहते हैं। याचिकाकर्ता अपनी जरूरत देख रहे हैं। क्या कोई एक्ट ऐसा हो सकता है कि एक तरफ वह अपोजिट जेंडर पर लागू हो और दूसरी तरफ समलैंगिकों पर। इसका कोई मतलब नहीं हो सकता।
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बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले, सेना के बैंड ने बजाईं धुनें, लोगों ने जय बद्री विशाल के नारे लगाए
ऋषिकेश। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा 22 अप्रैल से शुरू हो चुकी है। यात्रा के चौथे धाम बद्रीनाथ के कपाट गुरुवार को खुल गए हैं। सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर पहली पूजा की गई है। बद्रीनाथ धाम को 15 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया है। सुबह से ही बद्रीनाथ धाम के बाहर बर्फबारी हो रही है। इसके बाद भी सैकड़ों श्रद्धालु धाम के बाहर जुटे रहे।
इस दौरान आर्मी बैंड धुनें बजाता रहा और लोगों ने जय बद्री विशाल के नारे लगाए। इसके पहले आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर से पांडुकेश्वर को रवाना हुई थी।
बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही तप्तकुंड, नारद कुंड, शेष नेत्र झील, नीलकंठ शिखर, उर्वशी मंदिर, माता मूर्ति मंदिर, देश का पहला गांव माना, भीमपुल पर लोगों ने पहुंचना शुरू कर दिया है।
इसके पहले 25 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट सुबह 6.20 बजे खोले गए। मंदिर के मुख्य पुजारी जगद्गुरु रावल भीम शंकर लिंग शिवाचार्य ने मंदिर के कपाट खोले। मंदिर को 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया था। खराब मौसम के कारण मंदिर जाने वाले हजारों तीर्थयात्रियों को आगे बढ़ने से रोक दिया गया था।
हालांकि पहले दिन 8 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए थे। माइनस 6 डिग्री तापमान के बाद भी सुबह 4 बजे से मंदिर के बाहर दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी थीं।
उत्तराखंड सरकार ने केदारनाथ के पैदल रास्ते में भारी बर्फबारी और मौसम विभाग की चेतावनी को देखते हुए केदारनाथ धाम यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का रजिस्ट्रेशन 30 अप्रैल तक रोक दिया है। भारतीय मौसम विभाग ने केदारनाथ धाम मार्ग और धाम में भारी बर्फबारी का अलर्ट जारी किया है। केदारघाटी में अगले एक हफ्ते तक मौसम खराब रहने का अनुमान है।
एवलांच (हिमस्खलन) की चेतावनी को देखते हुए जिला प्रशासन जरूरी कार्रवाई कर रहा है। केदारनाथ धाम में रविवार को रुक-रुककर बारिश और बर्फबारी हुई। राज्य सरकार ने तीर्थयात्रियों के लिए एडवाइजरी जारी की है। यात्रियों से कहा गया है कि वे धाम जाने से पहले अपने साथ गर्म कपड़े और जरूरी सामान रखें।
साल 2016 में 6,54,355, साल 2017 में 9,20,466, साल 2018 में 10,48,051, साल 2019 में 12,44,993 लोग बदरीनाथ पहुंचे थे। साल 2020 और 2021 में सिर्फ 1,55,055 और 1,97,997 श्रद्धालु ही पहुंच पाए थे। वहीं, पिछले साल 2022 में कोरोना महामारी पर काबू पाकर 17,63,549 श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुंचे थे। कुल मिलाकर बीते 7 सालों में 66 लाख लोग बदरीनाथ धाम पहुंचे थे।
कुछ दिनों पहले बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी के प्रतिनिधियों ने डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी से मुलाकात की थी। उन्हें बताया था कि कैसे उत्तराखंड सरकार कई पीढ़ियों और सदियों से उनके कब्जे वाले नारायणपुर में उनको अपने घरों से बेदखल करने की धमकी दे रही है।