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हथियारों की बड़ी खेप : पांच पेशेवर तस्कर धराए, मोबाइल, बाइक जब्‍त

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बड़वानी । माफिया अभियान के तहत जिले में पुलिस द्वारा एक सप्ताह के भीतर दूसरी बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया है। पुलिस ने हथियारों की बड़ी खेप की तस्करी करने वाले संगठित गिरोह को वारदात करने से पहले ही धरदबोचा। आरोपितों के कब्जे से पुलिस ने बड़ी मात्रा में हथियार जब्त किए हैं।
पुलिस कंट्रोल रूम पर पुलिस अधीक्षक पुनीत गेहलोद ने मामले का पर्दाफाश किया। पुलिस अधीक्षक के अनुसार हथियारों के अवैध निर्माण और उनके राष्ट्रीय स्तर पर सप्लाई से जुड़े अंतर-राज्यीय गिरोह के पांच पेशेवर एवं कुख्यात आरोपितों को गिरफ़्तार किया गया।
जिन पर हज़ारों रुपये के इनाम एवं दर्जनों प्रकरण पंजीबद्ध है। आरोपितों से लाखों रुपये कीमत के कुल 13 हथियार, दो मोबाइल फ़ोन, एक बाइक और हथियार निर्माण में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों की बड़ी मात्रा में जब्ती की गई।
बता दें कि कुछ दिनों पूर्व ही कूटरचित दस्तावेज बना कर शासन को लाखों रुपये की राजस्व क्षति पहुंचाने वाले संगठित गिरोह को किया गिरफ़्तार था। जिसके बाद बड़वानी पुलिस ने माफिया अभियान में ये दूसरी बड़ी कार्रवाई की है।
इन आरोपितों को पकड़ा -अजीतसिंह पुत्र माधवसिंह निवासी खुरमाबाद।
-रामपालसिंह पुत्र भूरासिंह सिकलीगर निवासी उंडी खुदरी थाना पलसूद।
-अकालसिंह पुत्र अजीतसिंह सिकलीगर निवासी खुरमाबाद।
-कमल सिंह पुत्र धरमसिंह सिकलीगर निवासी खुरमाबाद।
-तोताराम पुत्र टूटिया आर्य निवासी रामगढ़ी।
आठ देशी पिस्टल कीमती दो लाख रुपये, पांच देसी कट्टे 12 बोर के कीमती 1 एक लाख रुपये, हथियार निर्माण सामग्री, एक बाइक कीमती 50 हजार रुपये, दो मोबाइल कीमती 40 हजार सहित कुल मश्रुका तीन लाख 90 हजार रुपये की जब्त की।
गौरतलब है कि पुलिस अधीक्षक ने अवैध आग्नेय अस्त्र हथियार निर्माण एवं बिक्री को जड़ से नष्ट करने के लिए जिले के कुछ इलाकों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। साथ ही जिले के सभी थाना प्रभारी एवं एसडीओपी को अवैध हथियार, आर्म्स निर्माण एवं विक्रय करने वाले आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया था। सेंधवा एसडीओपी कमल सिंह चौहान ने टीआई सेंधवा ग्रामीण अनोख सिंह सिंदया के नेतृत्व में एक टीम गठित की।
टीम को मुखबिर से सूचना मिली कि हथियारों की एक बड़ी खेप की अंतर राज्यीय डिलीवरी होने वाले है। वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना से अवगत करवाते हुए तीन टीमें गठित की जाकर खुरमाबाद अजीतसिंह पुत्र माधवसिंह सिकलीगर के घर दबिश दी गई। जहां पर घर के पीछे पांच व्यक्ति अवैध शस्त्र निर्माण करते हुए पाए गए एवं पुलिस को देख कर भागने लगे। जिन्हें पुलिस फ़ोर्स की मदद से पकड़ा गया।
नाम पता पूछने पर अपना नाम रामपालसिंह पुत्र भूरासिंह सिकलीगर निवासी उंडी खुदरी थाना पलसूद, अकालसिंह पुत्र अजीतसिंह सिकलीगर निवासी खुरमाबाद, कमल सिंह पुत्र धरमसिंह निवासी खुरमाबाद, अजीतसिंह पुत्र माधवसिंह सिकलीगर निवासी खुरमाबाद बताया। मौके पर आरोपितों के कब्जे से निर्माण सामग्री के साथ सात देसी पिस्टल एवं पांच देसी 12 बोर देसी कट्टे किमती 2 लाख 75 हजार रुपये की सामग्री जब्त की गई।
इस दौरान आरोपित सोहनसिंह पुत्र अजीतसिंह निवासी खुरमाबाद फरार हो गया। वहीं अन्य मामले में दूसरी टीम के द्वारा आरोपित तोताराम पुत्र टुटीया निवासी रामगठी थाना सेंधवा ग्रामीण के कब्जे से अवैध एक देशी पिस्टल, एक मोबाइल व बाइक जब्त की गई। आरोपित के द्वारा अवैध पिस्टल सोहनसिह पुत्र अजीतसिह सिकलीगर निवासी खुरमाबाद से खरीदना बताया। उक्त मामले में आरोपित फरार है। कुल मश्रुका 95 हजार रुपये को जब्त किया गया।
कार्रवाई में सेंधवा ग्रामीण प्रभारी अनोख सिंह सिंदिया, उप निरीक्षक श्रीराम मंडलोई, उप निरीक्षक साइबर रितेश खत्री, एसी पाटीदार, सहायक उप निरीक्षक अशोक यादव, संजय पांडे, धनेश्वर पाटिल, सखावत अली, चंद्रशेखर पाटीदार, प्रधान आरक्षक योगेश पाटिल साइबर सेल, आरक्षक अमीत पाटील, प्रधान आरक्षक बसंत पगारे, विनोद मीणा, अभिषेक यादव, गजेंद्र यादव, राहुल पाटिल, आरक्षक समरथ राठौड़, दिलीप कन्नौजी, विश्राम नरगावे शामिल रहे।
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भाजपा नेता दीपक जोशी कांग्रेस में शामिल, बोले- शिवराज मेरे बड़े भाई नहीं
भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम एवं भाजपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी शनिवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। जोशी ने कमलनाथ, गोविंद सिंह, सज्जन सिंह वर्मा समेत कई दिग्गज कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी में सदस्यता हासिल की। गौरतलब है कि पूर्व सीएम कमलनाथ कई बार कह चुके हैं कि कई भाजपा के दिग्गज नेता हमारे संपर्क में हैं।
वे 74 बंगला स्थित सरकारी आवास बी 30 से पिता कैलाश जोशी की तस्वीर लेकर बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पहुंचे, जहां पूर्व सीएम कमलनाथ की मौजदगी में सदस्यता ले ली। दीपक जोशी ने बड़ा बयान दिया है। जोशी ने कहा है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान भले ही मुझे अपना छोटा भाई मानते हैं, लेकिन मैं उन्हें अपना बड़ा भाई नहीं मानता हूं।
दीपक जोशी ने कहा कि मैं कांग्रेस में किसी पद या प्रतिष्ठा के लिए नहीं आया हूं, बल्कि अपने पिता के सम्मान के लिए कांग्रेस में आया हूं। भाजपा सरकार मेके पिताजी की यादों को मिटाने में लगी हुई है। कमलनाथ सरकार के समय मेरे पिताजी ेक लिए स्मारक बनाने को जमीन दी गई थी, भाजपा सरकार ने आज तक स्मारक नहीं बनने दिया। लगातार अड़ंगे लगाए जाते रहे। दीपक जोशी ने आगे कहा कि शिवराज सिंह जी जिस कॉलेज में पढ़े हैं, मैं उसी कॉलेज का प्रेसिडेंट रहा हूं। यह शिवराजजी भी अच्छे से जानते हैं।
जोशी ने कहा कि वे शिवराज सिंह के मुकाबले चुनाव लड़ने को तैयार हैं, मुझे पता है कि कहां कब कैसे गोल मारना है। दीपक जोशी ने कहा कि शिवराजजी अब करोड़ों के मालिक हैं। मैं भी एक मुख्यमंत्री का बेटा, मेरे स्वर्गीय पिताजी 13 कमरों का एलआईजी मकान देकर गए हैं। उनके पास कभी ऐसी करोड़ों की प्रापर्टी नहीं आई, लेकिन शिवराजजी ने मुख्यमंत्री रहते हुए करोड़ों की प्रापर्टी बना ली। कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है।
इससे पहले सुबह देवास से अपने काफिले के साथ रवाना होने से पहले दीपक जोशी की बहन ने उन्हें तिलक लगाकर लगाया। दीपक जोशी बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ फरसा लेकर रवाना हुए। और खेड़ापति मंदिर में दर्शन किया। उन्होंने देवास में कहा कि भाजपा में लालीपाप देखदेखकर मेरा शुगर लेवल बढ़ गया है। अब शुगर लेवल घटाने के लिए शिष्टाचार वाली पार्टी में जाना है। दीपक जोशी ने कहा कि शिवराज सिंह भले ही मुझे छोटा भाई माने, लेकिन वे मेरे बड़े भाई कभी नहीं हो सकते।
दीपक जोशी ने कहा कि वे भाजपा सरकार के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जब भी जाते थे, उन्हें सम्मान की कमी महसूस होती थी। यही वजह है कि वे कांग्रेस में जा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व से प्रभावित होकर भाजपा के पूर्व विधायक रादेलाल बघेल ने भी कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली।
दीपक जोशी ने पार्टी छोड़ने के कारण भी गिनाए। उन्होंने कहा कि बागली क्षेत्र में 19 करोड़ से ज्यादा का गोटाला हुआ है, जिसे लेकर कई बार आवाज उठाई, लेकिन किसी ने ध्यान ही नहीं दिया।
धार के बदनावर से भाजपा विधायक रहे भंवर सिंह शेखावत ने भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि पार्टी में उनकी सुनवाई नहीं होती है तो वे पार्टी छोड़ सकते हैं। शेखावत ने अपनी बात सीएम के सामने रखते हुए कहा है कि वे बदनावर से चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यदि टिकट नहीं मिला तो वे अन्य विकल्पों पर विचार करेंगे। शेखावत ने करा है कि सिंधिया समर्थक मंत्री भ्रष्टाचार कर रहे हैं। सिंधिया समर्थकों ने गंदगी फैला रखी है। दीपक जैसे बड़े नेता को विकल्प खोजना पड़ रहे हैं। बीजेपी संगठन को गलती सुधारनी होगी।
पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा भी पार्टी में काफी समय से अलग-थलग पड़े हुए हैं। इसे लेकर कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह ने अब अनूप मिश्रा को कांग्रेस ज्वाइन करने का न्योता दिया है। अनूप भाजपा के संस्थापक और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे हैं। अनूप मिश्रा पूर्व सांसद भी हैं। नेता प्रतिपक्ष ड. गोविंद ने कहा है कि अनूप मिश्रा मेरे मित्र हैं। मैं चाहता हूं कि वे कांग्रेस में आएं। मैं उनका स्वागत करूंगा। भाजपा में आपराधिकत तत्वों का जमावड़ा है। भ्रष्टाचार है, जमकर लूट मची है। ईमानदार, भले आदमियों की दुर्दशा हो रही है, बेचारे उपेक्षित होकर घर पर बैठे हैं।
इनके अलावा पूर्व मंत्री सत्तनारायण सत्तन भी काफी समय से अलग-थलक पड़े हुए हैं, हाल ही में उनका आडियो सामने आने के बाद भाजपा में हड़कंप मचा हुआ है। मुख्यमंत्री ने उन्हें चर्चा के लिए भोपाल बुलाया है। सत्तन ने अपने आडियो में कहा है कि बीजेपी को हाईजैक कर लिया गया है। सत्तन का कहना है कि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ रहे हैं, उन्हें पद और सम्मान दिया जा रहा है, वहीं पार्टी के नेताओं को अनदेखा कर रहे हैं। सत्तन ने सीधे तौर पर सिंधिया का नाम लेकर कहा कि सिंधियाजी का कोई उपकार नहीं है, कटोरा लेकर अपनी थाली भर लेने का उपक्रम किया है, केवल दल बदलकर अपनी रीति-नीति का ही निर्वाह किया है।
जबलपुर में भी पूर्व मंत्री एवं भाजपा विधायक अजय विश्नोई भी कई बार अपनी ही पार्टी और अपनी ही सरकार पर उंगलियां उठा चुके हैं। पार्टी से किनारे चल रहे अजय विश्नोई के भी पार्टी से बगावत करने की अटकलें कई बार लगती रहती हैं।
मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी भी कई बार बगावती तेवर दिखा चुके हैं। विन्ध्य क्षेत्र की अलग मांग करने वाले त्रिपाठी ने हाल ही में भाजपा की तर्ज पर ही विन्ध्य जनता पार्टी (vjp) बना दी है। उनका कहना है कि मैं विन्ध्य प्रदेश बनाकर रहूंगा। हालांकि पार्टी ने कई बार उनके सात मान-मनोव्वल किया, लेकिन वे बीच-बीच में अपनी ही पार्टी को आंखें दिखाते रहे हैं। त्रिपाठी भी कभी भी भाजपा से अलग हो सकते हैं।