बुरहानपुर। कोतवाली थाना क्षेत्र के नियामतपुरा में शनिवार देर शाम लक्जरी कार से बकरियां चोरी करने का मामला सामने आया है। हालांकि चोर बकरियां ले जाने में असफल रहे। स्थानीय लोगों द्वारा पीछा किए जाने पर बकरी चोर युवक इंदिरा कालोनी के पास वाहन और बकरियां छोड़कर फरार हो गए। कोतवाली थाना प्रभारी सीताराम सोलंकी ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने पर तत्काल टीम भेजी गई थी।
जांच में पता चला है कि कार का टायर फट जाने के कारण आरोपित कार और बकरियां छोड़कर भागे थे। जिस कार से बकरियां चोरी की जा रही थी वह कार भोपाल पासिंग है। इंदौर में इस तरह के गिरोह अक्सर वारदातें करते हैं।
वाहन मालिक के माध्यम से कार सवार बदमाशों को पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। पुलिस ने कार और बकरियां जब्त कर ली है। उन्होंने बताया कि यह घटना सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई है। फुटेज देखने से पता चला है कि कार सवार काफी देर से नियामतपुरा में खड़े हुए थे।
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रील बनाने के लिए मोर के पंख नोचे, वन विभाग ने दर्ज किया केस, आरोपी की तलाश जारी
कटनी। वीडियो रील बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए एक युवक ने राष्ट्रीय पक्षी मोर के पंख नोच दिए। उसके साथी ने वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। वीडियो वायरल होने के बाद वन विभाग ने अज्ञात पर केस दर्ज किया है। आरोपी का पता नहीं चला है।
मामला मध्यप्रदेश के कटनी का है। वायरल वीडियो में मोर के साथ एक युवक और युवती बैठे नजर आ रहे हैं। एक अन्य युवक भी नजदीक ही ऊंचाई पर बैठा दिख रहा है। वीडियो में युवक मोर के पंख नोच रहा है। वह हंसते हुए कैमरे के सामने देख रहा है।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ये युवक जिले के रीठी क्षेत्र में दिखाई दिया है। इसलिए वहां तलाश शुरू की। वहीं वीडियो में जो बाइक दिख रही है, उसका मालिक परिवहन विभाग के रजिस्ट्रेशन नंबर के अनुसार डिंडौरी निवासी जयमनीषा बिहिलया है। विभाग वाहन मालिक से भी संपर्क करने की कोशिश कर रहा है। आरोपी युवक का पता लगाकर उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। वन विभाग के अलावा पुलिस भी इस मामले की जांच कर रही है।
रविवार को डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट (DFO) ऑफिसर गौरव शर्मा ने बताया कि दो दिन पहले गुजरात के एक NGO ने हमें ये वीडियो भेजा था। इंस्टाग्राम पर ये वीडियो युवक ने अपलोड किया था। सूचना मिलने के बाद हमने कार्रवाई शुरू कर दी। SP को भी इसकी जानकारी दी। उसके खिलाफ वन्य जीव संरक्षण कानून के तहत एक्शन लिया जाएगा।
पशु-पक्षियों पर अत्याचार रोकने के लिए भारत सरकार ने साल 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था। इसका मकसद वन्य जीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाना था। इसमें साल 2002 में संशोधन किया गया, जिसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 रखा गया। इसमें दंड और जुर्माना को और भी सख्त कर दिया गया है।
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राजस्थान के कई जिलों में लंपी के संदिग्ध मामले, मध्य प्रदेश में संक्रमण बढ़ने का खतरा
भोपाल । राजस्थान के जोधपुर समेत कई कुछ जिलों में लंपी के संदिग्ध मामले सामने आए हैं। जांच के लिए यहां से लगभग 50 सैंपल उच्च सुरक्षा पशु रोग अनुसंधान प्रयोगशाला भोपाल भेजे गए हैं। एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट आएगी।
मध्य प्रदेश में पहले से ही लंपी के मामले मिल रहे हैं, पर राजस्थान में केस बढ़ते हैं तो मध्य प्रदेश में संक्रमण बढ़ने का खतरा रहेगा। इसे देखते हुए पशु चिकित्सा संचालनालय ने सभी जिलों को अलर्ट करते हुए केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहा गया है। बचाव के लिए इस वर्ष 35 लाख डोज वैक्सीन लगाई जाएगी। बता दें कि यह बीमारी गोवंशी पशुओं में पाई जाती है। संक्रमितों में दो से तीन प्रतिशत की मौत हो जाती है।
आमतौर पर यह बीमारी वर्षा के मौसम में अधिक होती है, पर पिछले वर्ष इसका संक्रमण बहुत अधिक होने की वजह से प्रदेश में अभी तक मामले सामने आ रहे हैं। पशु चिकित्सा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में इस वर्ष मार्च से अब तक सात हजार 500 पशु संक्रमित हुए हैं।
इनमें 90 प्रतिशत स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि 35 की माैत हुई है। दुधारू गायों के मरने से पशुपालकों का बड़ा नुकसान होता है। दूसरी बात यह कि संक्रमण की सूचना फैलने पर लोग दूध का उपयोग भी बंद कर देते हैं। बता दें कि लंपी स्किन डिसीज (एलएसडी) वायरस से होने वाली बीमारी है। संक्रमित पशुओं के शरीर में गठानें निकलने के साथ ही बुखार रहता है।
इनका कहना है
राजस्थान में मामले बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए प्रदेश के सभी जिलों को अलर्ट किया है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित दिशानिर्देश का पालन करने और गोेवंशी पशुओं की खरीद-बिक्री नहीं करने को कहा है। इसके अलावा इस वर्ष 35 लाख पशुओं को बचाव के लिए गोटपाक्स वैक्सीन लगाई जाएगी। इसके लिए 35 लाख डोज केंद्र सरकार से मिले हैं।
डा. आरके मेहिया, संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं