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42 साल पुराने मातृ सेवा सदन अस्पताल को किया सील

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बुरहानपुर । इंदौर-इच्छापुर हाइवे पर संचालित करीब 42 साल पुराने मातृ सेवा सदन अस्पताल को स्वास्थ्य विभाग ने सील कर दिया है। गुरुवार दोपहर सीएमएचओ डा. राजेश सिसोदिया अपनी टीम के साथ पहुंचे और अस्पताल के मुख्य प्रवेश द्वार सहित अन्य दरवाजों पर ताला लगाकर सील किया। यह कार्रवाई हाईकोर्ट के निर्देश पर की गई है। करीब नौ माह पूर्व अस्पताल में प्रसूता नीलू और उसके नवजात बच्चे की मौत हो गई थी।
महिला के पति भगवानदास पासी ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग से शिकायत कर अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर अस्पताल की मान्यता निरस्त करने की मांग की थी। प्रशासन द्वारा कार्रवाई नहीं करने पर भगवानदास ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।
हाईकोर्ट ने सीएमएचओ सहित सात लोगों को नोटिस जारी किया था। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल की जांच की थी। जिसमें कई तरह की कमियां पाई गई थीं। सीएमएचओ ने एक माह के अंदर अस्पताल संचालन से जुड़े सभी दस्तावेज प्रस्तुत करने और कमियां दूर करने के निर्देश दिए थे। दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करने पर गुरुवार को अस्पताल सील कर दिया गया।
सीएमएचओ डा. राजेश सिसोदिया ने बताया कि जांच के दौरान अस्पताल के पास फायर एनओसी नहीं मिली थी। ओटी की व्यवस्था ठीक नहीं थी और मेडिकल वेस्ट का उचित निपटान नहीं किया जा रहा था। इसके साथ ही ब्लड बैंक के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं कराया गया था। जिसके चलते कार्रवाई की गई है। सूत्रों के मुताबिक अस्पताल का भवन 42 साल पुराना होने के कारण भवन अनुज्ञा नहीं है। जिसके कारण फायर एनओसी नहीं मिल पा रही। नगर निगम से कंपाउंडिंग कराने का प्रयास भी किया गया, लेकिन इसका शुल्क 25 लाख से ज्यादा होने के कारण अस्पताल प्रबंधन शांत बैठ गया था।
गुरुवार को सीएमएचओ की टीम के मातृ सेवा सदन पहुंचने से पहले ही अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों को घर भेज कर भवन में ताला लगा दिया था। संस्था के सदस्य मनोज तारवाला का कहना था कि वे न्यायालय का सम्मान करते हैं। इसलिए खुद अस्पताल की कमियां दूर होने तक बंद कर दिया है। यहां संचालित ब्लड बैंक में 54 यूनिट ब्लड रखा हुआ था। इसे भी जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में भेज दिया गया है। अस्पताल में 38 कर्मचारी कार्यरत थे। अस्पताल सील होने के दौरान वे मायूस चेहरों के साथ अस्पताल के बाहर बैठे नजर आए। इनमें ज्यादातर महिलाएं थीं, जिनकी आंखें यह कार्रवाई देखकर नम हो गई थीं।
कार्रवाई के बाद पत्रकारों ने सीएमएचओ राजेश सिसोदिया का ध्यानाकर्षण कराते हुए शहर के ऐसे अन्य अस्पतालों की जानकारी दी। बताया गया कि कई अस्पताल बिना मान्यता के चल रहे हैं, तो कई में आग बुझाने के पर्याप्त प्रबंधन नहीं हैं। सीएमएचओ ने कहा कि उन अस्पतालों की भी जांच कराई जाएगी। कमी पाए जाने पर उन्हें भी सील किया जाएगा।

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पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा 10 जून से, श्रद्धालुओं के लिए 50 हजार वर्गफीट में लगेंगे तीन वाटर प्रूफ डोम
भोपाल । भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य स्वर्गीय कैलाश सारंग व उनकी धर्मपत्नी स्वर्गीय प्रसून सारंग की पुण्य स्मृति में राजधानी में पहली बार सीहोर कुबेरेश्वर धाम के पंडित प्रदीप मिश्रा 10 से 14 जून तक शिव महापुराण कथा सुनाएंगे। आयोजन की तैयारियां जोरों पर हैं। दोपहर दो से शाम पांच बजे करोंद के एक शापिंग माल के पीछे 55 एकड़ जगह में कथा का आयोजन होगा। श्रद्धालुओं के बैठने के लिए 50 हजार वर्ग फीट में तीन वाटर प्रूफ डोम लगाए जा रहे हैं।
कथा स्थल के पास 200 एकड़ के क्षेत्र में वाहन पार्किंग की भी व्यवस्था की गई है। पंडालों में आने के लिए मेन रोड से 11 द्वार बनाए गए हैं। सभी प्रवेश द्वारों पर नियंत्रण कक्ष बनाए गए हैं, जहां पुलिस के जवान और 2500 सेवादार व्यवस्था संभालेंगे।
आयोजन की पूर्व संध्या पर यानी नौ जून को शहर के नरेला विधानसभा के अन्ना नगर से कलश यात्रा निकाली जाएगी, जो कैलाश नगर, रचना नगर, ओल्ड सुभाष नगर, पंजाबी बाग, परिहार चौराहा, अशोक विहार, महामाई बाग, स्टेशन, चांदबड, सेमरा मंडी, सुभाष कालोनी, सम्राट कालोनी होते हुए विवेकानंद पार्क अशोका गार्डन तक निकलेगी। इसमें 200 से अधिक सामाजिक संगठन के लोग यात्रा का जगह-जगह फूलों से स्वागत करेंगे। श्रद्धालुओं के भोजन से लेकर ठहरने की व्यवस्था की जा रही है।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने बताया कि श्री शिव महापुराण कथा महोत्सव के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो इसके विशेष इंतजाम किए गए हैं। रुद्राक्ष वितरण को लेकर आनलाइन पंजीयन व्यवस्था की गई है। आमंत्रण पत्र पर दिए गए क्यूआर कोड को स्कैन एवं मिस्डकाल कर पंजीयन किया जा रहा है। पंजीयन के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा अभिमंत्रित रुद्राक्ष घर-घर बांटे जाएंगे।
कथा स्थल पर वेंटिलेटेड पंडाल का निर्माण किया गया है। इन पंडालों में लगभग पांच लाख श्रद्धालुओं के आने के साथ ही आयोजन स्थल पर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के भोजन व पार्किंग के साथ ही चिकित्सा की भी व्यवस्था की जाएगी। नरेला उत्सव समिति द्वारा विभिन्न व्यवस्था समितियों का गठन किया गया है, जो पंडाल, पेयजल, भोजन, यातायात, स्वास्थ्य, प्रचार से लेकर प्रशासनिक समन्वय तक व्यवस्थाएं संभालेंगी। सभी समितियों के समन्वय के लिए एक नियंत्रण कक्ष होगा।
55 एकड़ मैदान में श्रद्धालुओं के लिए ये व्यवस्था की जा रही
-300 अस्थाई टायलेट बनाए गए हैं। इसके साथ ही चलित शौचालय भी उपलब्ध होगा।
-कार्यक्रम स्थल पर 100 से अधिक बड़े-बड़े एलईडी लगाए जा रहे हैं।
-श्रद्धालुओं के लिए विभिन्न स्थानों पर पानी के टैंकर और कैन रखी जाएगी। साथ ही पाइप लाइन डालकर एक हजार नल भी लगाए जा रहे हैं।
-बाहर से कथा सुनने आने वाले श्रद्धालुओं के रहने के लिए पंडालों में रहने की व्यवस्था की गई है।
-पंडालों में 200 से ज्यादा कूलर और पंखे भी लगाए जाएंगे।
-श्रद्धालुओं के बैठने के लिए गद्दे भी लगाए गए हैं।
-20 चिकित्सा शिविर भी लगाए जा रहे हैं।
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 मध्‍य प्रदेश में 13 जून को 44 लाख किसानों को मिलेगी वर्ष 2021 की फसल बीमा राशि
भोपाल । प्रदेश के 44 लाख किसानों को 13 जून को सरकार वर्ष 2021 का 2,933 करोड़ रुपये का प्रधानमंत्री फसल बीमा राशि देगी। साथ ही, विधानसभा चुनाव से पहले सितंबर-अक्टूबर में एक बार फिर बीमा की राशि किसानों के खाते में जमा की जाएगी। वर्ष 2022 में भी खरीफ और रबी फसल को वर्षा से क्षति पहुंची थी, उसकी बीमा राशि दिलाने की प्रक्रिया कृषि विभाग ने प्रारंभ कर दी है।
प्रयास यह है कि दावों को सितंबर तक अंतिम रूप दे दिया जाए ताकि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के पहले कार्यक्रम करके राशि किसानों के खातों में अंतरित कर दी जाए। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2022 में खरीफ और रबी फसलों को अतिवृष्टि या ओलावृष्टि से जो क्षति हुई, उसका आकलन करके बीमा कंपनियों को दावे प्रस्तुत किए जा चुके हैं।
प्रयास यही है कि आगामी दो-तीन माह में परीक्षण की प्रक्रिया पूरी हो जाए ताकि सितंबर-अक्टूबर में एक बार फिर किसानों के खातों में बीमा की राशि जमा करवा दी जाए। इसके लिए बीमा कंपनियों के अधिकारियों के साथ नियमित बैठकें भी हो रही हैं ताकि परेशानी दूर कर दावों को अंतिम रूप दिया जा सके।
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाएगी। इसे ध्यान में रखते हुए तैयारियां की जा रही हैं। एक हजार रुपये से कम नहीं मिलेगी बीमा राशि सरकार ने फसल बीमा योजना के अंतर्गत यह प्रविधान कर दिया है कि किसानों का एक हजार रुपये से कम की बीमा राशि नहीं दी जाएगी।
यदि किसान का दावा इस राशि से कम बनता है तो अंतर की राशि सरकार अपने स्तर से मिलाकर देगी। पिछले साल भी लगभग 18 करोड़ रुपये सरकार ने अपनी ओर से किसानों को दिए थे।
वर्ष 2021 के फसल बीमा में सर्वाधिक 271 करोड़ रुपये उज्जैन जिले के 5,36,315 किसानों को मिलेंगे। इसके बाद सीहोर जिले के 4,05,150 किसानों को 232 करोड़ रुपये, शाजापुर जिले के 1,94,000 किसानों को 197 करोड़ रुपये, विदिशा जिले के 2,70, 850 किसानों को 196 करोड़ रुपये, नर्मदापुरम के 1,47,178 किसानों को 190 करोड़ रुपये और राजगढ़ जिले के 1,97,200 किसानों को 169 करोड़ रुपये फसल बीमा के मिलेंगे। इन्हीं जिलों में फसलों की क्षति अधिक हुई थी।