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जाति प्रमाणपत्र मामले में भाजपा विधायक जज्जी के वकील ने समय मांगा

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ग्वालियर। अशोकनगर से भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी के जाति-प्रमाण पत्र मामले में सोमवार को उच्च न्यायालय में याची भाजपा नेता लड्डूराम कोरी गवाही देने पहुंचे। गवाही के दौरान विधायक के वकील एसएस गौतम ने प्रमाणित दस्तावेज मंगवाने के लिए समय मांगा। उच्च न्यायालय ने सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तारीख तय की है। याची के वकील संगम कुमार जैन ने बताया कि न्यायालय में अभी तीन गवाहों की गवाही होनी है।
बता दें कि जजपाल सिंह जज्जी वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अशोकनगर विधानसभा सीट से कांग्रेस से चुनाव लड़े थे। बाद में वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए।
2020 में वे भाजपा के टिकट से उप चुनाव लड़े और जीते। भाजपा नेता लड्डूराम कोरी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर बताया कि विधायक जजपाल सिंह जज्जी पंजाब के रहने वाले हैं। उनके पास जिस जाति का प्रमाण-पत्र है, वह पंजाब में अनुसूचित जाति की श्रेणी में आती है।
मध्य प्रदेश में यह जाति सामान्य वर्ग में है। इसलिए जजपाल सिंह को मध्य प्रदेश में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। उनका प्रमाण-पत्र भी वहीं बनेगा और मान्य होगा। वहीं, पूर्व में उच्च न्यायालय ने विधायक की ओर से वाद प्रश्न हटाए जाने की मांग कर लगाई गई याचिका खारिज की है। सोमवार को जब उच्च न्यायालय में याची की गवाही शुरू हुई तो विधायक के वकील ने प्रमाणित दस्तावेज मंगवाने के लिए सात दिन का समय मांगा।
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कांग्रेस ने कहा-आदिवासियों पर अत्याचार रोकने में मप्र सरकार असफल, राज्यपाल स्वयं उठाएं कदम
भोपाल । आदिवासियों पर अत्याचार रोकने में शिवराज सरकार असफल रही है। पूरे प्रदेश में आदिवासी असुरक्षित हैं। 18 वर्षों में 30 हजार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। राज्यपाल अब स्वयं आदिवासियों की रक्षा के लिए आगे आएं और कदम उठाएं। यह मांग प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के नेतृत्व में राज्यपाल मंगुभाई पटेल से मिलने पहुंचे पार्टी विधायकों ने ज्ञापन सौंपते हुए की।
राज्यपाल से भेंट करने के बाद मीडिया से चर्चा में कमल नाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश आदिवासी अत्याचार के मामले में देश में नंबर एक है। कोई भी जिला या ब्लाक हो, आदिवासी असुरक्षित हैं। इन्हें आपस में लड़ाया जा रहा है। यह सरकार की सहभागिता के बिना संभव नहीं है।
उन्‍होंने कहा कि सीधी की अमानवीय घटना ने प्रदेश का सिर पूरे देश के सामने शर्म से झुका दिया है। राज्यपाल से मांग की है कि वे आगे आकर आदिवासियों की रक्षा के लिए कदम उठाएं। चार माह बाद चुनाव होने वाले हैं। दबाने-छुपाने और नौटंकी की राजनीति अधिक नहीं चलने वाली है। इनके पास पुलिस, प्रशासन और पैसा ही बचा है। पार्टी की ओर से दिए गए ज्ञापन में देवास के नेमावर, नीमच सहित अन्य घटनाओं का भी उल्लेख करते हुए राज्यपाल से सरकार को आदिवासियों पर अत्याचार रोकने के लिए आदेशित करने की मांग भी की गई है।
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गार्ड ऑफ ऑनर के साथ निकली महाकाल की पहली शाही सवारी, दर्शन करने हजारों उमड़े श्रद्धालु
उज्जैन। देशभर में प्रसिद्ध बाबा महाकाल की सावन मास की पहली शाही सवारी सोमवार को शहर में निकाली गई। राजाधिराज महाकालेश्वर महाराज चांदी की पालकी पर विराजित होकर प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले। इस दौरान दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े। इस बार अधिक मास होने के चलते बाबा महाकाल 11 सितंबर तक भक्तों को दर्शन देकर उनकी सभी इच्छाएं पूरी करेंगे। वहीं, सोमवार को निकली पहली शाही सवारी के दौरान बड़ी संख्या में उनके भक्त दर्शन करने उज्जैन पहुंचे हैं। पूरे शहर में सुबह से ही भक्तिमय माहौल देखने को मिल रहा है।
आपको बता दें कि, बाबा महाकालेशवर की सवारी अपने दरबार के प्रांगण से होते हुए पहले महाकाल चौराहे से गुदरी चौराहा, कार्तिक चौक से हरसिद्धि होते हुए रामघाट पहुंची। जहां पर शिप्रा नदी के किनारे बाबा की पूजा अर्चना की गई। यहां से बाबा महाकाल नगर भ्रमण पर निकल गए।
सावन माह में बाबा महाकाल की सवारी निकाले जाने की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है। इसी परंपरा के चलते आज सावन के पहले सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी निकाली गई। दोपहर 4 बजे मंदिर के सभा मंडप में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, महापौर मुकेश टटवाल, कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम और एसपी सचिन शर्मा ने बाबा महाकाल की पूजा अर्चना कर पालकी को कांधा देकर नगर भ्रमण के लिए रवाना किया। इस दौरान मंदिर के मुख्य द्वार पर पुलिस टुकड़ी ने बाबा महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
इसके बाद राजाधिराज चांदी की पालकी में सवार होकर राजसी ठाठ बाठ के साथ प्रजा का हाल जानने निकले तो श्रद्धालुओं ने अपने राजा का पूरे हर्ष के साथ स्वागत करते हुए पलक पावड़े बिछा दिए। वहीं, सवारी के रामघाट पहुंचने पर बाबा महाकाल का शिप्रा के पवित्र जल से अभिषेक कर विशेष पूजा की गई। इसके बाद सवारी अपने परंपरागत मार्ग से होते हुए पुनः महाकाल मंदिर पहुंच गई। सवारी में घुड़सवार पुलिस दल, पुलिस टुकड़ी और पुलिस बैंड के अलावा भजन मंडलियां शामिल थीं। सवारी मार्ग के दोनों और हजारों श्रद्धालु बाबा महाकाल की एक झलक पाने के लिए खड़े नजर आए।