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नाबालिगों को मुर्गा बनाकर चलाया, डंडे से पीटा:तीन आरोपियों ने कपड़े उतरवाकर बरसाए बेल्ट

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गोहद। भिंड में दो नाबालिगों की बेरहमी से पिटाई का वीडियो सामने आया है। तीन नाबालिगों ने दो नाबालिगों को कपड़े उतरवाकर बेल्ट और डंडे से पीटा। उन्हें मुर्गा बनाकर चलाते हुए उन पर डंडे बरसाए। वे आरोपियों से रहम की गुहार लगाते दिखे। मारपीट का ये वीडियो 8 से 10 दिन पुराना बताया जा रहा है। रविवार को ये सामने आया।
वीडियो मौ नगर के जैन मंदिर के पीछे वाली गली का है। आरोपियों में से एक ने इसे रविवार को एक सोशल मीडिया ग्रुप में शेयर कर दिया। इसके बाद पुलिस ने दोनों नाबालिगों की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। एसडीओपी सौरभ कुमार ने बताया कि पीड़ित मौ में कोचिंग पढ़ते हैं। मारपीट करने वाले भी यहीं के रहने वाले हैं। मारपीट के कारणों का पता लगाया जा रहा है। एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। बाकी दो आरोपी फरार हैं।
पीड़ितों ने बताया कि उनको मुर्गा बनाकर मारपीट की। करीब 30 फीट तक दोनों को मुर्गा बनाकर चलाया। इस दौरान बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है... गाना बजाते रहे। हमसे भी गाना सुना। एक आरोपी पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाता रहा। बदमाशों ने उनके कपड़े उतारकर पीटा। एक पीड़ित को दो लोगों ने दबा लिया। एक डंडे से मारपीट करता रहा। पास में खड़ा एक आरोपी पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाता रहा।
बताया जा रहा है कि जिन छात्रों की पिटाई की गई है। उन्होंने कुछ दिन पहले एक वीडियो पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने एक आरोपी की मां पर अभद्र टिप्पणी की थी। इसके बाद आरोपी ने अपने दोस्तों के साथ दोनों को पकड़ लिया। उनकी मारपीट की। वीडियो में जब पीड़ित चिल्लाने लगे तो एक आरोपी कह रहा है कि जब इसकी मां के खिलाफ बोला था तब नहीं सोचा कि ये होगा।
रविवार सुबह वीडियो वायरल होने के बाद गोहद एसडीओपी सौरभ कुमार व मौ थाना प्रभारी उदयभान यादव ने एक आरोपी को पहचान कर उसको गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने बताया कि मारपीट करने वाले भी नाबालिग हैं। इनमें एक कुछ दिन पहले अवैध हथियारों के साथ गिरफ्तार हुआ था। मौ थाना पुलिस ने उसे पकड़ा था। जिन नाबालिगों से मारपीट की गई उनमें से एक मौ नगर का ही। दूसरा अमायन क्षेत्र का है। दोनों यहां पढ़ाई करते हैं। मारपीट के बाद दोनों ने घर बताया था कि बाइक से फिसलने के कारण उन्हें चोट लग गई।

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श्रावण की दूसरी सवारी में भक्‍तों को दो रूपों में दर्शन देंगे भगवान महाकाल
उज्जैन । ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से सोमवार को श्रावण मास में भगवान महाकाल की दूसरी सवारी निकलेगी। महाकाल की दूसरी सवारी में भी बड़ी संख्‍या में भक्‍तों का सैलाब उमड़ने की उम्‍मीद है।
सवारी में भक्तों को भगवान महाकाल के दो रूपों में दर्शन होंगे। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर व हाथी पर मनमहेश रूप में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे।
महाकाल मंदिर से शाम चार बजे शाही ठाठ-बाट के साथ सवारी शुरू होगी। निर्धारित मार्गों से होकर भगवान की पालकी मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचेगी।
यहां पुजारी शिप्रा जल से भगवान का अभिषेक कर पूजा-अर्चना करेंगे। पूजन पश्चात सवारी पुन: मंदिर के लिए रवाना होगी। सोमवार को सोमवती अमावस्या का महापर्व भी है। सुबह शिप्रा व सोमतीर्थ स्थित सोमकुंड में पर्व स्नान होगा।
अधिकारियों के अनुसार भगवान महाकाल की सवारी के लिए सभी इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं। बड़ी संख्‍या में श्रद्धालुओं के उज्‍जैन पहुंचने की संभावना को देखते हुए भी प्रबंध किए गए हैं।
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सुप्रीम कोर्ट में मध्‍य प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण मामले की सुनवाई सोमवार से
भोपाल। उच्चतम न्यायालय दो फरवरी 2023 के बाद अब सोमवार से पदोन्नति में आरक्षण मामले की सुनवाई प्रारंभ कर रहा है, जो पूरा प्रकरण सुने जाने तक लगातार चलेगी। मध्य प्रदेश के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में न्यायालय का निर्णय आ जाएगा और उनकी पदोन्नति के रास्ते खुल जाएंगे।
उधर, सरकार ने भी पदोन्नति के नए नियम बनाए हैं, जिनसे सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारी और कर्मचारी सहमत नहीं हैं। इस कारण नियमों को लेकर अंतिम निर्णय नहीं हो पा रहा है।
मध्य प्रदेश के अधिकारी और कर्मचारी सात साल डेढ़ माह से पदोन्नति प्रारंभ होने का इंतजार कर रहे हैं। जबलपुर उच्च न्यायालय ने 31 अप्रैल 2016 को 'मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002' निरस्त कर दिया।
इस अवधि में 75 हजार से अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनमें से लगभग 38 हजार कर्मचारियों को पदोन्नति दी जानी थी। अब यह हालात यह हैं कि आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी सरकार से पदोन्नति शुरू करने की मांग कर चुके हैं। क्योंकि दोनों ही वर्ग को नुकसान हो रहा है।
पदोन्नति पर रोक के चलते सरकार ने नाराज चल रहे कर्मचारियों को मनाने की कोशिश की। उन्हें वरिष्ठ पद का प्रभार देने का विकल्प तलाशा, पर इससे भी सभी कर्मचारी खुश नहीं हैं। पुलिस, जेल विभाग के सभी, तो वन विभाग के कुछ कर्मचारियों को यह लाभ मिला है। डिप्टी रेंजर को रेंजर के पद का प्रभार देने के मामले में यह भी देखने में आया है कि रेंजर यह चाहते ही नहीं हैं कि डिप्टी को प्रभार मिले, इसलिए पिछले तीन माह से प्रभार देने की नोटशीट विभाग के अपर मुख्य सचिव के कक्ष में पड़ी है।
सरकार ने पदोन्नति के नए नियमों का प्रारूप तैयार किया है। इस पर निर्णय लेने के लिए मंत्रिसमूह की समिति बनाई, इस समिति की बैठक आठ माह पहले हुई थी, जिसमें आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी नेता शामिल हुए थे। बनाए गए नियमों से अनारक्षित वर्ग सहमत नहीं है। उनका कहना है कि इसमें क्रीमिलेयर सहित कई प्रविधान नहीं किए गए। नए नियम एक तरह से पुराने नियमों को नए कलेवर में प्रस्तुत करना ही है। इस कारण अब तक सहमति नहीं बन पाई और सरकार ने इसे भी लंबित रखा है।