आइजोल। मिजोरम में बुधवार को निर्माणाधीन रेलवे पुल गिरने से 17 मजदूरों की मौत हो गई। न्यूज एजेंसी PTI ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि राजधानी आइजॉल से 20 किलोमीटर दूर सायरांग में सुबह 10 बजे यह हादसा हुआ।
घटना के दौरान 35 से 40 मजदूर पुल पर काम कर रहे थे। यह पुल बैराबी को सायरांग से जोड़ने वाली कुरूंग नदी पर बन रहा था। नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के CPRO सब्यसाची दे ने न्यूज एजेंसी को बताया- रेलवे की ओर से रेस्क्यू टीम घटनास्थल पर भेजी गई है।
मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारी ने बताया कि अभी तक 17 मजदूरों के शव मिले है। उधर, PM और रेल मंत्री ने घटना पर दुख जताते हुए मुआवजे की घोषणा की है।
पुल में कुल 4 पिलर हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि तीसरे और चौथे पिलर के बीच का गर्डर टूटकर गिरा हुआ है। सभी मजदूर इसी गर्डर पर काम कर रहे थे। जमीन से पुल की ऊंचाई 104 मीटर यानी 341 फीट है। यानी पुल की ऊंचाई कुतुब मिनार से भी ज्यादा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घटना पर दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की घोषणा की है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से पीड़ित परिजनों को 2 लाख और रेलवे ने 10 लाख रुपए देने की घोषणा की है।
इसके अलावा PMO की ओर से घायलों को 50 हजार रुपए दिए जाएंगे। वहीं, रेलवे ने गंभीर घायलों को 2 लाख रुपए और मामूली रूप से घायल हुए लोगों को 50 हजार रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है।
मिजोरम के CM जोराम थांगा ने हादसे की तस्वीर और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए हैं। उन्होंने लिखा- प्रशासन रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहा है। जिन लोगों ने हादसे के दौरान लोगों की मदद की, उनका भी धन्यवाद।
उधर, पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने भी घटना पर दुख जताया है। ममता ने कहा- प्रोजेक्ट में पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के भी कुछ मजदूर काम कर रहे थे। बंगाल के मुख्य सचिव को मिजोरम सरकार से संपर्क कर जानकारी लेने को कहा है। मालदा प्रशासन को पीड़ित परिवार के लोगों को हर संभव मदद का निर्देश दिया है।
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ब्रीफचांद के साउथ पोल पर पहुंचकर भारत ने रचा इतिहास,चंद्रयान-3 ने तस्वीरें भेजीं
चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद के साउथ पोल पर शाम 6 बजकर 04 मिनट पर लैंडिंग की। जिसके बाद भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बना। चंद्रयान-3 के लैंडर ने मैसेज भेजा- मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया और भारत भी। ISRO के डायरेक्टर एस. सोमनाथ ने इस मिशन के लिए अगले 14 दिन अहम बताए हैं। वहीं PM मोदी ने साउथ अफ्रीका से देशवासियों को बधाई देते हुए कहा- अब चंदा मामा दूर के नहीं।
ये खबर अहम क्यों है: चंद्रमा के पोलर रीजन दूसरे रीजन्स से काफी अलग हैं। यहां कई इलाके ऐसे हैं, जहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती और तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां बर्फ के फॉर्म में अभी भी पानी मौजूद हो सकता है। 2008 के चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का संकेत दिया था।
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साल में दो बार होंगे 10वीं-12वीं के बोर्ड एग्जाम, 2024 से लागू होगा नया नियम
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को नई शिक्षा नीति के तहत एकेडमिक सेशन 2024-25 के लिए नोटिफिकेशन जारी किया। जिसके मुताबिक, अब 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार कराई जाएंगीं। दोनों परीक्षा में जिसमें स्टूडेंट के ज्यादा मार्क होंगे, उसे गिना जाएगा।
इसके अलावा 11वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स को दो भाषाएं पढ़नी होंगी। इनमें से एक भारतीय भाषा होनी चाहिए। हालांकि, स्टूडेंट्स को सबजेक्ट चुनने की छूट होगी। उन पर चुनी गई स्ट्रीम के आधार पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।
शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि एकेडमिक सेशन 2024 के लिए किताबों में भी बदलाव किया जा रहा है। किताबों में अब भारी-भरकम सिलेबस भी नहीं रखा जाएगा। किताबों की कीमतें भी कम की जाएंगी।
नया सिलेबस न्यू एजुकेशन पॉलिसी-2020 को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा। जिसमें स्कूल बोर्ड कोर्स पूरा होने पर ऑन डिमांड एग्जाम कराने की मांग कर सकेंगे। इन बदलावों के पीछे का उद्देश्य स्टूडेंट्स को महीनों तक बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करने के मुकाबले उनकी समझ और उपलब्धि का आकलन करना है।
नई शिक्षा नीति को 29 जुलाई 2020 को इसे मंत्रिमंडल से मंजूरी मिली थी। इसमें शिक्षा नीति में समानता, गुणवत्ता जैसे कई मुद्दों पर ध्यान दिया गया है। सरकार ने नई शिक्षा नीति पर केंद्र और राज्य के सहयोग से जीडीपी का 6% हिस्सा खर्च करने का लक्ष्य रखा है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी आने से पहले 34 साल पहले यानी 1986 में शिक्षा नीति बनाई गई थी। 2020 के पहले तक उसमें ही बदलाव किए जा रहे थे।