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बादल फटा, 23 जवान समेत 43 लोग लापता:5 की मौत, कैंप और 41 गाड़ियां डूबीं

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गंगटोक। सिक्किम में मंगलवार देर रात बादल फटने के बाद तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आने की वजह से 5 लोगों की मौत हो गई। वहीं, 43 लोग लापता हो गए। इनमें सेना के 23 जवान हैं। मामले में पाक्योंग के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ताशी चोपेल ने सभी जवानों के मौत की आशंका जताई है। हालांकि, अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
नदी से लगे इलाके में ही आर्मी कैंप था, जो बाढ़ की चपेट में आने के बाद बह गया और यहां खड़ी 41 गाड़ियां डूब गईं। आसपास के 4 हजार लोगों को 5 राहत शिविरों में सुरक्षित पहुंचा दिया गया है। बाढ़ की वजह से राज्य को देश से जोड़ने वाला नेशनल हाईवे NH-10 भी बह गया। इसकी वजह से आवागमन की सुविधा बंद हो गई है।
डिफेंस PRO के मुताबिक, ल्होनक झील के ऊपर देर रात करीब डेढ़ बजे के आसपास बादल फटा, इसके बाद लाचेन घाटी में तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आ गई। नदी का जलस्तर अचानक 15 से 20 फिट तक बढ़ गया। इसके बाद नदी से लगे आसपास के इलाकों में पानी भर गया। कई घरों में भी नदी का पानी घुस आया। लोग घर छोड़कर सुरक्षित इलाकों में चले गए।
सिक्किम में बादल फटने के बाद पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग में भी बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। राज्य के मुख्य सचिव एचके द्विवेदी ने बताया- तीस्ता बैराज से तीन शव बरामद किए गए हैं। उनकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई है।
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य की स्थिति जानने के लिए मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग से बातचीत की। उन्हें मदद देने का आश्वासन दिया।
गुवाहाटी के डिफेंस PRO ने बताया कि हादसे के बाद सेना के लापता जवानों की तलाशी के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। स्थानीय प्रशासन भी अपने स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है। हालांकि जानमाल के नुकसान को लेकर कोई जानकारी अभी सामने नहीं आई है।
NDRF ने सिक्किम के सिंगतम से 7 लोगों को बचाया जहां बादल फटने से बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई थी। NDRF की एक टीम गंगटोक में और दो टीमें पश्चिम बंगाल के सिक्किम से सटे इलाकों में तैनात हैं।
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विरुधुनगर में पटाखा फैक्ट्री में धमाका, तीन लोग घायल
चेन्नई। तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में एक पटाखा निर्माण फैक्ट्री में हुआ विस्फोट ने तहलका मचा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप तीन लोग घायल हो गए हैं। घायल व्यक्तियों को तुरंत आपातकालीन इलाज के लिए शिवकाशी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
तमिलनाडु सरकार ने इस घायलों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए हर संभाव प्रयास किए हैं और उनके इलाज के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। विरुधुनगर जिले के विकास में भी बड़े कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि इस प्रकार के हादसों को रोकने के उपाय ढूंढने में सहायक हो सके।
अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि विस्फोट शिवकाशी के पास एक छोटे से गांव में हुआ। विस्फोट से फैक्ट्री में आग लग गई, जिसे बाद में बुझा दिया गया।
घायलों की पहचान 25 वर्षीय राजकुमार, 22 वर्षीय रवि और 20 वर्षीय रमेश के रूप में हुई है। वे सभी फैक्ट्री में मजदूर थे।
पुलिस ने कहा कि विस्फोट के कारणों की जांच की जा रही है।विरुधुनगर पटाखा उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र है। यहां कई पटाखा फैक्ट्रियां हैं।
पिछले कुछ वर्षों में, तमिलनाडु में पटाखा फैक्ट्रियों में कई विस्फोट हुए हैं, जिसमें कई लोगों की मौत हो चुकी है।
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मालेगांव ब्लास्ट : सांसद प्रज्ञा बोलीं- मालेगांव ब्लास्ट के बारे में नहीं जानती
मुंबई। मालेगांव ब्लास्ट मामले में सात आरोपियों के खिलाफ नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत में सुनवाई शुरू हो गई है। कोर्ट ने पीड़ितों की गवाही से जुड़े 60 सवालों पर प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत 7 आरोपियों के बयान दर्ज किए। इन सभी सवालों का जवाब प्रज्ञा ठाकुर ने तीन शब्दों में दिया। उन्होंने कहा- 'मुझे जानकारी नहीं'।
मालेगांव ब्लास्ट मामले में सात आरोपियों के खिलाफ NIA की विशेष अदालत में 3 अक्टूबर को सुनवाई शुरू हो गई है। 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में भिक्खु चौक विस्फोट मामले की सुनवाई मुंबई में NIA विशेष सत्र न्यायालय में चल रही है। गवाही के आधार पर अदालत ने आरोपियों को दो समूहों में बांट दिया और CrPC की धारा 313 के तहत उनके बयान दर्ज किए।
इस मामले में 323 गवाह हैं। उनमें से 34 फ्लिप हो गए हैं। बाकी 289 गवाहों के बयानों के आधार पर कोर्ट ने करीब 4-5 हजार सवालों का एक सेट तैयार किया है। CrPC की धारा 313 के मुताबिक आरोपियों को अदालत के सामने अपनी बात रखने का मौका मिलता है। उन प्रतिक्रियाओं की शुरुआत हो चुकी है। उसके बाद मामले की अगली सुनवाई होगी।
महाराष्ट्र के मालेगांव (मुंबई से करीब 200 किमी दूर) में 29 सितंबर 2008 को ब्लास्ट हुआ था। यहां एक मस्जिद के पास एक बाइक में एक्सप्लोसिव डिवाइस लगाई गई थी। घटना में 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा जख्मी हुए थे।
मामले की जांच पहले महाराष्ट्र एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) कर रही थी, 2011 में इन्वेस्टीगेशन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को ट्रांसफर कर दी गई।