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पटाखा दुकान में आग, अब तक 14 मौतें, पुलिस ने दुकानदार को हिरासत में लिया

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बेंगलुरु। बेंगलुरु के अनेकल तालुक के अट्टीबेले में शनिवार 7 अक्टूबर को पटाखा दुकान में आग लगने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है। हादसे में घायल 2 लोगों की मौत इलाज के दौरान रविवार सुबह हुई। पुलिस ने शुरुआत में बताया था कि दुकान मालिक समेत चार लोगों को मामूली चोटें आईं।
हादसा शाम करीब साढ़े चार बजे हुआ। बताया जा रहा है कि पटाखे दशहरा-दीवाली के लिए स्टोर हो रहे थे। गाड़ी से पेटियां उतारते समय उनमें आग लग गई। पुलिस ने रविवार को दुकान के मालिक को हिरासत में ले लिया। DGP ने बताया कि आग लगने के कारणों का पता लगाया जा रहा है। इसके पीछे जो भी लोग जिम्मेदार होंगे उन्हें सजा दिलाई जाएगी।
राज्य के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया रविवार दोपहर को घटनास्थल का जायजा लेने पहुंचे। उन्होंने कहा कि अभी मेरे पास पूरी जानकारी नहीं है। हमें ये जांच करने की जरूरत है कि दुकान के पास जरूरी लाइसेंस और सुरक्षा के साधन थे या नहीं। पूरी जांच के बाद दुकान के मालिक के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि कैंटर गाड़ी से पटाखे की पेटियां उतारते समय बालाजी क्रैकर्स की दुकान में आग लगी। देखते ही देखते आग ने दुकान और गोदाम को अपनी चपेट में ले लिया। जिस वक्त हादसा हुआ, उस समय वहां 35 लोग काम कर रहे थे। ज्यादातर पीड़ित धर्मपुरी जिले के अम्मलपेट्टई, तिरुपत्तूर के वानियमबाड़ी और पड़ोसी तमिलनाडु के कल्लाकुरिची के रहने वाले हैं।
पुलिस अधीक्षक (बेंगलुरु ग्रामीण) मल्लिकार्जुन बालादंडी ने कहा कि जब आग लगी तो कुछ कर्मचारी दुकान के अंदर काम कर रहे थे। दुकान मालिक नवरात्रि और दीपावली के मद्देनजर पटाखों काे स्टोर कर रहा था। आग से आस-पास खड़ी कई गाड़ियां भी जल गईं। घायलों में गोदाम मालिक भी शामिल है। दुकान मालिक और उसके बेटे के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
कर्नाटक के CM सिद्धारमैया ने ट्वीट कर हादसे पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि मैं कल दुर्घटनास्थल पर जाऊंगा और इसका निरीक्षण करूंगा। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने गंभीर रूप से घायलों को एक-एक लाख और साधारण घायलों को 50 हजार का मुआवजा देने की घोषणा की है।
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साल में दो बार बोर्ड एग्जाम देना जरूरी नहीं:शिक्षा मंत्री बोले- 10वीं-12वीं के स्टूडेंट्स को तय करना है- दोनों बार दें या एक बार
10वीं और 12वीं के बोर्ड एग्जाम साल में दो बार होंगे, लेकिन स्टूडेंट्स को दोनों बार एग्जाम देना जरूरी नहीं होगा। यह बात केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही। उन्होंने बताया कि स्टूडेंट्स खुद ये तय करेंगे कि उन्हें बोर्ड एग्जाम एक बार देना है या दो बार।
ये व्यवस्था बच्चों की सुविधा के लिए लाई गई है। अगर कोई स्टूडेंट दोनों बार एग्जाम देता है तो दोनों एग्जाम में से उसका बेस्ट रिजल्ट स्कोर किया जाएगा। इससे स्टूडेंट्स को एग्जाम देने के लिए एक ही साल में दो मौके मिलेंगे। वहीं, अगर कोई स्टूडेंट अपनी परफॉर्मेंस को लेकर कॉन्फिडेंट है तो सिर्फ एक बार एग्जाम दे सकता है।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि साल में दो बार बोर्ड कराने का फैसला स्टूडेंट्स में तनाव और डर कम करने को लेकर लिया गया है। इस साल अगस्त में शिक्षा मंत्रालय ने न्यू करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) के तहत साल में दो बार बोर्ड एग्जाम कंडक्ट कराने की घोषणा की थी। ये फ्रेमवर्क एग्जामिनेशन सिस्टम में बदलाव करने और स्टूडेंट्स के एग्जाम को सिलेबस बेस्ड रखने के लिए लाया गया है।
इस पर बात करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि NCF 2023 के लागू होने के बाद उन्होंने कई छात्रों से इंटरैक्ट किया है और स्टूडेंट्स इस पॉलिसी से खुश हैं। हम कोशिश करेंगे कि 2024 से ही साल में दो बार बोर्ड एग्जाम करा सकें।
शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा- अक्सर 10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स अपने बोर्ड्स के रिजल्ट को लेकर निराश हो जाते हैं। इस व्यवस्था से ऐसे स्टूडेंट्स को दूसरा मौका मिल जाएगा जो किसी वजह से अच्छा स्कोर न कर पाए हों। ये अल्टरनेट सिस्टम हम सिर्फ बच्चों का तनाव कम करने के लिए लेकर आए हैं।
प्रधान ने कोटा में स्टूडेंट सुसाइड के बढ़ते मामलों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि ये चिंता का विषय है और इस तरह हमारे बच्चों की जान नहीं जानी चाहिए। ये हम सभी की जिम्मेदारी है कि हमारे बच्चे स्ट्रेस-फ्री माहौल में पढ़ाई कर सकें। इस साल कोटा में अब तक 27 बच्चे खुदकुशी कर चुके हैं।
प्रधान ने डमी स्कूलों का भी जिक्र करते हुए कहा कि कई स्टूडेंट्स अपने राज्य में किसी स्कूल में एडमिशन ले लेते हैं और कोटा आकर कोचिंग करते हैं। ये स्टूडेंट्स फुल टाइम स्कूल नहीं जाते और सीधे बोर्ड एग्जाम देने स्कूल जाते हैं।
हालांकि इन डमी स्कूलों की संख्या ज्यादा नहीं है, लेकिन अब इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस मुद्दे पर सीरियस डिस्कशन किया जाना चाहिए। हम ऐसी व्यवस्था लाने पर काम कर रहे हैं कि स्टूडेंट्स को कोचिंग लेने की जरूरत ही न पड़े।

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दिल्ली दंगों के दौरान सुनवाई करने वाले जस्टिस मुरलीधर बोले:पता नहीं मेरे आदेशों से केंद्र क्यों नाराज हुआ, मैंने वही किया जो सही था
नई दिल्ली। ओडिशा हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एस मुरलीधर ने कहा है कि उन्हें जानकारी नहीं है कि 2020 के दिल्ली दंगों को लेकर उन्होंने जो आदेश जारी किया था, उससे केंद्र सरकार क्यों नाराज हो गई। उन्होंने कहा कि मैंने जो आदेश दिया, मेरी जगह कोई भी दूसरा जज होता तो यही आदेश देता।
दरअसल, जस्टिस मुरलीधर तब दिल्ली हाईकोर्ट में जज थे। उन्होंने दिल्ली में हुए दंगों में भड़काऊ बयान देने वाले तीन भाजपा नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने में देरी पर नाराजगी जताई थी। ये तीन नेता थे- अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और कपिल मिश्रा। जस्टिस मुरलीधर ने पुलिस को आदेश दिया था कि 24 घंटे के अंदर FIR दर्ज करने का फैसला लें।
बेंगलुरु में आयोजित एक ऑनलाइन न्यूज पोर्टल के कॉन्क्लेव में उनसे पूछा गया था कि ऐसी चर्चाएं हैं कि अपने आदेश से आपने सरकार को नाराज किया और इसलिए आपको सुप्रीम कोर्ट का जज बनने का मौका नहीं मिला?
इसके जवाब में मुरलीधर ने कहा, ‘इसमें नाराज होने वाली क्या बात थी, इसे लेकर मैं भी उतना अनजान हूं, जितना आप हैं। मेरे पास कहने को और कुछ भी नहीं है। और इससे ज्यादा किसी बात से फर्क भी नहीं पड़ता है क्योंकि कई लोगों को लगा था कि मैंने जो किया वही सही था। बल्कि मुझे बाद में बताया गया कि मामले में कोर्ट के दखल देने के बाद कई जिंदगियां बचाई जा सकी थीं।’
वकील सुरूर मंदर ने याचिका लगाई। उनकी अपील थी कि हिंसाग्रस्त मुस्तफाबाद के अल-हिंद अस्पताल से घायलों को जीटीबी अस्पताल या दूसरे सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया जाए। इस याचिका पर देर रात जस्टिस मुरलीधर और जस्टिस अनूप भंभानी ने सुनवाई की और दिल्ली पुलिस को घायलों को इलाज के लिए दूसरे सरकारी अस्पतालों में ले जाने का आदेश दिया।