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स्टेडियम को उड़ाने की धमकी देने वाला अहमदाबाद में गिरफ्तार

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अहमदाबाद। नरेंद्र मोदी स्टेडियम को उड़ाने की धमकी देने वाले आरोपी व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मिली जानकारी के मुताबिक, बीते दिनों अहमदाबाद स्थित विशाल नरेंद्र मोदी स्टेडियम को उड़ाने की धमकी देने वाला ई मेल प्राप्त हुआ था। अहमदाबाद पुलिस ने बुधवार को जानकारी दी कि आरोपी को गुजरात के राजकोट से गिरफ्तार किया गया, जिसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है।
गौरतलब है कि फिलहाल क्रिकेट विश्व कप का आयोजन हो रहा है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच 14 अक्टूबर को मुकाबला अहमदाबाद स्थित नरेंद्र मोदी किक्रेट स्टेडियम में किया जाएगा। इस जांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया है कि राजकोट से गिरफ्तार आरोपी ने एक ईमेल भेजकर दावा किया था कि स्टेडियम में विस्फोट होगा। गिरफ्तार आरोपी मूलरूप से मध्य प्रदेश का रहने वाला है और फिलहाल राजकोट के बाहरी इलाके में रहता था। अधिकारी ने बताया कि "उसने अपने फोन से एक संक्षिप्त मेल जारी किया था और उसमें उसका नाम भी था। उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है।"
अहमदाबाद पुलिस ने जानकारी दी है कि 14 अक्टूबर को भारत-पाकिस्तान विश्व कप क्रिकेट मैच के लिए अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है। भारत-पाक क्रिकेट मैच के दौरान इस स्टेडियम में भारी भीड़ जुटने की उम्मीद है। स्टेडियम की सुरक्षा के लिए गुजरात पुलिस, एनएसजी, आरएएफ और होम गार्ड सहित विभिन्न एजेंसियों के 11,000 से अधिक कर्मियों को नियुक्त किया गया है।
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माफिया अतीक अहमद के बेटे बाल गृह में मांगते थे चिकन-मटन, छूटे तो हुआ खुलासा
प्रयागराज। अतीक अहमद के मर्डर के बाद उसके दो बेटे बाल गृह से बाहर आ गए। बाल गृह से छूटने के बाद हटवा गांव में बुआ परवीन अहमद कुरैशी के घर पहुंचे। अतीक के दोनों बेटों से मिल रहे लोगों पर एसटीएफ नजर रख रही है। माना जा रहा है कि शाइस्ता परवीन अपने बच्चों से मिलने आ सकती है। ऐसे में महिलाओं पर खास नजर रखी जा रही है। घर पर दो सिपाही तैनात किए गए हैं।
अतीक अहमद के बेटे बाल गृह में नॉन-वेज खाना मांगते थे। वहां शाकाहारी भोजन दिया जाता है। वे खाने में मटन, कबाब या चिकन मांगते थे। उनकी डिमांड को माना नहीं जाता है। उन्होंने कई बार फोन की भी मांग की। बता दें उमेश पाल हत्याकांड के बाद दो मार्च के अतीक अहमद के दो छोटे बेटे बाल गृह में थे। दोनों नाबालिक लड़कों को राजरूपपुर के बाल गृह भेजा गया था।
अतीक की बहन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बाल कल्याण समिति को दोनों बेटों को लेने का आदेश दिया था। मंगलवार को सुनवाई से पहले सोमवार शाम को माफिटा के बच्चों को बुआ के सुपुर्द किया गया।
पुलिस सुरक्षा के बीच 18 वर्षीय एहजम और उसके छोटे भाई को बुआ के घर ले जाया गया। दोनों अपने पिता और चाचा के कब्र पर भी गए थे। हालांकि एसपीपी वरुण कुमार ने इसे गलत बताया। अतिक के बेटे बुआ के घर पहुंचे तो रिश्तेदारों से मिलने के अलावा बाकी वक्त सोते रहे। पूरामुफ्ती थाना अध्यक्ष अजीत सिंह ने बताया कि सोमवार को बाल गृह से दोनों को हटवा लाया गया। तब से बुआ के घर पर है।
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विक्रोली इलाके में रहने वाले वाहिद शेख के मुंबई स्थित घर पर NIA ने मारा छापा
मुंबई। मुंबई के विक्रोली इलाके में रहने वाले 7/11 ट्रेन बम धमाके के आरोपी वाहिद शेख के घर पर बुधवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने छापेमारी की। बताया जा रहा है कि प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर नकेल कसने के लिए एनआईए ने आज सुबह महाराष्ट्र, राजस्थान और दिल्ली समेत कई राज्यों में छापेमारी की। इसी के तहत वाहिद शेख के घर भी केंद्रीय जांच एजेंसी की एक टीम पहुंची है।
जानकारी के मुताबिक, एनआईए की एक टीम आज सुबह 5 बजे विक्रोली इलाके में रहने वाले अब्दुल वाहिद शेख के घर पहुंची। शेख 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल बम धमाके मामले में आरोपी थे। हालांकि बाद में उन्हें ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपों से बरी कर दिया था।
इस आतंकी घटना के चार महीने बाद महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने बम विस्फोट में शामिल 30 लोगों को आरोपी बनाया। जिनमें वाहिद शेख सहित 13 को गिरफ्तार किया गया और बाकि 17 को फरार घोषित किया गया। फरार आरोपियों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे।
वाहिद शेख पर प्रतिबंधित संगठन सिमी (SIMI) का सदस्य होने का आरोप लगा था। एटीएस ने दावा किया था कि शेख के घर पर पाकिस्तान से आये आतंकी ठहरे थे। जिन्होंने शहर की लोकल ट्रेनों में बम रखे थे।
गिरफ्तारी के नौ साल बाद सितंबर 2015 में एक विशेष मकोका अदालत ने 13 में से 12 संदिग्धों को दोषी ठहराया। मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाके के पांच दोषियों को मौत की सजा और सात अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी। जबकि शेख को इस मामले में बरी कर दिया गया।
वाहिद शेख को जब आतंकी हमले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था तो वह एक निजी स्कूल में शिक्षक के रूप में काम करते थे। साथ ही मुंबई यूनिवर्सिटी से उर्दू में पीएचडी कर रहे थे। हालांकि, मुंबई की आर्थर रोड जेल में रहते हुए शेख ने अंग्रेजी में मास्टर डिग्री, पत्रकारिता में डिप्लोमा की पढाई पूरी की। साथ ही कानून की डिग्री भी हासिल की।
जेल से रिहा होने के कुछ महीने पहले शेख ने ‘बेगुनाह कैदी’ नाम की 400 पेज की किताब भी लिख डाली। शेख मामले में दोषी ठहराए गए 12 आरोपियों को भी बेगुनाह मानते है और उनकी रिहाई के लिए अभियान भी चलाया।