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व्यापारी के केबिन से 22 सेकंड में 2 लाख से ज्यादा चोरी, घटना सीसीटीवी में कैद

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इछावर ।इछावर अनाज मंडी में दिनदहाड़े चोर एक मोटी रकम पर हाथ साफ कर फरार हो गए। यह घटना सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हो गई। व्यापारी की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर चोरों की तलाश शुरू कर दी है
बुधवार की दोपहर नगर स्थित अनाज मंडी से दिनदहाड़े चोरों ने एक मोटी रकम पर हाथ साफ कर रफू चक्कर हो गए। यह घटना सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हो गई। जानकारी के अनुसार अनाज व्यापारी मंडी संघ के अध्यक्ष दिलीप सुराणा के प्रतिष्ठान सुराणा ट्रेडर्स से चोरों ने दिनदहाड़े चोरी की घटना को अंजाम दिया, जहां वे 22 सेकंड में 2 लाख से ज्यादा की राशि को चोरी करने में सफल हुए।
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चर्चित मोहद कांड के सोलह आरोपित छह साल बाद दोषमुक्त किए गए
बुरहानपुर। क्षेत्र की शांति व सौहार्द्र बिगाड़ने, विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता पैदा करने और आपराधिक षड्यंत्र रचने के मामले में आरोपित बनाए गए सोलह ग्रामीणों को छह साल तीन माह बाद अदालत से न्याय मिला है। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी देवेश मिश्रा की अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए सभी सोलह आरोपितों को दोषमुक्त घोषित कर दिया है।
इस प्रकरण में शाहपुर थाना पुलिस ने मोहद गांव के सत्रह लोगों को आरोपित बनाया था। प्रकरण की सुनवाई के दौरान एक आरोपित रुबाब तड़वी की मृत्यु हो चुकी है। न्यायालय का फैसला आने के बाद मंगलवार को दोषमुक्त हुए आरोपितों ने कहा कि उन्हें कानून और न्याय प्रक्रिया पर पूरा भरोसा था। उनके अधिवक्ता उबैद शेख ने कहा कि उनके पक्षकारों को झूठे प्रकरण में पुलिस द्वारा फंसाया गया था।
तत्कालीन थाना प्रभारी ने वर्ग विशेष के लोगों पर अन्य धाराओं के साथ देश द्रोह जैसी गंभीर धारा में प्रकरण दर्ज किया था। जिसके चलते उन्हें जेल जाना पड़ा था। बाद में मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप पर देश द्रोह की धारा हटाई गई थी, लेकिन अन्य गंभीर धाराएं लगाए जाने के कारण ग्रामीणों को पूरा इंसाफ नहीं मिल पाया था। अब जाकर उन्हें न्याय मिला है।
देश द्रोह का यह मामला 18 जून 2017 का था। इस दिन भारत और पाकिस्तान के बीच आइसीसी चैंपियंश ट्राफी क्रिकेट टूर्नामेंट का फाइनल मैच खेला गया था। गांव के सुभाष कोली, रितेश सहित अन्य लोगों ने आरोप लगाया था कि भारत की टीम के विकेट गिरने पर आरोपित जश्न मना रहे थे। भारत के मैच हारने के बाद उन्होंने गांव में कई जगह न केवल पटाखे फोड़े बल्कि पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगाए थे। जिससे लोगों की भावनाएं आहत हुईं और शांति भंग होने का खतरा पैदा हो गया था। पुलिस ने 17 अप्रैल 2018 को न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया था। सवा छह साल बाद नौ अक्टूबर 2023 को फैसला सुनाया गया। प्रकरण की सुनवाई के दौरान घटना के आठों साक्षियों ने बयान बदल दिए थे।
शाहपुर थाना पुलिस ने मोहद गांव निवासी इतबार गुलजार, फिरोज जमशेर, बशीर शमशेर, मुकद्दर पुत्र सिकंदर, सज्जाद पुत्र करीम, अनीस पुत्र बाबू, इमाम पुत्र खुदाबख्श, सलमान पुत्र तुराब, शरीफ पुत्र हसन, मेहमूद पुत्र रसीद, इरफान पुत्र मीर खां, रमजान पुत्र हसन, इमरान पुत्र मूसा, सरफराज पुत्र रशीद, रमजान पुत्र सरदार, बशीर पुत्र उस्मान और रूबाब पुत्र नबाव को आरोपित बनाया था। इनमें से रूबाब की मृत्यु हो चुकी है।
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हिंदू धर्म को छोड़कर अन्य धर्म स्वीकारा तो संतानें संपत्ति में वैध वारिस नहीं होतीं
इंदौर। हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम 1956 में प्रविधान है कि अगर किसी व्यक्ति के पास स्वअर्जित संपत्ति है तो वह व्यक्ति अपने जीवनकाल में किसी भी व्यक्ति को वह संपत्ति दान कर सकता है। यह व्यक्ति अपने जीवनकाल में इस संपत्ति के संबंध में वसीयत भी कर सकता है। वसीयत उसकी मृत्यु के बाद प्रभावित होती है। यह आवश्यक नहीं है कि वसीयत केवल उत्तराधिकारियों के नाम से ही की जाए। अगर स्वयं के द्वारा अर्जित संपत्ति है तो व्यक्ति अपने जीवनकाल में किसी के नाम से भी संपत्ति की वसीयत कर सकता है। यह आवश्यक नहीं कि जिसके नाम संपत्ति की वसीयत की जाए वह उसका सगा संबंधी हो।
अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु बगैर वसीयत किए ही हो जाती है तो ऐसी स्थिति में जितने भी वैध उत्तराधिकारी हैं वे बराबर भाग में संपत्ति पाने के अधिकारी हो जाते हैं। हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम 1956 में एक महत्वपूर्ण प्रविधान यह भी है कि अगर संपत्ति का वैध वारिस संपत्ति प्राप्त करने के उद्देश्य से संपत्ति मालिक की हत्या कर देता है या हत्या करने में दुष्प्रेरण करता है तो ऐसे में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए उसे संपत्ति के अधिकार से मुक्त कर दिया जाता है, लेकिन उसकी संतान को संपत्ति पाने का अधिकार होता है।
वर्तमान में यह भी देखने को मिलता है कि कई बार वैध वारिस संपत्ति को शीघ्र प्राप्त करने के लिए जिसके नाम से संपत्ति है उसे आपराधिक षडयंत्र रचकर उसकी हत्या कर देता है या करवा देता है। ऐसी स्थिति में उसे संपत्ति प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं रहता। पूर्व में यह धारणा थी कि जो व्यक्ति विक्षिप्त है उसे संपत्ति के अधिकार से बेदखल कर दिया जाता था लेकिन इस अधिनियम में यह प्रविधान किया गया है कि विक्षिप्त व्यक्ति भी संपत्ति में अपने अधिकार पाने का अधिकारी होता है।
पुत्र और पुत्री दोनों को समान रूप से संपत्ति पाने का अधिकारी
अगर कोई व्यक्ति हिंदू धर्म छोड़कर अन्य किसी धर्म को स्वीकार कर लेता है तो उसकी होने वाली संतानें संपत्ति में वैध वारिस नहीं होती हैं। धर्म परिवर्तन करके जो व्यक्ति गया है उसका अधिकार तो रहता है लेकिन उसकी संतानों का अधिकार समाप्त हो जाता है। हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम में पुत्र और पुत्री दोनों को समान रूप से संपत्ति पाने का अधिकारी माना गया है। पुत्र और पुत्री अपने पिता की स्वअर्जित संपत्ति को उनके मरणोपरांत पाने के अधिकारी होते हैं।
वर्ष 2006 में प्रविधान किया गया है कि पैतृक संपत्ति में भी पुत्र और पुत्री का जन्म से वैध वारिस होने के कारण अधिकार होता है। कोई भी महिला या पुत्री अगर संपत्ति में से अपना हिस्सा त्याग करना चाहती है तो वह किसी भी वैध उत्तराधिकारी के पक्ष में त्याग विलेख निष्पादित कर अपना हिस्सा छोड़ सकती है।
- एडवोकेट यश्विनी बौरासी