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निर्दलीय प्रत्याशी गधे पर बैठकर नामांकन दाखिल करने पहुंचा

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बुरहानपुर। आपने चुनाव के दौरान प्रत्याशियों को नामांकन दाखिल करने के लिए अपने समर्थकों के साथ रैली निकालते हुए देखा होगा। इधर बुरहानपुर में एक निर्दलीय प्रत्याशी गधे पर बैठकर नामांकन दाखिल करने पहुंचे। हिंदू संगठन के पदाधिकारी और निर्दलीय उम्मीदवार ठाकुर प्रियंक सिंह गधे पर बैठकर रिटर्निंग आफिसर के कार्यालय पर पहुंचे।
प्रियंक ने कहा कि सभी राजनीतिक दल परिवारवाद का शिकार हो गए है और जनता को गधा बना रहे हैं। इसी वजह से उन्होंने गधे पर सवार होकर नामांकन दाखिल करने का फैसला लिया।
गुरुवार को शुभ मुहूर्त होने के कारण भाजपा और कांग्रेस सहित निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे भाजपा के बागी प्रत्याशियों ने भी नामांकन पत्र जमा किए हैं। नामांकन फार्म जमा करने के लिए कुछ प्रत्याशियों ने अजब-गजब वाहन चुने थे।
भाजपा से टिकट की मांग करने वाले ठा. प्रियांक सिंह गधे पर बैठ कर रिटर्निंग आफिसर के कार्यालय पहुंचे तो कांग्रेस प्रत्याशी ठा. सुरेंद्र सिंह शेरा बैलगाड़ी पर सवार होकर नामांकन जमा करने पहुंचे। भाजपा प्रत्याशी और प्रदेश प्रवक्ता अर्चना चिटनिस व भाजपा के बागी और स्व. नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र हर्षवर्धन सिंह चौहान ने बिना किसी भीड़ भाड़ के सादे तरीके से नामांकन फार्म जमा किए।
ठा. सुरेंद्र सिंह की बेटी लयसिंह ठाकुर ने भी नामांकन फार्म जमा किया है। अर्चना चिटनिस के साथ सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज लधवे नामांकन जमा कराने पहुंचे थे। शेरा के साथ कांग्रेस जिलाध्यक्ष रिंकू टाक मौजूद थे। नामांकन फार्म जमा करने के बाद हर्षवर्धन सिंह चौहान ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अब नामांकन फार्म की वापसी संभव नहीं है। उनके लिए जन भावनाएं सर्वोपरि हैं।
हिंदूवादी नेता प्रियांक सिंह ने कहा कि राजनीतिक दलों में परिवारवाद हावी है। कई दशक से चुनिंदा परिवारों ने सत्ता पर कब्जा जमा रखा है। हर बार टिकट भी उनके ही परिवार को मिलता है। ऐसे नेताओं ने आम मतदाताओं को गधा समझ रखा है। उन्हें हर बार विकास के झूठे सपने दिखाते हैं और वोट लेने के बाद खुद की संपत्ति बढ़ाने में लग जाते हैं। इसलिए उन्होंने गधे पर ही सवार होकर नामांकन दाखिल करने का निर्णय लिया। पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस ने जन कल्याण और विकास के साथ जनता के बीच जाने की बात कही। ठा. सुरेंद्र सिंह ने भी अपनी जीत का दावा किया है।
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भाजपा सरकार ने बिजली बिल माफी के नाम पर जनता को दिया धोखा- कांग्रेस
भोपाल। कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर एक किलोवाट तक के बिजली उपभोक्ताओं से धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक किलोवाट तक के बिल माफ करने की जो घोषणा की थी, वह धोखाधड़ी थी। किसी भी उपभोक्ता का बिल माफ नहीं किया गया। ऊर्जा विभाग ने आदेश भी केवल बिल स्थगित करने का निकाला। वहीं, दूसरी ओर उपभोक्ताओं की खपत बिना बताए एक किलोवाट से बढ़ाकर दो किलोवाट कर दी, ताकि किसी को माफी न देनी पड़े। उन्होंने आरोप के समर्थन में तीन लाख 85 हजार उपभोक्ताओं के दस्तावेज भी प्रस्तुत किए।
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में हुई पत्रकारवार्ता में सुरजेवाला ने कहा कि एक सितंबर 2023 को जारी आदेश में बिल माफ करने के स्थान पर एक किलोवाट तक के सभी उपभोक्ताओं के बिलों की राशि को स्थगित करने का आदेश दिया। तीनों विद्युत वितरण कंपनियों ने एक किलोवाट के 18-20 लाख उपभोक्ताओं के विद्युत खपत के भार को बढ़ाकर दो किलोवाट कर दिया ताकि किसी के बिल माफ न करने पड़े। खपत में वृद्धि के लिए किसी से सहमति भी नहीं ली, जो नियमों का उल्लंघन है। इससे उपभोक्ताओं को अधिक राशि चुकानी पड़ेगी यानी राहत देने की जगह और आर्थिक भार डाल दिया। उन्होंने आरोप के समर्थन में दावा किया कि हमने 21 जिलों के 38 डिवीजन के डेटा का अध्ययन किया तो यह पाया कि तीन लाख 85 हजार 953 उपभोक्ताओं को बगैर सूचित किये उनके भार की वृद्धि कर दो किलोवाट कर दिया गया। भाजपा सरकार से पांच सवाल पूछते हुए उन्होंने बिजली उपभोक्ताओं से की गई धोखाधड़ी का जवाब भी मांगा।
सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस ने वचन दिया है कि 100 यूनिट तक खपत करने वाले प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को बिजली का कोई बिल नहीं चुकाना होगा। साथ ही 200 यूनिट तक के उपभोक्ताओं का बिजली बिल भी आधा हो जाएगा। पांच हार्सपावर तक की कृषि पंप का उपयोग करने वाले किसानों को निश्शुल्क बिजली मिलेगी।
समाजवादी पार्टी से समझौता न हो पाने, दिग्विजय सिंह द्वारा चार सीटें देने पर सहमति बनने के बाद बात बिगड़ने के प्रश्न पर सुरजेवाला ने कहा कि I.N.D.I.A गठबंधन के मित्रों से अलग-अलग विषयों पर वार्ता चलती रहती है। कभी समन्वय बन जाएगा, कभी शायद न भी बन पाए, पर हम नीतिगत तौर पर देश में महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने सब इकट्ठे हैं। सबका डीएनए संविधान और इंडिया ही रहेगा।
राम मंदिर को भाजपा द्वारा मुद्दा बनाए जाने पर उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम वोट की राजनीति का विषय कैसे हो सकते हैं, वो तो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। वे पहले से सबके मन और कण-कण में हैं। इन्होंने कोई काम 18 वर्ष में जनता के लिए नहीं किया और उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया तो जनता सबसे बड़ी भगवान है। प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता जिनके अंदर ईश्वर का वास है, वह सच्चाई की अदालत में वोट की चोट से बाहर का रास्ता दिखाएंगे।
सात प्रत्याशी बदले जाने पर उन्होंने कहा कि पार्टी ने बहुत सोच-समझकर निर्णय किया है। अब इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। निशा बांगरे के टिकट पर उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस की सदस्यता ले रही हैं, उन्हें शुभकामनाएं।
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चुनाव नहीं लड़ रहीं निशा बांगरे, नौकरी गई और अब टिकट भी...!
छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के चुनावी रण में उतरने के लिए नौकरी छोड़ने वाली डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने बड़ा ऐलान किया है। कमलनाथ ने मंच से कहा है कि निशा बांगरे चुनाव नहीं लड़ रही हैं। कमलनाथ के इस ऐलान के बाद निशा बांगरे के बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर विराम लगता नजर आ रहा है।
डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा देने वाली निशा बांगरे ने आज गुरुवार को छिंदवाड़ा में कमलनाथ के मंच पर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान कमलनाथ ने मंच से निशा बांगरे की तारीफ करते हुए उनके चुनाव न लड़ने की बात कही। कमलनाथ ने कहा कि निशा बांगरे चुनाव नहीं लड़ रही हैं, कोई बात नहीं..लेकिन मध्य प्रदेश को आप की सेवाओं की आवश्यकता है। आपको ऐसी और भी महिलाओं को सामने लाना होगा जिनके साथ मध्यप्रदेश में अत्याचार हुआ है। निशा बांगरे की सेवाओं की मध्यप्रदेश को बहुत आवश्यता है।
बता दें कि छतरपुर की डिप्टी कलेक्टर रहीं निशा बांगरे ने चुनाव लड़ने के लिए करीब तीन महीने पहले डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन राज्य सरकार ने उनके इस्तीफे को मंजूर नहीं किया था। इस्तीफे को लेकर निशा बांगरे ने करीब तीन महीने तक लंबी लड़ाई लड़ी और हाईकोर्ट के बाद बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को 23 अक्टूबर तक इस मामले में जल्द निर्णय लेने के आदेश दिए थे। जिसके बाद 24 अक्टूबर को दशहरे के दिन निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर हुआ था। इस्तीफा मंजूर होने के बाद इस तरह की चर्चाएं थीं कि कांग्रेस बैतूल जिले की आमला सीट से प्रत्याशी बदलकर निशा बांगरे को चुनावी मैदान में उतार सकती है लेकिन अब कमलनाथ के इस बयान के बाद निशा बांगरे के चुनाव लड़ने की चर्चाओं पर विराम लगता नजर आ रहा है।