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इमरजेंसी सेवाओं के लिए दो हेलीकॉप्टर तैनात, जीपीएस से होगी मतदान दल के गाड़ियों की निगरानी

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भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की 230 विधानसभाओं के लिए होने जा रही वोटिंग के लिए आज मतदान दल रवाना होंगे। 230 विधानसभाओं के लिए प्रदेश भर में 65 हजार 523 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं, इन बूथों के लिए मतदान दल रवाना होंगे. चुनाव आयोग मतदान दलों के सभी वाहनों की निगरानी जीपीएस सिस्टम से करेगा।
बता दें प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए कल 17 नवंबर को मतदान होना है. मतदान की प्रक्रिया कल सुबह सात बजे से शुरू हो जाएगी।मतदान कराने के लिए मतदान दल आज रवाना होंगे। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में टीम तैनात की गई है, जो हर जिले से मतदान दलों के रवाना होने की रिपोर्ट लेगी। सीईओ अनुपम राजन के अनुसार प्रदेश में 64 हजार 523 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं, जिन पर मतदान होना है. सीईओ अनुपम राजन के अनुसार प्रदेश भर में 38 हजार से अधिक मतदान केन्द्रों की सीसीटीवी और वेब कास्टिंग से निगरानी की जाएगी।
इधर मतदान दलों को ले जाने वाले वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाया गया है। निर्वाचन कार्यालय में मौजूद टीम इन वाहनों की लगातार निगरानी करेगी। वहीं मतदान टीम में शामिल माइक्रो ऑब्जर्वर, पीठासीन और सेक्टर अधिकारियों की टीमों को अलर्ट रहने और चुनाव के दौरान संदिग्ध गतिविधियों से दूर रहने के लिए कहा गया है. चुनाव आयोग ने प्रदेश में मोबाइल, कंप्यूटर और अन्य संसाधनों से किए गए जाने वाले बल्क एसएमएस को बैन कर दिया है। इसके चलते दो दिन तक सामान्य एसएमएस ही किए जा सकेंगे।
निर्वाचन आयोग के निर्देश अनुसार मतदान के एक दिन पहले सेक्टर अफसरों को भी क्षेत्र के नियम मतदान केन्द्र पर ही रात बिताना होगी. सेक्टर ऑफिसर, जिनके वाहन में रिजर्व ईवीएम रखी रहेंगी, उनमें भी जीपीएस रहेगा. प्रत्येक सेक्टर ऑफिसर के साथ डॉक्टर भी रहेगा. ऐसे डॉक्टरों को मतदान की सुविधा देने के लिए ईडीसी जारी किए गए हैं।
चुनाव आयोग ने मतदान की गतिविधियों को दो-दो घंटे की जानकारी भेजने के लिए मत प्रतिशत एप पीठासीन, सेक्टर और रिटर्निंग अधिकारियों से डाउनलोड कराया है. पीठासीन अधिकारी मतदान दलों के रवाना होने से लेकर वहां पहुंचने, मतदान कराने, मतदान केंद्र से मतदान सामग्री जमा करने वाले स्थल तक आने और मतदान सामग्री जमा करने तक की पूरी जानकारी एप पर डाउनलोड करेंगे। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को होने जा रही मतदान प्रक्रिया को लेकर निर्वाचन आयोग खासा अलर्ट है।
इस बार आकस्मिक सेवाओं के लिए एक एयर एंबुलेंस और दो हेलीकॉप्टर की भी व्यवस्था की गई है। एक हेलीकॉप्टर राजधानी भोपाल जबकि दूसरा जबलपुर में मौजूद रहेंगे. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन के अनुसार विधानसभा निर्वाचन के सुचारू संचालन के एक एक एयर एम्बुलेंस और 2 हेलीकॉप्टर 16 एवं 17 नवम्बर को आकस्मिक सेवाओं के लिए तैनात रहेंगे।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने बताया कि एक एयर एम्बुलेंस मतदान दिवस से पहले 16 नवम्बर को सुबह 11 बजे से अपराह्न 4 बजे तक गोंदिया महाराष्ट्र में तथा इसके पश्चात गोंदिया से रवाना होकर 17 नवम्बर मतदान सम्पन्न होने तक जबलपुर में उपलब्ध रहेंगी। इसके बाद यह एयर एम्बुलेंस गोंदिया के लिए रवाना हो जाएगी। इसी प्रकार एक हेलीकॉप्टर 16 एवं 17 नवम्बर को मतदान सम्पन्न होने तक बालाघाट में रखा जाएगा एवं एक अन्य हेलीकॉप्टर भोपाल में पूरे समय उपलब्ध रहेगा।
एयर एम्बुलेंस और हेलीकॉप्टर का उपयोग आवश्यकता होने पर किसी भी प्रकार की आकस्मिक सेवाओं के लिये किया जाएगा. विमानन संचालनालय ने कलेक्टर बालाघाट, जबलपुर, भोपाल एवं एयरपोर्ट डायरेक्टर गोंदिया को इस संबंध में आवश्यक व्यवस्थाएं करने के लिए निर्देशित किया है. निर्वाचन अधिकारी राजन ने मतदान केन्द्रों पर मेडिकल किट भी उपलब्ध रहे यह भी निर्देश दिए हैं।

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यहां लोगों ने किया चुनाव का बहिष्कार, रोड-नाली नहीं तो-वोट नहीं के लगाए नारे
निवाड़ी। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर जहां कल मतदान होने हैं। वहीं निवाड़ी जिले के ग्रामीणों ने चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर सभी को चैंका दिया है। ग्रामीणों का कहना है की जब गांव में विकास कार्य नहीं होते, रोड और नाली नहीं बनी, तो वह अपने मताधिकार का उपयोग क्यों करें। वहीं ग्रामीणों ने हाथों में बैनर पोस्टर लेकर रोड-नाली नहीं तो वोट नहीं के नारे भी लगाए हैं।
दरअसल यह पूरा मामला निवाड़ी जिले के ओरछा तहसील के बुडेरा के मडोर पश्चिमी गांव का है। जहां करीब 1300 से 1400 परिवार निवास करते है, यह गांव ओरछा से 8 किलोमीटर दूर हैं। वहीं हाथों में फ्लेक्स लिए रोड़ नहीं, नाली नहीं तो वोट नहीं के नारे लगाते हुए मध्य प्रदेश के 52वें जिला निवाड़ी के बुडेरा मडोर पश्चिम ग्राम पंचायत रजपुरा के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार किया हैं।
बतादें कि इस प्रदर्शन में बच्चे बूढ़े जवान और महिलाएं शामिल है, लोगों की मानें तो यहां करीब 20 वर्षों से सड़क और नाली जैसी सुविधाओं से भी वंचित हैं। स्कूल जानें वाले नन्हे मुन्ने बच्चों को भी इसी कीचड़ युक्त रास्ते से गुजरना पड़ता है, तो वही मंदिर जाने वाली महिला एवं पुरुष श्रद्धालुओं को भी इसी कीचड़ युक्त रास्ते से होकर जाना पड़ता है।
ग्रामीणों ने बताया कि, नेता आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं, अधिकारियों ने तो अब तक सुध ही नहीं ली, जबकि इसी संसदीय क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र खटीक केंद्र में अपना प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यही नहीं जिला प्रशासन को भी आवेदन और ज्ञापन के माध्यम से जिला प्रशासन एवं जिला निर्वाचन अधिकारी को भी अवगत कराया गया, इसके बावजूद भी उनका आश्वासन के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ।
इसके बाद ही इस बार ग्रामीणों ने 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि 1400 लोगों की आबादी का यह गांव निवाड़ी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जिसका प्रतिनिधित्व पिछली दो पंचवर्षीय से वर्तमान में भाजपा विधायक अनिल जैन कर रहे हैं। इसके पहले वर्तमान समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मीरा दीपक यादव यहां से विधायक रह चुकी है और वर्तमान में भी वे चुनाव लड़ रही हैं। वही कांग्रेस से वर्तमान निवाड़ी जिला पंचायत के अध्यक्ष बेटे एवं जिला पंचायत के सदस्य अमित राय चुनावी मैदान में उतरे है।
इसके साथ ही वर्तमान में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक जो इसी संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं और प्रतिनिधित्व भी करते हैं। ऐसे में मूलभूत सुविधाओं की आस छोड़ चुके लोगों ने इस बार चुनाव के बहिष्कार का फैसला लिया है, लोगों की मानें तो चुनाव के वक्त तो नेता बड़े-बड़े वादे करके चले जाते हैं लेकिन उसके बाद फिर मुड़ के भी नहीं देखते हैं, ऐसे में इस बार वह तब तक वोट नहीं करेंगे जब तक उनकी इन समस्याओं का समाधान नहीं होता है। बतादें कि, महिलाओं ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहा कि लाडली बहना योजना का लाभ न दे लेकिन गांव में रोड और नाली जैसी मूलभूत सुविधा मुहैया करा दे।
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नहाय-खाय के साथ 17 नवबंर से शुरू होगा छठ पूजा पर्व, 19 और 20 नवंबर को होंगे छठ पूजा के प्रमुख कार्यक्रम
भोपाल । छठ पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर 17 नवंबर नहाय खाय से शुरू होगा। 19 और 20 नवंबर को छठ पूजा के प्रमुख कार्यक्रम होंगे। पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत संपन्न किया जाता है। चार दिन चलने वाले इस पर्व में सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाएगी।
भोजपुरी एकता मंच के अध्यक्ष कुंवर प्रसाद ने बताया कि इस दिन रखा जाने वाला व्रत बेहद कठिन माना जाता है, क्योंकि इस व्रत को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए रखा जाता है। यह व्रत संतान की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की कामना के लिए रखा जाता है। शहर में भोजपुरी समाज के लोगों ने पर्व की तैयारी शुरू कर दी है, शीतलदास बगिया घाट, खटलापुरा घाट, बरखेड़ा घाट समेत अन्य घाटों पर पूजा के लिए साफ-सफाई कराई जा रही है।
छठ पर्व का पहला दिन नहाय-खाय के नाम से जाना जाता है। इसकी शुरुआत चैत्र या कार्तिक महीने के शुक्ल चतुर्थी से होती है। सबसे पहले घर की सफाई कर उसे पवित्र किया जाता है। उसके बाद व्रती अपने नजदीक में स्थित गंगा नदी, गंगा की सहायक नदी या तालाब में जाकर स्नान करते हैं। लौटते समय वो अपने साथ जल लेकर आते हैं, जिसका उपयोग वे खाना बनाने में करते है। व्रती इस दिन सिर्फ एक बार ही खाना खाते है। खाना में व्रती कद्दू की सब्जी, मूंग, चना दाल, चावल का उपयोग करते हैं।
छठ पर्व का दूसरा दिन जिसे खरना या लोहंडा के नाम से जाना जाता है, चैत्र या कार्तिक महीने की पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं। इस दिन व्रती अन्न तो दूर सूर्यास्त से पहले पानी की एक बूंद तक ग्रहण नहीं करते। शाम को चावल गुड़ और गन्ने के रस का प्रयोग कर खीर बनाया जाता है।
छठ पर्व का तीसरा दिन जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। चैत्र या कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है। पूरे दिन सभी लोग मिलकर पूजा की तैयारियां करते हैं। छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू जिसे कचवनिया भी कहा जाता है। छठ पूजा के लिए एक बांस की बनी हुई टोकरी जिसे दउरा कहते है, में पूजा के प्रसाद, फल डालकर देवकारी में रख दिया जाता है। वहां पूजा अर्चना करने के बाद शाम को एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल, और पूजा का अन्य सामान लेकर टोकरी में रखकर घर का पुरुष अपने हाथों से उठाकर छठ घाट पर ले जाता है।
चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्योदय से पहले ही व्रती लोग घाट पर उगते सूर्यदेव की पूजा हेतु पहुंच जाते हैं और शाम की ही तरह उनके पुरजन-परिजन उपस्थित रहते हैं। पूजा-अर्चना के समाप्त होने के बाद घाट का पूजन होता है एवं उपस्थित लोगों में प्रसाद वितरण करते हैं।