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न्यायालय में मिथ्या परिवाद-पत्र पेश पर परिवादिया कुसुम पर 5,000/-रूपये का परिव्यय लगाया

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गुना। (गरिमा टीवी न्यूज़) गुना उपभोक्ता न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण केस में फैसला देते हुए मिथ्या परिवाद पेश करने वाली महिला के खिलाफ ही ₹5000 का परिवयय लगाया है।
अभिभाषक अवधेश माहेश्वरी ने बताया कि परिवादी कुसुम माहेश्वरी ने एक परिवाद-पत्र संजय राठी, प्रबंधक भारतीय जीवन बीमा निगम, प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक, पेट्रोल पंप के पास गुना, शाखा प्रबंधक एक्सिस बैंक शाखा गुना के विरूद्ध इस आशय का परिवाद-पत्र प्रस्तुत किया, कि सभी विपक्षींगण से उसे चैक क्रमांक-86458 की राशि 15,000/-रूपये का मय ब्याज भुगतान कराया जाये, हुई परेशानी के लिये 60,000/-रूपये की राशि एवं वाद व्यय के लिये 1,000/-रूपये एवं अभिभाषक शुल्क के लिये 10,000/-रूपये की राशि का भुगतान कराया जाये।
इस प्रकरण में यह स्वीकृत तथ्य था, कि परिवादी ने विपक्षी क्रमांक-1 संजय राठी, विपक्षी क्रमांक-2 प्रबंधक भारतीय जीवन बीमा निगम से दिनॉक-31/03/2010 को एक मनी बैंक बीमा पॉलिसी क्रमांक-20831435 जारी कराई गई थी, जिसमें परिवादी प्रतिवर्ष 5,553/-रूपये की राशि बतौर प्रिमियम अदा करती थी, और उक्त्त मनी बैंक पॉलिसी के अन्तर्गत परिवादी को विपक्षी क्रमांक-2 जीवन बीमा निगम द्वारा प्रति 4 वर्ष में 15,000/-रूपये की राशि दी जाती थी।परिवादी ने इस आशय का परिवाद किया, कि मनी बैंक बीमा पॉलिसी के अनुसार उसे वर्ष 2014 में 15,000/-रूपये की राशि जीवन बीमा निगम से प्राप्त होनी थी, राशि प्राप्त ना होने पर ऐजेन्ट संजय राठी से संपर्क किया गया, तब उन्होनें कुछ दिवस पश्चात् उनके पास राशि आने के संबंध में आश्वासन दिया, फिर वह जीवन बीमा निगम के कार्यालय गई वहां उन लोगों ने बताया, कि इस 15,000/-रूपये राशि का एक चैक क्रमांक 86458 दिनॉक-28/ 03/2014 को ऐजेन्ट संजय राठी को दे दिया गया है, लेकिन संजय राठी ने उसे चैक नहीं दिया, विपक्षी क्रमांक-3 भारतीय स्टेट बैंक से परिवादी ने अपने खाते का विवरण मांगा, लेकिन उक्त चैक के जमा होने का कोई उल्लेख नहीं था, और सभी विपक्षियों ने बताया, कि चैक का भुगतान दिनाँक 04/06/2014 को ही निर्धारित समय अवधि में परिवादी को हो चुका है, भारतीय जीवन बीमा निगम ने बताया, कि दिनोंक-28/03/2014 को जारी चैक क्रमांक-86458 का भुगतान दिनाँक 04/06/2014 को परिवादी को गढ़ा कॉपरेटिव बैंक स्थित गुना खाते में हुआ है, तब आयोग द्वारा गढ़ा कॉपरेटिव बैंक गुना को पत्र लेख किया गया, उक्त पत्र के पालन में उक्त बैंक के परिसमापक द्वारा दिनॉक-24/11/2023 को आयोग को पत्र लिखते हुये परिवादी का एकाऊन्ट स्टेटमेन्ट प्रेषित किया, परिवादी के बचत खाते में उक्त्त चैक की राशि 15,000/-रूपये दिनाँक 04/06/2014 को जमा हुई है, इसके बाबजूद भी परिवादी कुसुम माहेश्वरी के द्वारा दिनॉक-08/01/2019 को परिवाद क्रमांक-18/2019 आयोग के समक्ष पेश कर दिया, और विपक्षी क्रमांक-1 संजय राठी की ओर से अभिभाषक अवधेश माहेश्वरी ने सार्थक पैरवी कर अपनी दलीलें रखी, इस परिवाद को आयोग ने मिथ्या माना, और सभी विपक्षीगण की साख को परिवादिया के द्वारा आहत करना पाया गया, आयोग का 4 वर्ष का समय इस मिथ्या परिवाद में नष्ट किया गया, तब जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष सुरेश कुमार चौबे व सदस्य कु.शबीना अली ने यह निर्णय दिया, कि आयोग के समक्ष इस प्रकार के मिथ्या परिवाद प्रस्तुत किये जाने पर न्यायहित में रोक लगना आवश्यक है, इस कारण मिथ्या परिवाद-पत्र पेश करने के कारण परिवादिया कुसुम माहेश्वरी पर 5,000/-रूपये का परिव्यय लगाया, और यह निर्देशित किया, कि 2 माह के अंदर यह राशि परिवादिया जमा करेगी, एवं 1-1 हजार रूपये चारों विपक्षियों को इस परिव्यय की राशि में से अदा की जायेगी, और शेष बचीं 1,000/-रूपये की राशि उपभोक्ता कल्याण निधि में जमा की जायेगी।