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हरदा विस्फोट कांड पर विधानसभा में कांग्रेस लाई काम रोको प्रस्ताव

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भोपाल। सुबह 11 बजकर 20 मिनट पर मंत्रालय में कैबिनेट की बैठक चल रही थी। तभी सूचना मिली कि हरदा में पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हुआ है। उसका वीडियो देखकर ऐसा लगा मानो परमाणु बम फूट गया हो। तत्काल मंत्री उदय प्रताप सिंह को दो वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मौके पर भेजा। राहत के काम में पूरी टीम लगाई।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सूचना दी क्योंकि तब तक कुछ पता नहीं था कि आतंकी वारदात है या क्या हुआ। इस मामले में कितना ही बड़ा अधिकारी क्यों न हो, दोषी है तो बचेगा नहीं। यह बात मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने गुरुवार को विधानसभा में कांग्रेस द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में कही। उन्होंने ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए पक्ष-विपक्ष की समिति बनाने की बात भी रखी पर विपक्ष ने न्यायिक जांच की घोषणा न किए जाने पर लीपापोती का आरोप लगाते हुए बहिर्गमन कर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन वर्ष पहले किसकी सरकार थी, मैं इसमें नहीं पड़ना चाहता हूं। फैक्ट्री जब बनी तब एकांत में थी लेकिन बाद में वहां बस्ती बसा दी। हमें भी ध्यान रखना चाहिए। हमारी पहली प्राथमिकता लोगों को बचाने की थी। अधिकारियों को इसलिए हटाया क्योंकि दो माह पहले अधीनस्थ अधिकारी ने पत्र लिखा था कि विस्फोटक अधिक मात्रा में पाया है।
इसके बाद भी कार्रवाई नहीं की। जांच प्रभावित न हो, इसलिए संबंधितों को हटा दिया है। इस मामले में कितना ही बड़ा अधिकारी हो, यदि जांच में वह दोषी पाया जाता है तो नहीं बचेगा। एनजीटी ने आदेश दिए हैं, उसका पालन होगा। यह भी आश्चर्यजनक है कि यह शिवाकाशी जैसी फैक्ट्री कैसे बन गई। घर-घर में बारूद बांटकर बम बनवाते थे। उपचार के लिए यदि किसी को प्रदेश के बाहर भी भेजना पड़ा तो भेजा जाएगा। ऐसे घटना फिर न हो, इसके लिए पूरे प्रदेश में जांच करा रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया कि जब अधिकारियों के पास 5-10 लाख रुपये आ रहे थे तो फिर वे निरीक्षण करने के लिए क्यों जाएंगे। जब नियम छह माह या एक वर्ष में निरीक्षण का है तो फिर क्यों नहीं किया गया। खानापूर्ति के लिए अधिकारी हटाए जाते हैं।
धार, झाबुआ, बैतूल सहित अन्य जगहों से लोग अपनों की तलाश में वहां भागे-भागे जा रहे हैं। अभी तक सूचना केंद्र तक नहीं बनाया गया। सारे सबूत वहां से हटा दिए। जांच के नाम पर मजाक चल रहा है।अधिकारियों को हटाना लीपापोती करने जैसा है। न्यायिक जांच की घोषणा करें और जिन्होंने हादसे में अपने हाथ या पांव गंवा दिए हैं, उन्हें जितना मुआवजा दे सकते हैं, उतना दें।
हरदा के विधायक आरके दोगने ने कहा कि मैं वहां का विधायक हूं और मेरा संरक्षण है तो मुझे भी फांसी की सजा दी जाना चाहिए, नहीं तो वह विधायक या मंत्री, जो वहां रहा है, उसको भी फांसी की सजा दी जाना चाहिए। कलेक्टर और एसपी के ऊपर भी एफआइआर होना चाहिए।
कलेक्टर ने लाइसेंस निरस्त कर दिया और कमिश्नर ने एक महीने का स्टे दे दिया। इसके बाद भी फैक्ट्री दो साल तक फिर चल गई और किसी को पता तक नहीं लगा। रामनिवास रावत ने कहा कि सरकारें आती-जाती रहती हैं लेकिन ऐसे कामों के लिए हम कभी संरक्षण न दें। चाहे कोई राजनैतिक व्यक्ति हो जिसने संरक्षण दिया हो, वह चाहे उस पक्ष का हो या इसका, ऐसे लोगों के खिलाफ आवश्यक रूप से कार्यवाही होना चाहिए। हेमंत कटारे, सुरेश राजे, फूल सिंह बरैया ने भी अपनी बात रखी।
सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि राजेश अग्रवाल जी, सोमेश अग्रवाल जी, रफीक, अरविंद आदि के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की गई है। इस पर कांग्रेस के सदस्यों ने आपत्ति जताई। उन्होंने कि अपराधियों के लिए जी लगाया जा रहा है। वे सम्मान के लायक नहीं हैं। सारंग ने तत्काल बात संभाली और कहा कि मैं अपने शब्द वापस ले रहा हूं। हेमंत कटारे ने भी यही बोला है।

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लोकायुक्त का बड़ा एक्शन: दस हजार की रिश्वत लेते पकड़ाई महिला सीईओ
रीवा। रीवा लोकायुक्त की टीम ने बड़ी कार्रवाई की है। उमरिया के जनपद पंचायत करकेली में नाडेप निर्माण का पैसा निकालने के लिए सरपंच से दस हजार रूपए की मांग की गई थी। जिसके बाद रीवा लोकायुक्त की टीम ने रंगे हाथों पकड़ लिया। अब मामले की जांच जारी है।
जानकारी के मुताबिक, उमरिया के जनपद पंचायत करकेली में मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रेरणा परमहंस ने बहरवाह सरपंच से दस हजार रूपए की रिश्वत की मांग की थी। जिसकी शिकायत सरपंच प्रमोद यादव ने लोकायुक्त से की थी। रीवा लोकायुक्त की टीम ने 15 सदस्यीय टीम के साथ इस कार्रवाई को अंजाम दिया। सीईओ के सरकारी बंगले पर रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। सरपंच से पैसा प्रेरणा सिंह के पति कौशलेंन्द्र सिंह द्वारा लिया गया। दोनों आरोपियों को रीवा लोकायुक्त ने गिरफ्तार कर लिया और मामले की जांच में जुट गई है।
रीवा लोकायुक्त ने गुरूवार की सुबह योजना बनाकर कार्रवाई को अंजाम दिया। सरपंच को सीईओ के घर दस हजार रूपए के साथ भेजा गया था। जैसे ही सीईओ ने पैसा लिया वैसे ही लोकायुक्त की टीम ने दबिश दे दी और मौके पर ही महिला सीईओ और उसके पति को गिरफ्तार कर लिया गया।
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नर्स की बेवफाई न हुई बर्दाश्त: शक होने पर प्रेमी डॉक्टर ने प्रेमिका को मारी गोली
जबलपुर। मध्य प्रदेश में जबलपुर के रसल चौक स्थित अस्पताल में काम करने वाली नर्स पर BHMS डॉक्टर ने गोली चला दी। दोनों के बीच दो साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था। घटना के बाद आरोपी फरार हो गया था लेकिन पुलिस ने तलाश कर आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी डॉक्टर ने सतना से एक हफ्ते पहले किसी अंकित सोनी नाम के शख्स से पिस्टल खरीदी थी। पुलिस अब सतना के अंकित सोनी का पता लगाकर उसे भी पूछताछ करेगी।
दरअसल आरोपी डाक्टर संदीप सोनी और उसकी नर्स प्रेमिका दोनों एक दूसरे को 2 साल से जानते हैं। बताया जा रहा है कि दोनों ही कटनी के रहने वाले हैं। साथ ही दोनों ने कटनी में भी पहले एक साथ काम किया था। तभी दोनों के बीच में दोस्ती हो गई और फिर दोनों जबलपुर चले आए। फिलहाल घायल नर्स जबलपुर के एक निजी अस्पताल में काम करती है। वहीं आरोपी डॉक्टर भी जबलपुर के अस्पताल में ही काम करता है।
पिछले कुछ दिनों से आरोपी डॉक्टर को यह शक हो रहा था कि उसकी प्रेमिका किसी और से बात कर रही है। लिहाजा दोनों के बीच में इस बात को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा था। कल आरोपी डॉक्टर आवेश में आया और उसने रसल चौक के पास दिन दहाड़े अपनी प्रेमिका को गोली मार दी। फिलहाल घायल नर्स अभी खतरे से बाहर बताई जा रही है। वहीं पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। जिससे मामले को लेकर पूछताछ की जा रही है।