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छत्रपति शिवाजी की मूर्ति लगाने पर हंगामा:अनावरण करने गए मंत्री पथराव में घायल

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पणजी। गोवा के मरगाव के साओ जोस डी एरियल गांव में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति लगाने पर हंगामा हो गया। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने पथराव कर दिया, जिसमें मूर्ति का अनावरण करने आए राज्य के समाज कल्याण मंत्री सुभाष पहल देसाई घायल हो गए। हालांकि उन्हें मामूली चोटें आई हैं।
मराठा सम्राट की सोमवार 19 फरवरी को 394वीं जयंती ,इसे मनाने के लिए देशभर में आयोजन हो रहे हैं। रविवार (18 फरवरी) को साओ जोस डी एरियल में भी शिवाजी महाराज की मूर्ति लगाई गई। विरोध बढ़ने पर यहां बड़ी तादाद में पुलिस तैनात की गई है। मंत्री सुभाष ने कहा है कि गांव और राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे, इसलिए वह पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराएंगे।
साओ जोस डी एरियाल के लोग रविवार से ही मूर्ति लगाने का विरोध कर रहे थे। जिसके बाद वहां कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस तैनात की गई। मंत्री देसाई ने जब मूर्ति का अनावरण करने के बाद गांव वालो ने उन्हें घेर लिया। मंत्री ने विरोध कर रहे लोगों से बातचीत की, लेकिन यह बेनतीजा रही। यह मूर्ति एक मुस्लिम निवासी की दान की गई निजी संपत्ति में स्थापित की गई है।
देसाई ने पहले कहा था- "छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। कुछ राजनीतिक ताकतें स्थानीय लोगों को मूर्ति की स्थापना के खिलाफ भड़का रही हैं।" हालांकि घटना के बाद SP साउथ सुनीता सावंत ने कहा कि हालात कंट्रोल में हैं। गांव में पुलिस को तैनात किया गया है।
घटना के बाद स्थानीय भाजपा नेता सेवियो रोड्रिग्स ने सोशल मीडिया X पर एक पोस्ट में लिखा- एक भारतीय ईसाई के रूप में मेरे मन में हमारी मातृभूमि की रक्षा के लिए छत्रपति शिवाजी के योगदान के लिए सबसे ज्यादा सम्मान है। मुझे निराशा है कि गोवा में कुछ लोग हमारी मातृभूमि के लिए उनके बलिदान को सांप्रदायिक राजनीति खेलने के लिए विवाद के एक बिंदु के रूप में देखते हैं।" रोड्रिग्स ने आगे कहा, शिवाजी एक कट्टर राष्ट्रवादी थे और उनकी अपार वीरता और भारत माता के लिए समर्पण के कारण हर भारतीय को उनसे प्रेरित होना चाहिए।
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ED के छठे समन पर भी पेश नहीं हुए केजरीवाल:AAP बोली- समन अवैध
नई दिल्ली। शराब घोटाले में पूछताछ के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सोमवार को भी ED के सामने पेश नहीं हुए। आम आदमी पार्टी (AAP) ने कहा कि ED के समन गैरकानूनी हैं। जब समन की वैधता को लेकर कोर्ट में सुनवाई चल रही है, तो बार-बार समन भेजने की जगह एजेंसी को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए।
एजेंसी ने 17 फरवरी को छठा समन भेजकर केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया था। ​इससे पहले जांच एजेंसी केजरीवाल को 2 फरवरी, 17 जनवरी, 3 जनवरी, 21 दिसंबर और 2 नवंबर को समन भेज चुकी थी। जब पांच समन के बाद भी दिल्ली CM पूछताछ के लिए नहीं आए तो ED ने राउज एवेन्यू कोर्ट में याचिका लगाई थी।
14 फरवरी को कोर्ट ने केजरीवाल से कहा था कि आप 17 फरवरी को अदालत में हाजिर होकर पेशी में न जाने की वजह बताएं। तब केजरीवाल दिल्ली विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और बजट सेशन के कारण वर्चुअली कोर्ट में पेश हुए थे। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि हम अगली सुनवाई 16 मार्च को करेंगे। केजरीवाल उस दिन कोर्ट में पेश होंगे।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि ED जल्द ही अरविंद केजरीवाल को सातवां समन भेज सकती है। इसके अलावा जांच एजेंसी ने कहा कि कोर्ट में समन की वैधता को लेकर सुनवाई नहीं हो रही है। केजरीवाल ने पहले जारी किए गए 3 समन का जानबूझकर पालन नहीं किया, इसलिए कोर्ट ने माना कि दिल्ली के CM ने अपराध किया है।
कोर्ट ने ED की याचिका पर IPC की धारा 174 के तहत संज्ञान लिया है। यह धारा कानूनी आदेश का पालन न करने से संबंधित है। कोर्ट ने माना कि केजरीवाल पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
16 फरवरी को विधानसभा में विश्वास मत प्रस्ताव पेश करते हुए केजरीवाल ने कहा था- भाजपा दिल्ली में ऑपरेशन लोटस चला रही है। हमारी पार्टी के 2 विधायकों से उन्होंने संपर्क किया और दावा किया था कि केजरीवाल को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
दोनों विधायकों से भाजपा के लोगों ने कहा कि AAP के 21 अन्य विधायक उनके संपर्क में हैं और पार्टी छोड़ने को तैयार हैं। उन्हें 25-25 करोड़ रुपए ऑफर किए गए हैं। हालांकि हमने जब विधायकों से पूछताछ की तो हमें पता चला कि उन्होंने 7 विधायकों से संपर्क किया है। केजरीवाल ने इससे पहले मार्च 2023 और अगस्त 2022 में विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया था।
कानून के जानकारों के अनुसार, CM केजरीवाल के बार-बार पेश नहीं होने पर ED उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी कर सकती है। उसके बाद भी पेश नहीं हुए तो धारा 45 के तहत गैर जमानती वारंट जारी कर सकती है।
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के जानकार बताते हैं कि पेश नहीं हो पाने की ठोस वजह बताई जाती है तो ED समय दे सकती है। फिर दोबारा नोटिस जारी करती है। PMLA में नोटिस की बार-बार अवहेलना पर गिरफ्तारी हो सकती है।
अगर CM केजरीवाल आगे भी पेश नहीं होते हैं तो जांच अधिकारी आवास पर जाकर पूछताछ कर सकते हैं। ठोस सबूत होने पर या सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन्हें गिरफ्तार कर सकते हैं।
वहीं, केजरीवाल वारंट जारी होने के बाद कोर्ट जा सकते हैं और अपने एडवोकेट की मौजूदगी में जांच में सहयोग करने का वादा कर सकते हैं। इस पर कोर्ट ED को उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दे सकता है।
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निर्वाचन अधिकारी पर चलेगा केस, सुप्रीम कोर्ट करेगा बैलेट पेपर्स की जांच
नई दिल्ली। चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव मामले में उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया है। इसके साथ ही कहा है वह बैलेट पेपर की जांच स्वयं करेगा।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में उच्चतम न्यायालय ने सख्त फैसला सुनाया है। उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कहा है कि वह स्वयं बैलेट पेपर्स में छेड़छाड़ की जांच करेगा। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के पार्षदों के दल के बदलने पर भी टिप्पणी की है। अदालत ने कहा है कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में पार्षदों का दलबदलना चिंताजनक है। यह हॉसट्रेडिंग है।
गौरतलब है कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में मामले में उच्चतम न्यायालय में सुनवाई से पहले देर रात चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर मनोज सोनकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही इसी दिन आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने अपनी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। इसके साथ ही निगम में बहुमत प्राप्त करने की संख्या भाजपा ने पूरी कर ली।
चंडीगढ़ नगर निगम में बहुमत मे लिए भारतीय जनता पार्टी के पास 14 पार्षद, एक सांसद, एक शिरोमणि अकादली दल का पार्षद था। इसे कारण वह बहुमत में नहीं थे लेकिन चुनाव अधिकारी के द्वारा आठ वोट खराब करने के कारण भाजपा यहां मेयर का चुनाव जीत गई। चुनाव के बाद आम आदमी सरकार उच्चतम न्यायालय चली गई। यहां उच्चतम न्यायालय ने बहुत ही तल्ख रूख अपनाते हुए निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ टिप्पणी की थी।