गुना। (गरिमा टीवी न्यूज़) गुना शहर के चारों हिस्सों में स्वास्थ्य सेवाएं लोगों को घर के पास मिले, इसे लेकर संजीवनी क्लीनिक, शहरी स्वास्थ्य केंद्र शुरु किए गए हैं। लेकिन यह सही तरीके से कार्य नहीं कर रहे थे। इसी को देखते हुए अब शहरी हेल्थ प्लान तैयार किया गया है। शहर के सभी 9 हेल्थ सेंटर की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है। यहां हर दिन रिपोर्टिंग की जाएगी। ताकि इन हेल्थ सेंटरों पर मरीजों को इलाज मिलने और स्वास्थ्य अमले की समय पर उपस्थिति पर नजर रखी जाएगी। इसे लेकर सहायक कार्यक्रम प्रबंधक को दायित्व सौंपे गए हैं। वह इन केंद्रों का निरीक्षण करेंगे और इसकी रिपोर्ट सीएमएचओ को देंगे। स्वास्थ्य विभाग ने इन सेवाओं को बेहतर करने की कार्ययोजना तैयार की है। इसी के तहत हर केंद्र पर सेवाएं मिले और मरीजों को छोटी-मोटी बीमारी के लिए अस्पताल न भागना पड़े, इसे लेकर व्यवस्था की जा रही है। सीएमएचओ राजकुमार ऋषिश्वर ने बताया कि सेवाओं पर निगरानी के कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है। इसके लिए सहायक कार्यक्रम प्रबंधक की नियुक्ति की गई है। वह हर दिन निगरानी करेंगे।
स्वास्थ्य विभाग ने गुना शहर के सभी 37 वार्डों में सेवाएं पहुंचाने के लिए 4-4 क्लस्टर बनाए हैं। शहर के भुल्लनपुरा, श्रीराम कॉलोनी, नानाखेड़ी, कोल्हूपुरा, कैंट, हड्डीमिल, कालापाठा, बूढ़ेबालाजी, कुश्मौदा स्थित प्रत्येक शहरी स्वास्थ्य केंद्र और संजीवनी क्लीनिकों के हिस्से में 4 से 5 वार्ड आए हैं। यह क्लस्टर की तरह काम करेंगे। जिस क्षेत्र में स्वास्थ्य केंद्र हैं, वहां के नजदीकी वार्ड में स्वास्थ्य सेवाएं दी जाएंगी। इन वार्डों में गांवों की तरह स्वास्थ्य अमला पहुंचेगा और टीकाकरण से लेकर कई सेवाएं देगा।
इस व्यवस्था के तहत शहर के लोगों को अपने घर के पास बनी संजीवनी क्लीनिक पर ही छोटी-मोटी बीमारी जैसे सर्दी, जुखाम, बुखार आदि का इलाज मिलेगा। गंभीर मरीज को ही अस्पताल जाना होगा। इससे अस्पताल में बढ़ते मरीजों को बोझ कम होगा। शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर ब्लड जांच के लिए सैंपल भी लिए जाएंगे। ताकि लोगों को अस्पताल तक दौड़ न लगानी पड़े।
शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर छुट्टी का दिन छोड़कर हर दिन ओपीडी खुलेगी। मातृ स्वास्थ्य एवं टीकाकरण, अंसचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम जैसे हाईपरटेशन, डायबिटिज, ओरल कैंसर की स्क्रीनिंग होगी। परिवार कल्याण कार्यक्रम की सभी सेवाएं, पैथोलॉजी की सुविधा, प्राथमिक स्वास्थ्य उपचार, दवाइयां, समस्त राष्ट्रीय कार्यक्रम, समुदाय आधारित गतिविधियां, राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम, आउटरीच और रेफरल सेवाएं मिलेंगी।
जिला अस्पताल में हर दिन की ओपीडी 700 से 1000 तक पहुंच जाती है। इसमें 40 फीसदी ऐसे मरीज होते हैं, जिनका इलाज वार्डों में स्थित शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर हो सकता है। लेकिन वह अस्पताल पहुंचते हैं। इसमें से 30 फीसदी मरीजों को जागरुक किया जाएगा और अपने मोहल्ले के पास स्थित केंद्र पर सेवाएं लेने के लिए प्रेरित करेंगे। इससे यह लाभ होगा कि मरीज को घर के पास ही इलाज मिलेगा और अस्पताल में मरीजों का दबाव कम होगा।
-शहर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने हर वार्ड को शहरी स्वास्थ्य केंद्र और संजीवनी क्लीनिक से जोड़ा जा रहा है। इसकी निगरानी के लिए सीएमएचओ कार्यालय में ही एक कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहां से शहरी स्वास्थ्य केंद्रों की गतिविधियां संचालित होंगी और निगरानी भी रखी जाएंगी। समय पर केंद्र खुले और मरीजों को इलाज मिले। इस लेकर अलग से ही सहायक कार्यक्रम प्रबंधक नियुक्त किया है, जो कार्यक्रम पर नजर रखेंगे।
डॉ. राजकुमार ऋषिश्वर, सीएमएचओ