This website uses cookies to ensure you get the best experience on our website.

सीरियल बम ब्लास्ट केस में आरोपी करीम टुंडा बरी, कोर्ट ने दो आतंकियों को दोषी माना

User Rating: 5 / 5

Star ActiveStar ActiveStar ActiveStar ActiveStar Active
 

अजमेर। अजमेर की टाडा कोर्ट ने सीरियल बम ब्लास्ट केस में मुख्य आरोपी करीम टुंडा को बरी कर दिया है। टाडा कोर्ट ने इस मामले में दो आतंकियों इरफान और हमीमुद्दीन को दोषी माना है। गौरतलब है कि अजमेर की टाडा कोर्ट ने सीरियल बम ब्लास्ट केस में करीब 30 साल बाद फैसला सुनाया है।
इससे पहले राजस्थान पुलिस आज सुबह 11 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच आतंकी करीम टुंडा, हमीदुद्दीन और इरफान को अजमेर स्थित टाडा कोर्ट लेकर पहुंची। 30 साल तक चली सुनवाई के बाद आज जब फैसला सुनाया गया तो कोर्ट में गहमागहमी बढ़ गई थी।
ये है पूरा मामला-आतंकी करीम टुंडा, हमीदुद्दीन और इरफान 6 दिसंबर 1993 को लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में हुए सीरियल बम धमाके के मामले में मुख्य आरोपी हैं। इससे पहले 28 फरवरी 2004 को भी टाडा कोर्ट ने सीरियल ब्लास्ट के 16 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 4 आरोपियों को बरी कर दिया था और बाकी लोगों की सजा बरकरार रखी थी और इन्हें जयपुर जेल में बंद रखा गया था।
अब्दुल करीब टुंडा को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का बम एक्सपर्ट है और उसे भारत में कई आतंकी हमला के लिए जिम्मेदार माना जाता है। करीब टुंडा पश्चिम उत्तर प्रदेश के पिलखुवा का रहने वाला है। 1980 तक अब्दुल करीब टुंडा होम्योपैथिक दवाइयों की दुकान चलाता था, लेकिन बाद में आतंकी संगठनों के संपर्क में आया तो दुकान बंद कर दी और संदिग्ध गतिविधियों में शामिल हो गया। ऐसा माना जाता है कि टुंडा दाऊद इब्राहिम और हाफिज सईद का भी करीबी है। लश्कर का बम एक्सपर्ट टुंडा ने बम बनाते समय धमाके में एक हाथ गंवा दिया था, इसीलिए उसे टुंडा के नाम से जाना जाता है।
-----------------------------------
उत्तराखंड टनल रेस्क्यू के हीरो का घर प्रशासन ने तोड़ा:हसन बोले- अच्छे काम का यह नतीजा
नई दिल्ली। उत्तराखंड के सिल्क्यारा टनल में पिछले साल नवंबर में 41 मजदूर फंस गए थे। उन मजदूरों को रैट माइनर्स की मदद से बाहर निकाला गया था। इन रैट माइनर्स में से एक वकील हसन भी थे, जो दिल्ली में रहते हैं।
28 फरवरी को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने वकील हसन के अवैध घर को गिरा दिया। हसन ने कहा- मुझे समझ नहीं आ रहा कि मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है। हमने इतना अच्छा काम किया, लेकिन बदले में घर उजाड़ दिया गया है। मैं अपने बच्चों को कहां ले जाऊंगा। जीविका कमाना बहुत मुश्किल है, मैं घर कैसे खरीदूंगा? हमारे लिए एकमात्र विकल्प मरना है।
उन लोगों ने हमें पुलिस स्टेशन भेज दिया। मेरे बच्चों, मेरी पत्नी और मुझे पुलिस स्टेशन में रखा गया। मेरे बेटे को पीटा गया और वह घायल हो गए है। पूरी दुनिया हमारी प्रशंसा कर रही है। उत्तराखंड सरकार ने हमें 50,000 रुपए दिए थे, लेकिन आज के समय में यह कुछ भी नहीं है।
क्या है पूरा मामला- दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने बुधवार को पूर्वोत्तर दिल्ली के खजूरी खास इलाके में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया। जिसके तहत हसन का घर भी तोड़ दिया गया।
हसन ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा, घर तोड़ने से पहले उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया था। हमने सिल्क्यारा सुरंग से 41 लोगों को बचाया और बदले में यह मिला। पहले, मैंने अधिकारियों और सरकार से यह घर मुझे देने का अनुरोध किया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
हसन ने आगे कहा, आधी रात के आसपास कुछ DDA अधिकारी आए और मुझे और मेरे परिवार को वसंत कुंज के एक गेस्ट हाउस में रहने की पेशकश की। इसके साथ ही DDA अधिकारियों ने उनसे यह भी कहा था कि गोविंदपुरी इलाके में जल्द ही एक घर उपलब्ध कराया जाएगा, लेकिन मैंने उनके प्रस्ताव को मना कर दिया, क्योंकि आश्वासन मौखिक था।
वकील हसन के घर तोड़ने वाले मामले पर प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया X पर लिखा- वकील हसन ने अपनी जान जोखिम में डालकर उत्तरकाशी सुरंग में फंसे मजदूरों की जान बचाई थी। तब अपने प्रचार के लिए भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं ने उनके साथ तस्वीरें खिंचवाईं थीं।
जब प्रचार खत्म हो गया तो आज उसी वकील हसन को थाने में बंद कर दिया और उनका घर तोड़कर उनके बच्चों के सिर से छत छीन ली। गरीबों का घर तोड़ना, उन्हें कुचलना, प्रताड़ित और अपमानित करना - यह अन्याय ही भाजपा के अन्यायकाल की सच्चाई है। जनता इस अन्याय का जवाब जरूर देगी।
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी सोशल मीडिया पर घर गिराने की आलोचना की। ओवैसी ने लिखा- किसी भी सभ्य समाज में उन्हें राष्ट्रीय नायक का दर्जा दिया जाता, पर शायद उनका नाम वकील हसन है, इसलिए मोदी राज में उनके लिए सिर्फ बुलडोजर, एनकाउंटर वगैरह मुमकिन है।
--------------------------------
तेलंगाना लैब ने की Dairy Milk Chocolate में कीड़े और जाले होने की पुष्टि, खाने के लिए बताया असुरक्षित
चॉकलेट की मशहूर कंपनी कैडबरी डेरी मिल्क को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। जिसमें कीड़े होने का दावा करते हुए हैदराबाद के एक शख्स सोशल मीडिया X पर पोस्ट साझा किया था, जिस पर तेलंगाना लैब ने चॉकलेट में कीड़े और जाले होने की पुष्टि की है। वहीं इसको लेकर तेलंगाना राज्य खाद्य प्रयोगशाला की तरफ से कीड़े और जाले की पुष्टि होने के बाद कैडबरी चॉकलेट के उपभोग को असुरक्षित करार दिया है।
यह पूरा मामला 9 फरवरी 2024 का है। जब हैदराबाद का एक शख्स रॉबिन जैचियस ने कैडबरी डेयरी मिल्क का चॉकलेट खरीदा था। इस दौरान उसमें कीड़े और जाले मिले थे। जिसके बाद जैचियस ने इसका वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट किया था। इस दौरान रॉबिन जैचियस ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा था कि रत्नदीप मेट्रो अमीरपेट से चॉकलेट खरीदी गई, जिसमें कीड़ी रेंगते हुए मिला है। वहीं रॉबिन सवाल भी खड़ा किया था कि क्या नजदीक एक्सपायरी डेट उत्पादों की गुणत्ता जांच की जाती है? इसके साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों के लिए कौन जिम्मेदार है ये भी सवाल उठाया था?
वहीं चॉकलेट में कीड़े और जाले की पुष्टि होने के बाद रॉबिन जैचियस ने स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से अपील की। इस दौरान रॉबिन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि कृपया इन कंपनियों को सिस्टम का मजाक न बनने दें। साथ ही लिखा कि इन कंपनियों को कड़ी सजा देने के साथ लाइसेंस भी रद्द कर देनी चाहिए।
तेलंगाना राज्य खाद्य प्रयोगशाला के मुख्य सार्वजनिक विश्लेषक की तरफ से एक रिपोर्ट पेश की गई। जिसमें कहा गया कि चॉकलेट के नमूने में सफेद कीड़े और जाले होने की पुष्टि की गई है। वहीं इस खाद्य सुरक्षा और मानकर अधिनियम, 2006 की धारा 3 (ZZ) (iii) (ix) के तहत असुरक्षित करार दिया गया है।