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ट्रेनों में हाईटेक सुरक्षा : 44 हजार ट्रेन कोच के दरवाजों पर लगाए जाएंगे कैमरे

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देश आधुनिकता की तरफ बढ़ रहा हैं। दरअसल आज देश के हर सेक्टर में आधुनिक विकास दिखाई दे रहे है। जानकारी के अनुसार अब रेलवे ने एक बड़ा कदम उठाने का निर्णय किया है। रेलवे अब ट्रेनों के डिब्बों में चेहरा पहचानने वाले सीसीटीवी कैमरे लगाने की नई पहल कर रहा है। इसी पहल के अंतर्गत, सेंट्रल रेलवे, पूर्वी रेलवे, प. रेलवे, और अन्य रेलमार्गों पर चलने वाली गाड़ियों में सुरक्षा को मजबूती प्रदान की जाएगी।
दरअसल इस योजना के अनुसार, 38 हजार से अधिक कोच में 8 कैमरे होंगे, जबकि 2700 कोच में 5 कैमरे लगाए जाएंगे। इसके अलावा दो हजार कोच में 4 कैमरे, और 960 कोच में 6 कैमरे होने वाले है। इस सुरक्षा उपाय से ट्रेनों में अपराधियों के आवागमन पर नियंत्रण कसा जाएगा।
दरअसल टेंडर की शर्तों के अनुसार, इन कैमरों में इमेज क्रॉपिंग टूल होना अत्यंत आवश्यक है। इससे बिना किसी परेशानी के सनग्लास, स्कार्फ या चेहरा ढंका होने पर भी सही पहचान संभव होगी। इसके साथ ही फेस रिकॉग्निशन कैमरों में कैप्चर इमेज रियल टाइम पर अपराधियों के डेटाबेस से मिलाया जाएगा, जिससे वास्तविक समय में उनका पता लगाया जा सकेगा। इसके अलावा, फेस मास्क पहने होने पर भी 95% तक सही पहचान की जा सकेगी।
रेलवे का यह कदम आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाएगा। दरअसल पिछले कुछ समय में ऐसे कई मामले सामने आए है। जब ट्रेनों में चोरी या अन्य गैरकानूनी गतिविधियां देखि गई है। हालांकि अब इस आधुनिक तकनीक से रेलवे ने इसपर लगाम लगाने की तैयारी कर ली है।

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आंध्रप्रदेश में हुए रेल हादसे की रेलमंत्री ने बताई वजह, कहा – ‘ट्रैन के पायलट फोन पर देख रहे थे मैच’
आंध्र प्रदेश। विजयनगरम जिले में पिछले साल 29 अक्टूबर को हुए ट्रेन हादसे के संबंध में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक बड़ा चौंकाने वाला खुलासा किया है। दरअसल हादसे के वक्त एक ट्रैन के पायलट और को-पायलट का अपने फ़ोन पर क्रिकेट मैच देखने का खुलासा हुआ है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि रायगड़ा पैसेंजर ट्रेन के पायलट और को-पायलट की इस हादसे में मौत हो गई थी, और इसमें दोनों को हादसे के लिए जिम्मेदार माना गया था क्योंकि उन्होंने दो लाल सिग्नल पार कर दिए थे। जिससे बड़ा हादसा हो गया और हादसे में कई यात्रियों की जान चले गई।
दरअसल हादसा मानवीय भूल के कारण हुआ था, जानकारी में सामने आया की विशाखापट्टनम-रायगड़ा पैसेंजर ट्रेन के पायलट ने रेड सिग्नल को क्रॉस कर दिया था। जिसके चलते यह आगे जा रही विशाखापट्टनम-पलासा पैसेंजर ट्रेन से टकरा गई। हादसा इतना खतरनाक था की इसमें दोनों ट्रैन क्षतिग्रस्त हो गई। और कई यात्रियों की जान चले गई कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। दरअसल इस टक्कर से दोनों ट्रेनों के पांच डिब्बे पटरी से नीचे उतर गए, जिसमें 3 कोच आगे के थे और जबकि दो पीछे आ रही ट्रेन के थे।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मई 2022 में ट्रेन हादसों को रोकने के लिए सुरक्षा कवच सिस्टम की बात की थी। इसके बावजूद, एक साल बाद भी इस प्रक्रिया को सिर्फ सिकंदराबाद जोन में ही लागू किया गया है, हालांकि जिसमें से अभी तक भी केवल 65 इंजनों को ही इन सुरक्षा कवच से लैस किया गया है। रेलवे ने 2022-23 वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 5000 किलोमीटर रूट पर कवच लगाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसमें भी देरी हो रही है।
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मोदी सरकार की नीतियों के कारण भारत में बांग्लादेश, भूटान और पाकिस्तान से ज्यादा बेरोजगारी: राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को नौकरियों के मुद्दे पर सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर हमला किया और दावा किया कि भारत में पड़ोसी बांग्लादेश, भूटान और पाकिस्तान से भी अधिक बेरोजगारी है।
अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान मध्य प्रदेश में एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियां भारत में बढ़ती बेरोजगारी का कारण हैं।
“आज देश में पिछले 40 वर्षों में सबसे अधिक बेरोजगारी है। पाकिस्तान की तुलना में भारत में दोगुनी बेरोज़गारी है. हमारे पास बांग्लादेश और भूटान से भी अधिक बेरोजगार युवा हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी और जीएसटी लागू करके छोटे व्यवसायों को खत्म कर दिया है,'' कांग्रेस नेता ने कहा।
एक सोशल मीडिया पोस्ट में, गांधी परिवार ने रेलवे की नीतियों को लेकर भी सरकार की आलोचना की। उन्होंने दावा किया कि किराया बढ़ने के कारण गरीब ट्रेनों में पैर भी नहीं रख पा रहे हैं.
“हर साल किराए में 10 प्रतिशत की वृद्धि, डायनेमिक किराया के नाम पर लूट, बढ़ते रद्दीकरण शुल्क और महंगे प्लेटफ़ॉर्म टिकटों के बीच, लोगों को एक 'एलिट ट्रेन' की तस्वीर दिखाकर लालच दिया जा रहा है जिसमें गरीब पैर भी नहीं रख सकते हैं। पर,” पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने कहा।
उन्होंने कहा कि ट्रेनों में एसी कोच बढ़ाने के लिए ट्रेनों में जनरल कोच, जिनका इस्तेमाल ज्यादातर गरीब, किसान और छात्र करते हैं, कम कर दिए गए हैं और इसे छुपाने के लिए रेलवे बजट अलग से पेश करने की प्रथा को खत्म कर दिया है.
एसी कोचों की संख्या बढ़ाने के लिए जनरल कोचों की संख्या कम की जा रही है। इन (सामान्य) डिब्बों में न केवल मजदूर और किसान बल्कि छात्र और सर्विस क्लास के लोग भी यात्रा करते हैं। एसी कोचों का उत्पादन भी सामान्य कोचों से तीन गुना तक बढ़ा दिया गया है। दरअसल, रेल बजट को अलग से पेश करने की परंपरा खत्म करना इन कारनामों को छिपाने की साजिश थी।'