This website uses cookies to ensure you get the best experience on our website.

बाराबंकी से BJP उम्मीदवार का कथित अश्लील वीडियो वायरल, वापस ले ली अपनी दावेदारी

User Rating: 4 / 5

Star ActiveStar ActiveStar ActiveStar ActiveStar Inactive
 

बाराबंकी से भाजपा उम्मीदवार व सांसद उपेंद्र सिंह रावत का एक कथित अश्लील वीडियो सामने आया है। इस कथित अश्लील वीडियो के बाद उन्होंने अपनी दावेदारी वापस ले ली है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि यह एक डीपफेक वीडियो है, जिसको एआई तकनीक के जरिए बनाया गया है।
उपेंद्र रावत ने एक्‍स पर ल‍िखा कि मेरा एक एडिटेड वीडियो वायरल किया जा रहा है, जो DeepFake AI तकनीक से जेनरेटेड है, जिसकी एफआईआर मैंने दर्ज करा दी है। इस मामले की जानकारी मैंने राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को दे दी है। मैंने उनसे निवेदन किया है कि इसकी जांच करवायी जाये। जबतक मैं निर्दोष साबित नहीं होता सार्वजनिक जीवन में कोई चुनाव नहीं लड़ूंगा।
------------------------------
अब दिल्ली में “मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना” हर महिला को मिलेगा 1000 रुपये महीना
दिल्ली। मध्य प्रदेश सरकार में चल रही लाड़ली बहना योजना अब दिल्ली सरकार भी शुरू कर रही है, केजरीवाल सरकार ने आज बजट पेश करते हुए इसकी घोषणा की, वित्त मंत्री आतिशी ने बजट पेश करते हुए घोषणा की कि अब से दिल्ली की हर बालिग महिला को हर महीने 1000 रुपये मिलेंगे, सरकार ने योजना को “मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना” नाम दिया है।
दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी ने आज विधानसभा में अरविंद केजरीवाल सरकार का बजट पेश किया, वित्त मंत्री ने 76 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश किया, बजट में शिक्षा के लिए 16 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया ई वहीं बुजुर्ग तीर्थ दर्शन योजना के लिए 80 करोड़ रुपये बजट में स्वीकृत किये गए है।
बजट पेश करते हुए आतिशी ने घोषणा की कि सरकार अब दिल्ली की हर बालिग यानि 18 साल से ऊपर उम्र की महिला को 1000 हजार रुपये महीना सम्मान निधि देगी, सरकार ने इस योजना की मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना नाम दिया है, योजना अगले साल से प्रभावी होगी ।
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ऐसे योजना पहले से ही चला रही है जिसका नाम मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना है, इस योजना के तहत महिलाओं को 1250 रुपये प्रति महीने दिए जाते हैं, शुरुआत में 1000 हजार रुपये महीने ही दिए जाते थे, सरकार ने धीरे धीरे राशि बढ़ाने का वचन दिया था जिसके तहत राशि बढाकर दी जा रही है ।
--------------------------------
नोट लेकर सदन में वोट दिया तो मुकदमा चलेगा:सुप्रीम कोर्ट का सांसदों को कानूनी छूट देने से इनकार
नई दिल्ली। रिश्वत लेकर सदन में वोट दिया या सवाल पूछा तो सांसदों या विधायकों को विशेषाधिकार के तहत मुकदमे से छूट नहीं मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने सोमवार को 25 साल पुराना फैसला पलट दिया।
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस ए एस बोपन्ना, एम एम सुंदरेश, पी एस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, संजय कुमार और मनोज मिश्रा की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने कहा- हम 1998 में दिए गए जस्टिस पीवी नरसिम्हा के उस फैसले से सहमत नहीं हैं, जिसमें सांसदों और विधायकों को सदन में भाषण देने या वोट के लिए रिश्वत लेने पर मुकदमे से छूट दी गई थी।
कोर्ट के कमेंट्स- अगर कोई घूस लेता है तो केस बन जाता है। यह मायने नहीं रखता है कि उसने बाद में वोट दिया या फिर स्पीच दी। आरोप तभी बन जाता है, जिस वक्त सांसद घूस स्वीकार करता है।
संविधान के आर्टिकल 105 और 194 सदन के अंदर बहस और विचार-विमर्श का माहौल बनाए रखने के लिए हैं। दोनों अनुच्छेद का मकसद तब बेमानी हो जाता है, जब कोई सदस्य घूस लेकर सदन में वोट देने या खास तरीके से बोलने के लिए प्रेरित होता है। आर्टिकल 105 या 194 के तहत रिश्वतखोरी को छूट हासिल नहीं है।
रिश्वत लेने वाला आपराधिक काम में शामिल होता है। ऐसा करना सदन में वोट देने या भाषण देने के लिए जरूरत की श्रेणी में नहीं आता है। सांसदों का भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को नष्ट कर देती है। हमारा मानना है कि संसदीय विशेषाधिकारों के तहत रिश्वतखोरी को संरक्षण हासिल नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में नोट लेकर वोट देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा- स्वागतम! सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा फैसला जो स्वच्छ राजनीति तय करेगा और व्यवस्था में लोगों का विश्वास गहरा करेगा।
यह मामला झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के सांसदों के रिश्वत कांड पर आए आदेश से जुड़ा है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा था। आरोप था कि सांसदों ने 1993 में नरसिम्हा राव सरकार को समर्थन देने के लिए वोट दिया था। इस मसले पर 1998 में 5 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था। अब 25 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को पलट दिया है।
यह मुद्दा दोबारा तब उठा, जब JMM सुप्रीमो शिबु सोरेन की बहू और विधायक सीता सोरेन ने अपने खिलाफ जारी आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की याचिका दाखिल की। उन पर आरोप था कि उन्होंने 2012 के झारखंड राज्यसभा चुनाव में एक खास प्रत्याशी को वोट देने के लिए रिश्वत ली थी। सीता सोरेन ने अपने बचाव में तर्क दिया था कि उन्हें सदन में 'कुछ भी कहने या वोट देने' के लिए संविधान के अनुच्छेद 194(2) के तहत छूट हासिल है।
सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट में सीता सोरेन का पक्ष रखा। उन्होंने हाल ही में लोकसभा में बसपा सांसद दानिश अली के खिलाफ भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के अपमानजनक बयान का जिक्र करते हुए कहा कि वोट या भाषण से जुड़ी किसी भी चीज के लिए अभियोजन से छूट, भले ही वह रिश्वत या साजिश हो, पूरी तरह होनी चाहिए।
22 जुलाई 2008 को लेफ्ट पार्टियों ने तब की यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। वाम दल अमेरिका से हुई न्यूक्लियर डील से नाराज थे। समर्थन वापस हुआ तो यूपीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया। तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। सदन में वोटिंग के दौरान यूपीए सरकार जीत गई।
इसी दौरान भाजपा सांसद महावीर भगोरा, अशोक अर्गल और फग्गन सिंह कुलस्ते ने सदन में नोटों की गड्डियां लहराईं। इन्होंने दावा किया था कि ये रुपए उन्हें यूपीए के फेवर में वोट करने के लिए दिए गए थे।