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चिटफंड मामले में उपभोक्ता फोरम ने 62 लोगों को 29 लाख का मुआवजा दिलाया

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ग्वालियर। सहारा चिटफंड धोखाधड़ी मामले में उपभोक्ता फोरम ने बड़ी कार्रवाई की है। फोरम ने 62 लोगों को 29 लाख रुपए का मुआवजा दिलाया है। लंबे समय से मुआवजे की उम्मीद में हिम्मत हार चुके लोगों को ग्वालियर की उपभोक्ता फोरम ने उम्मीद जगाई है।
बहुचर्चित सहारा चिटफंड धोखाधड़ी का मामला एक बार फिर चर्चा में है। अपनी जमा पूंजी दांव पर लगा चुके देशभर के लोगों में ग्वालियर जिले के भी कई लोग शामिल हैं। उनकी उम्मीद को उपभोक्ता फोरम ने बल दिया है। जिले के 62 लोगों को उनकी पूंजी की 30% राशि दिलवाने के आदेश के साथ लगभग 29 लाख रुपए के डिमांड ड्राफ्ट जारी करवाए जा चुके हैं। कुल रकम लगभग 42 लाख रुपए के आसपास है यानी अभी लोगों को 13 लाख रुपए और दिए जाएंगे। अधिवक्ता हेमंत शर्मा और सत्या शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार की पोर्टल सुविधा के बाद पहली बार इस मामले में इतना बड़ा भुगतान हो रहा है।
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हमारा व्यापार ठप हो गया: 200 व्यापारियों ने काले झंडे लेकर बनाई मानव श्रृंखला
इंदौर। जवाहर मार्ग वन-वे में दो पहिया वाहनों की छूट को लेकर व्यापारियों ने शनिवार को मानव श्रृंखला बनाकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। इस मौके पर गुरुद्वारा चौराहे से करीब एक किमी तक 200 व्यापारियों ने एक दूसरे का हाथ पकड़कर मानव श्रृंखला बनाई। इस दौरान ज्यादातर व्यापारियों ने सफेद कपड़े पहने और हाथों में काले झंडे लिए थे।
वन-वे में दो पहिया वाहनों की मामूली छूट पर जनप्रतिनिधि और अधिकारी के कानों में जरा भी जूं नहीं रेंग रही। व्यापारियों ने नेताओं से मिलने और ज्ञापनबाजी के बाद अब प्रदर्शन का दौर शुरू कर दिया है। पहले ब्लैक आउट और अब काले झंडे लेकर मानव श्रृंखला बनाई। चुनावी दौर में व्यापारियों के प्रति नेताओं का यह रवैया नुकसानदायक हो सकता है। मानव श्रंखला के दौरान व्यापारियों ने 'शहर हित में आगे हैं, फिर क्या हम ही शहर का हिस्सा नहीं हैं?, 'हम लोग व्यापार करने आते हैं, अगर व्यापार बंद हो गया तो हम क्या करेंगे' समेत कई नारे लगाए।
व्यापारियों ने बताया कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को हमारे शांति प्रदर्शन पर संवेदनशील तरीके से विचार करना चाहिए। हमारा व्यापार ठप हो गया है। व्यापार से बुरी तरह से मात खा रहे हैं। ये व्यापार क्षेत्र शहर का दिल है, यहां प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। हम वन-वे का विरोध नहीं कर रहे। बस दोनों तरफ दो पहिया वाहनों को छूट रहे।
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SDM ने CMHO कार्यालय किया सील, अधिकारियों और कर्मचारियों की पेंशन राशि में करोड़ों का गबन
भोपाल । मध्य प्रदेश के देवास जिले में करोड़ों रुपए के गबन की आशंका में एसडीएम ने बड़ी कार्रवाई की है। बीते तीन दिनों में दो सरकारी कार्यालयों को सील करने की कार्रवाई की है। बीते दिनों सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी कार्यालय में गड़बड़ी को लेकर कार्यालय सील किया गया था। वहीं दूसरी ओर आज शनिवार को CMHO कार्यालय पर भी यह कार्रवाई की गई है।
आज शनिवार को देवास एसडीएम ने सीएमएचओ विभाग सील कर दिया है। एसडीएम ने कहा कि कलेक्टर के आदेश के बाद यह कार्रवाई की गई है। बताया जा रहा है कि लाखों रुपये के गबन की आशंका की वजह से इसे सील किया गया है। एसडीएम फिलहाल इस मामले में कुछ नहीं कह रहे हैं। विभाग सील होने का 3 दिन में दूसरा मामला है। इससे पहले स्टेशन रोड स्थित सहायक भूमि संरक्षण का विभाग सील हो चुका है। दोनों मामलों में जांच जारी है।
दरअसल देवास में सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी कार्यालय में गबन का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां पदस्थ सहायक ग्रेड-3 शिवम पारुलकर ने अधिकारियों-कर्मचारियों के पेंशन की राशि में हेरफेर करते हुए उसे अपने और परिजन के खाते में डलवा दिया। मामले का खुलासा तब हुआ जब भोपाल में बैठे कोषालय अधिकारी को इस बात की भनक लगी और उन्होंने मामले को संज्ञान में लिया। इसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम बिहारी सिंह तथा जिला कोषालय अधिकारी नेहा कलचुरी ने कार्यालय पहुंचकर उसे सील कर दिया।
गुरुवार को उज्जैन से आई कोषालय की टीम ने ताले खुलवाकर सभी दस्तावेज जब्त किए और अपने साथ ले गई। जानकारी लगते ही सहायक ग्रेड-3 शिवम पारुलकर परिवार सहित फरार हो गया है। बताया जा रहा है कि शिवम पारुलकर ने मां के खाते में भी एक करोड़ रुपए, स्वयं के खाते में 70 लाख रुपए और 18 लाख रुपए भाई के खाते में डलवाए हैं। यह राशि ऑनलाइन ट्रांसफर की जाती थी। हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
सूत्रों के अनुसार, शिवम पारुलकर कंप्यूटर से अधिकारी-कर्मचारियों के बिल बनाकर कोषालय से राशि डलवाने का काम देखता था। साथ ही सेवानिवृत्त अधिकारी-कर्मचारियों की राशि भी वह उनके खातों में डलवाता था। अभी तक की जांच में यह बात सामने आई है कि पारुलकर ने वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी राधेश्याम मार्सकोले की सेवानिवृत्ति के बाद उनके नाम से छह बार ट्रांजैक्शन किया जबकि उनके खाते में एक बार ही पैसा पहुंचा।
इधर मामले की जानकारी मिलते ही कलेक्टर ऋषभ गुप्ता ने तत्काल कार्रवाई करते हुए कार्यालय को सील कर दिया और उज्जैन कोषालय की टीम को जांच के लिए बुलाया। टीम ने गुरुवार को कार्यालय में छापा मारकर सभी दस्तावेज जब्त कर लिए।
मामले में कलेक्टर ने कहा है कि जानकारी में आने के बाद सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी का कार्यालय सील कर दिया गया है। अकाउंट फ्रीज कर दिए गए हैं। उज्जैन से आई कोषालय की टीम ने सारे दस्तावेज भी जब्त कर लिए है। प्रथम दृष्टया ऑनलाइन देखकर ऐसा लग रहा है गबन किया है। फिलहाल कितनी राशि का गबन किया गया है यह नहीं बताया जा सकता क्योंकि टीम जांच कर रही है। रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा की बाबू ने किसके खाते में कितने की राशि डलवाई है। बाबू सहित जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।