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बेंगलुरु में युवक को मेट्रो में चढ़ने से रोका:शर्ट के 3 बटन खुले थे

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बेंगलुरु। बेंगलुरु मेट्रो में एक युवक को इसलिए नहीं चढ़ने दिया, क्योंकि उसकी शर्ट के बटन खुले थे। मेट्रो अफसरों ने युवक को हिदायत दी कि शर्ट के बटन बंद कर लें और साफ कपड़ों में मेट्रो स्टेशन पर आएं, अन्यथा मेट्रो में चढ़ने नहीं दिया जाएगा।
डोडाकलासंद्रा मेट्रो स्टेशन पर मौजूद अन्य पैसेंजर्स ने घटना को रिकॉर्ड करके वायरल कर दिया। यात्रियों ने पोस्ट में बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BMRCL) और बेंगलुरु दक्षिण सांसद तेजस्वी सूर्या को टैग किया।
BMRCL ने कहा- हम सभी यात्रियों के साथ समान व्यवहार करते हैं। यात्री अमीर हैं या गरीब, पुरुष हैं या महिला, इसके आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। अफसरों को शक था कि यात्री नशे की हालत में था। इसलिए उसे रोका गया था, ताकि वह महिलाओं और बच्चों को परेशान नहीं करे। एक अधिकारी ने कहा- बातचीत के बाद उसे मेट्रो में यात्रा करने की परमिशन दी गई।
फरवरी में बेंगलुरु मेट्रो स्टेशन का एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें दिख रहा था कि राजाजीनगर मेट्रो स्टेशन के स्टाफ ने एक किसान को मेट्रो में चढ़ने से इसलिए रोक दिया, क्योंकि उसके कपड़े गंदे थे।
वीडियो में एक वृद्ध किसान बैग चेकिंग पॉइंट पर खड़ा दिख रहा था। उसके सिर पर सामान का एक बोरा रखा हुआ था। जिस समय किसान को रोका जा रहा था, तब वहां खड़े एक पैसेंजर ने अफसर से पूछा- क्या मेट्रो में चलने का कोई ड्रेस कोड है? पैसेंजर ने ही घटना के वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया।
वीडियो की जांच के बाद बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BMRCL) ने किसान को रोकने वाले सिक्योरिटी सुपरवाइजर को टर्मिनेट कर दिया।
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संदेशखाली में रेप-जमीन हड़पने की जांच CBI करेगी:कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा- 2 मई को फिर सुनवाई करेंगे
कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार (10 अप्रैल) को पश्चिम बंगाल के संदेशखाली मामले की जांच CBI को सौंप दी। अपने आदेश में कहा कि CBI कोर्ट की निगरानी में जांच करेगी और रिपोर्ट सौंपेगी। मामले की अगली सुनवाई अब 2 मई को होगी।
संदेशखाली की महिलाओं ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेताओं पर कथित रूप से यौन उत्पीड़न और जबरन जमीन कब्जे का आरोप लगाया है। मामले में शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार आरोपी हैं। तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य की ममता बनर्जी सरकार CBI जांच पर रोक नहीं लगा पाएगी। दरअसल, राज्य से जुड़े किसी भी मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी CBI की इन्क्वायरी के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने 16 नवंबर, 2018 को राज्य में जांच और छापेमारी करने के लिए CBI को दी गई ‘सामान्य सहमति' वापस ले ली थी। उस समय चिटफंड घोटाले को लेकर ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के सेक्शन 2 के तहत सीबीआई सिर्फ केंद्र शासित प्रदेशों में सेक्शन 3 के तहत अपराधों पर खुद से जांच शुरू कर सकती है। राज्यों में जांच शुरू करने से पहले सीबीआई को सेक्शन 6 के तहत राज्य सरकार से इजाजत लेना जरूरी है।
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पतंजलि विज्ञापन केस में रामदेव-बालकृष्ण का माफीनामा खारिज:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कार्रवाई के लिए तैयार रहें
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पतंजलि के विवादित विज्ञापन केस में बाबा रामदेव और बालकृष्ण के दूसरे माफीनामे को भी खारिज कर दिया। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच ने पतंजलि के वकील विपिन सांघी और मुकुल रोहतगी से कहा कि आपने जानबूझकर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है, कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
उत्तराखंड सरकार की ओर से ध्रुव मेहता और वंशजा शुक्ला ने एफिडेविट पढ़ा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र से खत आता है कि आपके पास मामला है। कानून का पालन कीजिए। 6 बार ऐसा हुआ। बार-बार लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर चुप रहे। इसके बाद जो आए, उन्होंने भी यही किया। तीनों अफसरों को तुरंत सस्पेंड किया जाना चाहिए। मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।
इससे पहले 2 अप्रैल को इसी बेंच में हुई सुनवाई के दौरान पंतजलि की तरफ से माफीनामा दिया गया था। उस दिन भी बेंच ने पतंजलि को फटकार लगाते हुए कहा था कि ये माफीनामा सिर्फ खानापूर्ति के लिए है। आपके अंदर माफी का भाव नहीं दिख रहा। इसके बाद कोर्ट ने 10 अप्रैल को सुनवाई की तारीख तय की थी।
सुनवाई से ठीक एक दिन पहले 9 अप्रैल को बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने नया एफिडेविट फाइल किया। जिसमें पतंजलि ने बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि इस गलती पर उन्हें खेद है और ऐसा दोबारा नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।