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संदेशखाली में CBI ने NSG कमांडो के साथ सर्चिंग की, कई जगह हथियार-गोला बारूद मिला

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कोलकाता। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शुक्रवार 26 अप्रैल को संदेशखाली में कई जगहों पर सर्चिंग की। इस दौरान जांच एजेंसी विदेशी पिस्टल समेत कई हथियार, बम और गोला-बारूद बरामद किया। इसके बाद NSG कमांडो भी संदेशखाली पर पहुंचे। NSG टीम भी तलाशी अभियान चला रही है।
अधिकारियों ने बताया कि यह सर्चिंग 5 जनवरी को शाहजहां शेख के घर दबिश देने गई प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम पर हमले से जुड़ी है। ED की टीम 5 जनवरी को राशन घोटाला मामले में शाहजहां के ठिकानों पर रेड करने गई थी।
उस दिन करीब एक हजार लोगों की भीड़ ने टीम पर हमला कर दिया था, जिसमें ED के तीन अधिकारी घायल हो गए थे। एजेंसी के एक डिप्टी डायरेक्टर ने बशीरहाट एसपी से इसकी शिकायत की थी।
मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने CBI को FIR दर्ज करने का आदेश दिया था। इसी मामले की जांच में CBI को संदेशखाली में हथियारों का बड़ा जखीरा छिपा होने का इनपुट मिला था। CBI से जांच कराने के निर्देश के खिलाफ बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। इस पर 29 अप्रैल को सुनवाई होगी।
कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुरुवार 25 अप्रैल को CBI ने संदेशखली में जमीन हड़पने और महिलाओं के खिलाफ यौन शोषण केस में पहली FIR दर्ज की। मामले में पांच आरोपियों के नाम शामिल हैं। हालांकि ये आरोपी कौन हैं, यह सामने नहीं आया। हालांकि, कहा जा रहा है कि ये रसूखदार लोग हैं।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को संदेशखाली मामले की जांच CBI को सौंप दी थी। अपने आदेश में कहा कि CBI कोर्ट की निगरानी में जांच करेगी और रिपोर्ट सौंपेगी। मामले की अगली सुनवाई 2 मई को होगी।
संदेशखाली की महिलाओं ने 8 फरवरी को तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेताओं पर यौन उत्पीड़न और जबरन जमीन कब्जाने का आरोप लगाया था। मामले में 3 आरोपी शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार न्यायिक हिरासत में हैं।
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सुप्रीम कोर्ट में EVM-VVPAT के 100% मिलान की मांग खारिज, पर कैंडिडेट की शिकायत पर EVM जांच होगी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बैलट पेपर से चुनाव कराने और इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (EVM) और VVPAT स्लिप की 100% क्रॉस-चेकिंग कराने से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दीं।
लेकिन एक बड़ा फैसला भी दिया। कोर्ट ने EVM के इस्तेमाल के 42 साल के इतिहास में पहली बार जांच का रास्ता खोल दिया। सुनवाई शुक्रवार को हुई और बेंच जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की थी। दोनों ने एकमत से फैसला सुनाया।
इस केस में 3 पक्ष शामिल थे…एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म यानी याचिकाकर्ता, चुनाव आयोग, सरकार। केस चुनाव और मतदान से जुड़ा है तो राजनीतिक पार्टियां और आम जनता भी जुड़ी हुई है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आम आदमी की वोट देने की प्रोसेस में कोई बदलाव नहीं होगा। वोटर पोलिंग बूथ जाएगा। अंगुली पर स्याही लगेगी। चुनाव अधिकारी कंट्रोल यूनिट का बटन दबाएगा। वोटर बैलट यूनिट में कैंडिडेट के नाम के सामने का बटन दबाएगा और फिर कुछ सेकेंड तक वीवीपैट की लाइट में अपनी पर्ची देख सकेगा। फैसले के बाद राजनीतिक पार्टियां और कैंडिडेट्स के लिए एक रास्ता खुला है। वे EVM की जांच करवा सकेंगे।
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SC में याचिका-NOTA को ज्यादा वोट तो चुनाव रद्द हो:चुनाव आयोग को नोटिस
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने NOTA से जुड़ी एक याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। याचिका शिव खेड़ा (मोटिवेशनल स्पीकर और You Can Win के लेखक) ने लगाई है। इसमें चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है। पिटीशन के मुताबिक, अगर NOTA (नन ऑफ द अबव) को किसी कैंडिडेट से ज्यादा वोट मिलते हैं तो उस सीट पर हुए चुनाव को रद्द कर दिया जाए और नए सिरे से चुनाव कराए जाएं।
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच शुक्रवार 26 अप्रैल को शिव खेड़ा की याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गई है।
सूरत में 22 अप्रैल को BJP कैंडिडेट मुकेश दलाल की निर्विरोध जीत के संदर्भ में याचिका दायर की गई है। दरअसल, यहां से कांग्रेस कैंडिडेट नीलेश कुंभाणी का पर्चा रद्द हो गया था। उनके पर्चे में गवाहों के नाम और दस्तखत में गड़बड़ी थी। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस कैंडिडेट समेत 10 प्रत्याशी मैदान में थे।
21 अप्रैल को 7 निर्दलीय कैंडिडेट्स ने अपना नामांकन वापस ले लिया। BSP कैंडिडेट प्यारे लाल भारती ही बचे थे, जिन्होंने सोमवार 22 अप्रैल को पर्चा वापस ले लिया। इस तरह भाजपा के मुकेश दलाल निर्विरोध चुने गए।