भोपाल। इलेक्टोरल बॉन्ड का मामला देश भर में गरमाया हुआ है। पक्ष विपक्ष इसे लेकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। वहीं, शनिवार को भोपाल पहुंचे सुप्रीम कोर्ट के वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश की भाजपा सरकार को जमकर घेरा।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही बताया है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि कितने बॉन्ड खरीदे, कितने पॉलीटिकल पार्टी को दिए। इसमें ज्यादातर पैसा घूस के तौर पर दिया, ये हिंदुस्तान नहीं दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला है। इस घूस से लाखों करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट दिए गए। यह संगीन अपराध है, इसकी जवाबदेही तय हो। प्रशांत ने कहा कि घूस लेकर दवा कंपनियों को टेंडर दिया गया। अदालत की निगरानी में एसआईटी इसकी जांच करे।
प्रशांत भूषण ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इंडिपेंडेंस एसआईटी (एसआईटी) मामले की जांच करे। चुनावी बॉन्ड घोटाले में अदालत की निगरानी में एसआईटी के गठन के लिए कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद चुनावी बॉन्ड का जो डॉटा सार्वजनिक किया गया, उससे संकेत मिलता है कि बॉन्ड्स के माध्यम से बड़े पैमाने पर संभावित लेन-देन कंपनियों और राजनीतक दलों द्वारा किया गया। डेटा से पता चलता है कि जिन कंपनियों को बड़ी परियोजनाएं मिलीं, उन्होंने परियोजनाएं प्राप्त करने के करीब सत्तारूढ़ दलों को बॉन्ड के माध्यम से बड़ी रकम दान की।
प्रशांत भूषण ने दावा किया है कि इसका डेटा संभावित जबरन वसूली के मामलों को उजागर करता है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), सीबीआई और आईटी विभाग जैसी एजेंसियां शामिल हैं। संभावित रिश्वत के अलावा, डेटा यह सूझता है कि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दान देने वाली कंपनियों पर विनियामक निष्क्रियता, घाटे में चल रही और राजनीतिक दलों को धन दान करने वाली शेल कंपनियों के साथ संभावित मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा करता है। चुनावी बांड घोटाला संभवतः देश का सबसे बड़ा घोटाला है, जिसकी एक स्वतंत्र संस्था द्वारा गहन जांच की आवश्यकता है।
प्रशांत भूषण ने बताया कि 15 फरवरी, 2024 को एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया और चुनावी बॉन्ड की आगे की बिक्री पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि चुनावी बॉन्ड संविधान के अनुच्छेद 19(1) (ए) के तहत मतदाता के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
प्रशांत भूषण ने दावा किया है कि कोरोना काल में लोगों को जानलेवा दवाइयां दी गई, इसके लिए कंपनियों से इलेक्टरल बॉन्ड के जरिए घूस ली गई। इतना बड़ा घोटाला हुआ है, इसकी जांच होनी चाहिए ताकि पता चल सके कि कंपनी में कौन-कौन लोग शामिल हैं, पॉलिटिकल कौन लोग शामिल हैं और एजेंसी के कौन लोग इसमें शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट एजेंसी का गठन करें और निष्पक्ष जांच हो। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में हम लोगों ने पिटीशन फाइल की है। जल्द ही इसकी सुनवाई होगी।
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पटवारी ने की पत्नी की गला घोंटकर हत्या, बरगी बांध में फेंका
जबलपुर। कुंडम थानााक्षेत्र में रहने वाले 32 वर्षीय पटवारी रंजीत मार्को ने पत्नी सरला की गला घोंटकर हत्या कर दी है। हत्या करने के बाद मौका पाते ही पत्नी के शव को ठिकाने लगाने के लिए जुगत लगाई। पतनी का शव लेकर सीधे बरगी बांध पहुंचा और कोई समझ पाता शव फेंका घर लौट गया।
घर वाले न कुछ पूछ लें इससे बचने के लिए पटवारी ने थाने में पत्नी को लापता बताते हुए गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखा दी और वह बच ऐसा सोचकर सामान्य जीवन जीने लगा। बताया जाता है कि पटवारी अपनी पत्नी की जिद करने की आदत से परेशान था। उसकी जिद से परेशान होकर मौत के घाट उतारने की घटना को अंजाम दे डाला।
पत्नी का शव घर से 5 किलोमीटर दूर बरगी बांध में फेंकने के बाद सामान्य दिखने का नाटक करता रहा। लापता बताकर नौकरी करता रहा। बताते हैं कि सरला और रंजीत प्रेम विवाह हुआ था। वह रिश्तेदारी, शादी और दूसरे कार्यक्रमों में उसे और डेढ़ साल के बेटे को साथ ले जाने की जिद करती थी। वारदात 22-23 अप्रैल की दरमियानी रात का कुंडम थाना इलाके की है।
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MP कोचिंग एसोसिएशन की चेतावनी: कहा- जबरन कार्रवाई हुई तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे
ग्वालियर। मध्यप्रदेश में संचालित कोचिंग सेंटरों में अब 16 साल से कम उम्र के बच्चों की नो एंट्री होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि कोचिंग सेंटर्स को लेकर केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन लागू की गई है। मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने इसके पालन को लेकर आदेश जारी किया है। इस फैसले का मध्य प्रदेश कोचिंग एसोसिएशन ने स्वागत किया है।
मध्यप्रदेश कोचिंग एसोसिएशन ने सरकार से मांग भी की है कि आदेश का पालन करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार कोचिंग कंट्रोल एंड रेगुलेशन एक्ट तैयार करें। साथ ही प्रदेश भर में कोचिंग संस्थानों को उस एक्ट के तहत रजिस्टर्ड किया जाए। सरकार के बिना किसी मसौदे के यदि जबरन कार्रवाई कोचिंग सेंटर पर की जाती है तो मध्यप्रदेश कोचिंग एसोसिएशन मामले को न्यायालय की दहलीज पर ले जाएगा।
मध्य प्रदेश कोचिंग एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट एमपी सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन और मध्य प्रदेश में उसे लागू करने के लिए शासन का आदेश स्वागत योग्य है, लेकिन इस आदेश को मध्य प्रदेश में कैसे लागू किया जाएगा? कौन इसे लागू करवाएगा? और किस आधार पर कहां पर यह लागू होगा? इसका प्रॉपर मसौदा मध्य प्रदेश सरकार को तैयार करके कोचिंग सेंटर को बताना होगा।
मध्य प्रदेश के अंदर 40000 से ज्यादा कोचिंग सेंटर संचालित होते हैं लेकिन उनका रजिस्ट्रेशन किस विभाग में किस एक्ट के तहत होना है। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। ऐसी स्थिति में जब किसी सेंटर का रजिस्ट्रेशन ही नहीं होगा तो उस पर नई गाइडलाइन के तहत रजिस्ट्रेशन रद्द करने की कार्रवाई कैसे लागू की जाएगी। एडवोकेट एमपी सिंह का यह भी कहना है कि देश के अंदर 6 ऐसे राज्य हैं जिन्होंने अपने प्रदेश के अंदर संचालित कोचिंग संस्थानों को लेकर कंट्रोल एंड रेगुलेशन एक्ट तैयार किए हैं उसी तर्ज पर मध्य प्रदेश सरकार को भी कोचिंग कंट्रोल एंड रेगुलेशन एक्ट बनाना चाहिए। जिसमें कोचिंग एसोसिएशन,अभिभावक संघ और शासन के विभाग से संबंधित अधिकारी शामिल हो।
एमपी सिंह ने कहा कि एक अच्छा एक्ट तैयार किया जाए जिससे कोचिंग सेंटरों को भी परेशानी ना हो और अभिभावकों को फायदा मिल सके। एमपी सिंह का कहना है बिना किसी एक्ट के तैयार हुए यदि प्रदेश में कोचिंग संस्थानों पर जबरन कार्रवाई की जाती है तो वह इस मामले को न्यायालय की दहलीज पर ले जाने मजबूर होंगे।
बता दें कि साल 2013 में स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया के जरिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। यह याचिका मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन के खिलाफ दायर की गई थी। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को डिस्पोज करते हुए अशोक मिश्रा कमेटी को इस मामले में सरकार को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था। कमेटी ने 4 अप्रैल 2017 को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।
अशोक मिश्रा कमेटी ने सरकार को निर्देश दिए थे कि कोचिंग सेंटर का लीगल फ्रेमवर्क नहीं है। उन्हें लीगल फ्रेमवर्क के दायरे में लाया जाए साथ ही छात्रों की सेफ्टी और सिक्योरिटी पर भी काम किया जाए। इसके आधार पर ही नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के अलग-अलग पैरा में कोचिंग सेंटर को लेकर दिशा निर्देश तैयार किए गए।
मध्य प्रदेश कोचिंग एसोसिएशन का कहना है कि देश के अंदर कोचिंग रेगुलेशन एक्ट 2010 में बिहार, गोवा में 2001,उत्तर प्रदेश में 2002, कर्नाटक में 2001, मणिपुर में 2017 में लागू किया जा चुका है। वहीं 2023 में राजस्थान सरकार इसको लेकर बिल लाई है। इसी के आधार पर ही मध्य प्रदेश में भी कोचिंग कंट्रोल एंड रेगुलेशन एक्ट तैयार होना चाहिए।