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पार्टियों को मिल रहे बेनामी चंदे की सीमा बांधी जाए

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चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय से किया आग्रह
नई दिल्ली/ चुनाव आयोग ने सरकार से राजनीतिक दलों को मिलने वाले बेनामी चंदे की सीमा तय करने का आग्रह किया है। आयोग ने और पारदर्शिता लाने के लिए इसकी मौजूदा 20,000 रुपये की सीमा को 2000 रुपये करने को कहा है। अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कानून मंत्रालय के विधायी विभाग को पिछले सप्ताह भेजे गए पत्र में आयोग ने उल्लेख किया है कि पार्टियों को प्रति व्यक्ति चंदे की सीमा 2000 रुपये करने की मांग स्वीकार कर ली गई थी और इसे वित्त अधिनियम का हिस्सा बनाया गया है।
लेकिन बेनामी चंदे की सीमा 2000 रुपये करने की मांग अभी तक लंबित है। चुनाव आयोग ने 2017 के मध्य में बेनामी चंदे की सीमा तय करने के लिए सरकार को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29सी में संशोधन करने के लिए पत्र लिखा था।
पिछले सप्ताह भेजा गया पत्र उसी बात की याद दिलाने के लिए है कि उसकी मांग पर अभी तक कार्रवाई नहीं की गई है। अयोग के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया, 'आयोग का मानना है कि बेनामी चंदे की सीमा 20,000 रुपये रखी गई है और इसकी घोषणा जरूरी नहीं है। इसलिए संभावना है कि नकद राशि स्वीकार की जाएगी।
यह 2000 रुपये से अधिक के नकद चंदे पर प्रतिबंध के विपरीत है।' राजनीतिक दलों के बेनामी चंदा स्वीकार करने पर कोई संवैधानिक या कानूनी पाबंदी नहीं है। लेकिन जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29सी के तहत घोषणा की अनिवार्यता के माध्यम से बेनामी चंदे पर परोक्ष रूप से आंशिक प्रतिबंध है।
लेकिन केवल 20,000 रुपये से अधिक के बेनामी चंदे को घोषित करना जरूरी किया गया है। कानून की धारा 29सी के मुताबिक, राजनीतिक दल के कोषाध्यक्ष हर वित्त वर्ष में किसी व्यक्ति से 20,000 रुपये से अधिक के चंदे पर रिपोर्ट तैयार करेंगे।