अमृतसर। अमृतसर में दशहरे के दिए हुए दर्दनाक हादसे में 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। इनमें से 20 की अब भी पहचान नहीं हो पाई है। जहां एक तरफ इस हादसे से पूरा देश सदमे में है वहीं केंद्र व राज्य सरकार ने मुआवजे का ऐलान किया है। हादसे को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इस बीच ट्रेन चला रहे ड्राइवर की बयान सामने आ है।
ड्राइवर के अनुसार जब ट्रेन हादसे वाली जगह से गुजरी तो उसे लगा ट्रैक पूरी तरह से खाली है, लेकिन डेढ़ घंटे बाद जब वो लुधियाना स्टेशन पहुंचा तब उसे सूचना मिली की ट्रेन से इतने लोगों की जान चली गई है।
जानकारी के अनुसार अमृतसर-हावड़ा ट्रेन के ड्राइवर का दावा है कि उसे हादसे की जानकारी करीब डेढ़ घंटे बाद फगवाड़ा पहुंचने पर मिली। जैसे ही ट्रेन लुधियाना रेलवे स्टेशन पर पहुंची तो रेलवे अधिकारियों ने गार्ड और ड्राइवर को उतार कर जांच शुरू कर दी। अधिकारियों ने ट्रेन की तकनीकी जांच कर दूसरे स्टाफ के साथ रवाना कर दिया।
ट्रेन के ड्राइवर जगबीर सिंह व गार्ड पन्ना लाल सहारनपुर हेडक्वार्टर से हैं। ड्राइवर जगबीर सिंह ने बताया कि जब उनकी ट्रेन अमृतसर में हादसे वाले स्थल से निकली थी तो उस वक्त पटरियों के आसपास भीड़ थी और पुलिस उन्हें हटा रही थी। जब वह निकले तो उनका ट्रैक साफ था। उन्हें तो फगवाड़ा पहुंचने पर डीआरएम का फोन आया कि वहां हादसा हुआ है।
जिला प्रशासन और दशहरा कमेटी ने पूरी तरह लापरवाही बरती। बिना इजाजत हो रहा था कार्यक्रम। कार्यक्रम को देखते हुए रेलवे क्रासिंग पर अलार्म की व्यवस्था नहीं थी। ट्रेन को रोकने या गति धीमी रखने का कोई इंतजाम नहीं था।
जब अधजला पुतला गिरा तो लोग उस समय वीडियो बना रहे थे और पटाखों के शोर में उन्हें ट्रेन के आने की आवाज नहीं सुनाई दी।
जहां प्रशासन ने इससे पल्ला झाड़ा है वहीं आयोजक ने भी अनुमित होने की बात कही है। इस बीच अब रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी की बयान आया है।
लोहानी ने हादसे के लिए रेलवे को जिम्मेदार ठहराने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस हादसे में रेलवे की कोई गलती नहीं। स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार है। ड्राइवर ने ब्रेक लगाए थे लेकिन ट्रेन अपनी निर्धारित स्पीड से थोड़ा धीमी हुई। कानून स्पष्ट है कि ट्रैक पर किसी की मौजूदगी के लिए वो व्यक्ति खुद जिम्मेदार होता है। आयोजन को लेकर रेलवे को प्रशासन की ओर से कोई सूचना नहीं दी गई थी।
उन्होंने आगे कहा कि "ड्राइवर ने स्पीड कम की थी, अगर इमरजेंसी ब्रेक लगाता तो बड़ा हादसा हो सकता था। दुर्घटनास्थल पर अंधेरा था, ट्रैक थोड़ा मुड़ाव में था इसलिए ड्राइवर को ट्रैक पर बैठे लोग नजर नहीं आए। वहीं गेटमैन की जिम्मेदारी सिर्फ गेट की होती है। हादसा इंटरमीडिएट सेक्शन पर हुआ है जो कि एक गेट से 400 मीटर दूर है, वहीं दूसरे गेट से 1 किलोमीटर दूर है।"
बता दें कि इससे पहले उत्तर रेलवे के जीएम वी चौबे, चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने घटनास्थल का दौरा किया था और हादसे पर दुख जताया था। इस दौरान जीएम चौबे ने भी कहा था कि दशहरा पर्व की कोई जानकारी रेलवे के पास नहीं थी और न ही पता था कि ट्रैक पर इतने लोग मौजूद है। इसकी जांच की जाएगी।