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तीन सवारी की क्षमता वाले आटो रिक्शा में मिले 28 यात्री

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रतलाम । रतलाम शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में वाहनों में ओवर लोडिंग की जा रही है। लोडिंग वाहनों से भी सवारियों को ढोया जा रहा है। मंगलवार को नामली व सैलाना क्षेत्र में चेकिंग के दौरान क्षमता से अधिक सवारी होने पर पुलिस व परिवहन विभाग की टीम ने तीन वाहन जब्त किए।
इन दिनों अंचल में सोयाबीन की कटाई का काम चल रहा है। बड़े पैमाने पर मजदूर फसल कटाई के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रहे हैं। वाहनों की कमी व महंगा किराया होने से मजदूरों को लोडिंग वाहन व ट्रैक्टर-ट्रालियों में भरकर ले जाया जा रहा है। वहीं ग्रामीण अंचलों में आटो में भी क्षमता से सात से आठ गुना अधिक तक यात्री बैठाए जा रहे हैं। चार दिन पहले सैलाना थाना क्षेत्र के धामनोद के समीप चलते आटो से एक महिला की गिरने से मौत हो चुकी है।
नामली-पंचेड़ मार्ग पर सैलाना क्षेत्र में परिवहन विभाग व ट्राफिक पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से चेकिंग की गई। इस दौरान सैलाना में तो एक आटो में 28 लोग सवार मिले। टीम ने जब आटो रोका तो यात्री कूदकर इधर-उधर भागने लगे। टीम में शामिल अधिकारियों ने उन्हें रोका व समझाइश दी कि इस तरह अधिक सवारी वाहनों में सवार न हो। सवारियों को अन्य वाहनों से रवाना कर आटो जब्त किया गया। उधर पंचेड़ रोड पर लोडिंग पिकअप वाहन में 25 लोग सवार पाए गए। उसे भी जब्त कर नामली थाना पर खड़ा कराया गया है। क्षमता से अधिक सवारी व लोडिंग वाहनों में लोगों को बैठाने पर तीन वाहनों के ड्राइवरों के लाइसेंस निलंबित किए गए हैं। कार्रवाई जिला परिवहन अधिकारी दीपक माझी, ट्रैफिक डीएसपी अनिलकुमार राय की मौजूदगी में की गई।
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शिक्षकों कों ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन अप्लाई करना होगा; नेता-मंत्री के यहां आवेदन नहीं चलेंगे
भोपाल। मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू होते ही शिक्षकों ने नेताओं और मंत्रियों के यहां लाइन लगाना शुरू कर दिया है। ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग को अलग से नया आदेश निकालना पड़ा है। इसमें कहा गया है कि शिक्षकों को स्वैच्छिक ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन आवेदन ही मान्य हैं। नेताओं और मंत्रियों के लिए ऑफलाइन आवेदन मान्य नहीं हैं। ऐसे में कोई भी शिक्षक नेताओं और मंत्री के यहां या फिर अन्य माध्यम से आवेदन न करें। ट्रांसफर के लिए सिर्फ ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
शिक्षकों को स्वैच्छिक स्थानांतरण के लिए पोर्टल के माध्यम से ऑनलाईन आवेदन किए जाने का प्रावधान किया गया है। स्वैच्छिक स्थानांतरण के लिए निर्धारित प्रक्रिया में यह स्पष्ट किया गया है कि संबंधित लोक सेवक को अपनी यूनिक आईडी एवं पासवर्ड के माध्यम से एज्यूकेशन पोर्टल पर लागिन कर आवेदन करना होगा। पात्र आवेदकों को निर्धारित प्राथमिकता / वरीयता के आधार पर उनके द्वारा चाही गई संस्थाओं में वरीयता क्रम में उपलब्धता अनुसार रिक्त पद पर बगैर मानवीय हस्तक्षेप के स्थानांतरण किया जा सकेगा।
स्वैच्छिक स्थानांतरण के लिए पोर्टल पर ऑनलाईन आवेदन करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। बड़ी संख्या में शिक्षकों द्वारा ऑनलाईन आवेदन किया जाना प्रारंभ भी कर दिया गया है, किन्तु यह देखने में आ रहा है कि बड़ी संख्या में शिक्षकों द्वारा अभी भी जनप्रतिनिधियों एवं विभिन्न माध्यमों से स्वैच्छिक स्थानांतरण के लिए आवेदन प्रस्तुत किए जा रहे है। वरिष्ठ कार्यालय में स्थानांतरण के लिए उपस्थित होकर भी आवेदन दिए जा रहे है, जो प्रथम दृष्टिया नीति के अनुकुल न होने के नस्तीबद्ध किए जा रहे है।
अतः आपको निर्देशित किया जाता है कि प्राचार्यो के माध्यम से समस्त शिक्षकों को स्थानांतरण नीति में निर्धारित प्रक्रिया अनुसार ही स्वैच्छिक आवेदन ऑनलाईन प्रक्रिया के माध्यम से किए जाने के लिए निर्देशित करें। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि स्थानांतरण हेतु वरिष्ठ कार्यालय में उपस्थित न हो।
नई ट्रांसफर नीति इस प्रकार है
शहरी क्षेत्रों में 10 साल तक पदस्थ शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा जाएगा। ऐसे टीचर्स स्वैच्छिक ट्रांसफर प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे। अध्यापक संवर्ग से आए शिक्षकों को भी ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में 5 से 10 साल सेवा देनी होगी, जबकि तीन साल में सेवानिवृत्त होने वाले गंभीर बीमार या विकलांग और एक साल से कम की सेवा व 40% या उससे अधिक नि:शक्तता होने पर तबादला नहीं किया जाएगा।
दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षकों की प्राथमिकता के आधार पर पूर्ति की जाएगी। नए शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों में तीन साल सेवा देनी होगी और पूरे सेवाकाल में दस वर्ष ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में रहना होगा। शहरी क्षेत्रों में दस साल तक पदस्थ शिक्षकों को भी ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा जाएगा।
प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर स्थानांतरण किए जाएंगे। मंत्री या विधायकों की निजी स्थापना में पदस्थ शिक्षकों को वापस बुलाया जाएगा। इस नीति में समय-समय पर जो संशोधन आवश्यक होंगे, विभाग उन्हें अधिसूचना के माध्यम से लागू करेगा।
10 साल या इससे अधिक एक ही संस्था में पदस्थ (खासतौर पर शहरी क्षेत्र) टीचरों को शिक्षक विहीन या कम टीचरों वाले गांव के स्कूलों में ट्रांसफर किया जाएगा। ऐसे शिक्षकों को स्वैच्छिक ट्रांसफर के लिए आवेदन करने की छूट होगी। इस मापदंड में आने वाले कुल टीचरों में से न्यूनतम 10% को पहले ही साल ट्रांसफर किया जाएगा। उन्हें कम से कम 10 साल वहां रहना होगा। नियुक्ति के बाद से नगरीय क्षेत्रों में लगातार काम कर रहे टीचरों को अब गांवों में जाना होगा। दूरस्थ व गांव के आदिवासी इलाकों में जाने वाले टीचरों को इंसेटिव मिलेगा।

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अपनी बेटी की निगरानी में सुरक्षित हैं नरवर राजघराने की रानी, पुलिस ने खुद सौंपा था
उज्जैन । नरवर राजघराने की 94 वर्षीय रानी अनिला झाला के कथित रूप से गायब होने का मामला सामने आने के बाद उनके परिवार से दूसरा पक्ष सामने आया है। दरअसल, अनिला झाला उनकी खुद की बेटी विभा देवी की निगरानी में सुरक्षित हैं। उनकी देखरेख विभा देवी और अन्य स्वजन कर रहे हैं। नवंबर 2021 में स्वयं पुलिस ने अनिला झाला को बेटी विभा देवी के सुपुर्द किया था।
पुलिस के अनुसार, रानी अनिला झाला के गायब होने जैसी कोई बात नहीं है। दरअसल, परिवार में ही भूमि को लेकर आपसी विवाद चल रहा है। इसलिए आए दिन परिवार के ही दो पक्ष शिकायतें करते हैं। अक्टूबर 2021 में रानी अनिला झाला अपनी बेटी विभा देवी के साथ नरवर से गई थीं। उनकी बहू और पोते ने गुमशुदगी दर्ज करा दी थी। बाद में अनिला झाला ने पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में कहा था कि वे अपनी बेटी विभा देवी के साथ रहना चाहती हैं।
अनिला झाला ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा कि वे अपनी मर्जी से विभा देवी के साथ रहना चाहती हैं। स्वजन के अनुसार, भूमि विवाद को लेकर आए दिन विवाद की स्थिति बनती हैं। इसलिए वे नरवर नहीं रहना चाहतीं। उनके गायब होने की अफवाह परिवार के ही कुछ लोगों ने फैलाई है। इसकी शिकायत भी अधिकारियों से की जाएगी।