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टीचर ने बच्चों को पीट-पीटकर छिपकली वाला खाना खिलाया:​​​​​​​​​​​​​​200 स्टूडेंट्स बीमार

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भागलपुर। बिहार में भागलपुर के एक स्कूल में मिड-डे मील खाने के बाद 200 बच्चे बीमार हो गए। बच्चों ने खाने में छिपकली होने की शिकायत की तो टीचर ने पहले उन्हें डांटकर कहा- छिपकली नहीं बैंगन है। जब बच्चों ने खाने से मना किया तो टीचर ने पीट-पीटकर उन्हें खाना खिलाया।
मामला नवगछिया प्रखंड में मदत्तपुर गांव के मध्य विद्यालय का है। क्लास 6 की छात्रा शिवानी कुमारी ने बताया कि गुरुवार को मिड-डे-मील परोसा गया। आयुष नाम के एक छात्र की थाली से छिपकली मिली। वह जोर से चिल्लाया तो सभी बच्चे खाना छोड़ खड़े हो गए। इसकी जानकारी टीचर चितरंजन को मिली तो वह पहुंचे और थाली देखकर कहने लगे कि छिपकली नहीं बैंगन है। टीचर ने थाली से छिपकली निकाल दी और बोले- चुपचाप खाना है तो खाओ नहीं तो घर जाकर खाओ।
इसके बाद भी जब बच्चे नहीं खा रहे थे तो उन्होंने पीट-पीटकर खाना खिलाया। इसके बाद सभी को उल्टियां होने लगीं। करीब 200 बच्चे बीमार हो गए। घटना की जानकारी मिलने के बाद धीरे-धीरे परिजन स्कूल पहुंचने लगे। सभी बच्चों को नवगछिया अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिलहाल सभी बच्चे खतरे से बाहर हैं।
जैसी ही बच्चों को उल्टियां होनीं शुरू हुईं तो स्कूल में मौजूद स्टाफ के हाथ-पैर फूल गए। बच्चों को इलाज के लिए ले जाने की जगह स्टाफ ने आनन-फानन में खाना फेंक दिया। खाना स्कूल के पास ही फेंका गया। ग्रामीण संजय कुमार के साथ BDO गोपाल कृष्ण जांच के लिए पहुंचे। उन्होंने खाना फेंके जाने वाली जगह का मुआयना किया तो वहां मरी हुई छिपकली भी मिली।
स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा कि खाने में छिपकली नहीं थी। मेन्यू में चावल, दाल, आलू-बैंगन की सब्जी थी। खाने में बैंगन का डंठल मिला था, छिपकली नहीं थी। घटना की सूचना पर नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल में SDO, SDPO, BDO समेत कई अधिकारी पहुंचे। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी विजय कुमार झा ने बताया कि बच्चों के बीमार होने की जानकारी मिली है। किस कारण से बच्चे बीमार पड़े, इसकी जांच होगी। इसके बाद जो जवाबदेह होगा, उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना के बाद ग्रामीणों ने स्कूल के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया। कुछ ग्रामीण कार्रवाई की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए। इधर, ग्रामीणों की मांग पर नवगछिया BEO विजय कुमार झा ने रसोइए को बर्खास्त और प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया है। स्कूल के सभी शिक्षकों का तबादला दूसरे स्कूल में किया जा रहा है।
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राजीव हत्याकांड के सभी दोषी रिहा:SC का आदेश; जेल से निकलकर नलिनी बोली- आतंकी नहीं हूं
नई दिल्ली। आत्मघाती हमले से पहले खींची गई राजीव गांधी की आखिरी तस्वीर। स्कूली बच्ची के पीछे सिर में नारंगी फूल लगाए धनु ने ही उन्हें फूलों का हार पहनाकर विस्फोट किया था।
राजीव गांधी हत्याकांड के सभी 6 दोषी शुक्रवार को रिहा हो गए। इससे पहले सुबह सुप्रीम कोर्ट ने नलिनी और आरपी रविचंद्रन समेत सभी दोषियों की रिहाई का आदेश दिया। कोर्ट का आदेश आने के एक घंटे बाद ही उम्रकैद की सजा काट रहे सभी दोषियों की रिहाई हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को इसी केस में दोषी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था। बाकी दोषियों ने भी उसी आदेश का हवाला देकर कोर्ट से रिहाई की मांग की थी। नलिनी और रविचंद्रन दोनों 30 साल से ज्यादा का वक्त जेल में गुजार चुके हैं।
जेल से रिहा होने के बाद नलिनी ने एक टीवी चैनल से बात की। उन्होंने कहा- मैं आतंकवादी नहीं हूं। मैं पिछले 32 साल से जेल में बंद थी और ये मेरे लिए संघर्ष वाले समय रहे हैं। मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करती हूं, जिन्होंने मेरा समर्थन किया। विश्वास रखने के लिए मैं तमिलनाडु के लोगों और सभी वकीलों को धन्यवाद देती हूं।
राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई पर कांग्रेस ने कहा है कि ये मंजूर नहीं है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने लेटर जारी कर कहा- सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते वक्त देश की भावनाओं को ध्यान में नहीं रखा। फैसला गलतियों से भरा हुआ है।
राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा किए जाने के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है- मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। नियुक्त किए गए राज्यपाल को चुनी हुई सरकार के फैसले को नहीं बदलना चाहिए।
जब नलिनी को राजीव गांधी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, तब वह गर्भवती थी। उसकी प्रेग्नेंसी को दो महीने हो गए थे। तब सोनिया गांधी ने नलिनी को माफ कर दिया था। उन्होंने कहा था कि नलिनी की गलती की सजा एक मासूम बच्चे को कैसे मिल सकती है, जो अब तक दुनिया में आया ही नहीं है।
राजीव गांधी की हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट ने साजिश में शामिल 26 दोषियों को मृत्युदंड दिया था। मई 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 19 लोगों को बरी कर दिया। बचे हुए सात में से चार आरोपियों (नलिनी, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथन और पेरारिवलन) को मृत्युदंड सुनाया और बाकी (रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार) को उम्रकैद। चारों की दया याचिका पर तमिलनाडु के राज्यपाल ने नलिनी की मृत्युदंड को उम्रकैद में बदला। बाकी आरोपियों की दया याचिका 2011 में राष्ट्रपति ने ठुकरा दी।
राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान लिट्टे की धनु नाम की एक आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी। लिट्टे की महिला आतंकी धनु (तेनमोजि राजरत्नम) ने राजीव को फूलों का हार पहनाने के बाद उनके पैर छुए और झुकते हुए कमर पर बंधे विस्फोटकों में ब्लास्ट कर दिया। धमाका इतना जबर्दस्त था कि कई लोगों के चीथड़े उड़ गए। राजीव और हमलावर धनु समेत 16 लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि 45 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
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डेरा प्रेमी को मारी गई थीं 60 गोलियां:तीन शूटर अरेस्ट, दो फरार; ISI ने गैंगस्टर रिंदा से कराई हत्या
चंडीगढ़। पंजाब के फरीदकोट में डेरा प्रेमी प्रदीप सिंह की 10 नवंबर को हुई हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस ने 3 शूटर्स को गिरफ्तार किया है। इन शूटर्स ने डेरा प्रेमी पर 60 गोलियां चलाई थीं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इसके पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का दिमाग है। ISI ने रिंदा के जरिए डेरा प्रेमी की हत्या कराई थी। वहीं, हत्या की जिम्मेदारी गोल्डी बराड़ ने ली थी। कुछ दिन पहले ही रिंदा और गोल्डी बराड़ ने हाथ मिलाया था।
दिल्ली पुलिस ने सभी बदमाशों को मुठभेड़ के बाद पटियाला के बख्शीवाला गांव से पकड़ा है। इनमें दो शूटर रोहतक और एक भिवानी का रहने वाला है। सूत्रों के मुताबिक, पकड़े गए शूटर्स में दो नाबालिग हैं, जबकि एक की पहचान जतिंदर जीतू के रूप में हुई है।
डेरा प्रेमी की हत्या में हरियाणा और पंजाब मॉडयूल यूज किए। इसमें 4 शूटर हरियाणा और 2 पंजाब के थे। दिल्ली पुलिस ने जतिंदर जीतू को गिरफ्तार कर लिया है। जीतू हरियाणा में रोहतक के कलानौर का रहने वाला है। गिरफ्तार बाकी 2 शूटर रोहतक और भिवानी के रहने वाले हैं। इनकी उम्र 16 साल है। पंजाब वाले 2 शूटर भी अभी फरार हैं।
सोशल मीडिया पोस्ट में गोल्डी बराड़ के नाम से दावा किया गया था कि उन्हें बेअदबी केस में इंसाफ नहीं मिला, इसलिए ऐसा करना पड़ा। इस पोस्ट में गनमैन के घायल होने पर अफसोस जताया। बेअदबी के आरोपियों की सुरक्षा देने पर सवाल उठाए गए। हालांकि, यह पोस्ट बराड़ ने की या किसी और ने, पंजाब पुलिस की साइबर सेल इसकी जांच कर रही है।
उधर, परिवार ने प्रदीप सिंह का अंतिम संस्कार करने से इनकार किया है। परिवार ने इंसाफ मिलने तक संस्कार नहीं करने की बात कही है। वहीं पुलिस प्रदीप सिंह के परिजनों और डेरा कमेटी को मनाने के प्रयास में जुटी है, लेकिन पीड़ित परिवार में पंजाब सरकार और पुलिस विभाग के प्रति भारी रोष है।
प्रदीप सिंह के परिवार ने कहा कि इंसाफ मिलने तक अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। परिवार ने इंसाफ में देरी होने पर प्रदीप के शव को चौराहे पर रखने से भी गुरेज नहीं करने की बात कही है। वहीं डेरे के समर्थक हरचरण सिंह ने कहा कि डेरा हमेशा अनुयायियों के साथ है और स्थानीय कमेटी भी परिवार के फैसले के साथ है।
पंजाब पुलिस ने फरीदकोट मेडिकल कॉलेज में प्रदीप सिंह का पोस्टमार्टम करवा शव उसके परिवार को सौंप दिया था। इसके बाद परिवार ने शव को स्थानीय नामचर्चा घर में रखा है और इंसाफ मिलने तक संस्कार नहीं करने की बात कही है।