नई दिल्ली। कोरोना की पहली नेजल वैक्सीन को मंजूरी देने के चार दिन बाद केंद्र सरकार ने इसकी कीमत तय कर दी है। भारत बायोटेक की यह वैक्सीन सरकारी अस्पतालों में 325 रुपए में लगवाई जा सकेगी। वहीं प्राइवेट अस्पतालों में इसके लिए 800 रुपए चुकाने होंगे। यह वैक्सीन जनवरी के आखिरी हफ्ते से उपलब्ध हो जाएगी।
केंद्र ने दुनिया की पहली नेजल कोरोना वैक्सीन को 23 दिसंबर को मंजूरी दी थी। कोवैक्सिन बनाने वाली हैदराबाद की भारत बायोटेक ने इसे वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (WUSM) के साथ मिलकर बनाया है। नाक से ली जाने वाली इस वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर लगाया जा सकेगा।
इस समय भारत में लग रही वैक्सीन के दो डोज दिए जा रहे हैं। दूसरे डोज के 14 दिन बाद वैक्सीनेट व्यक्ति सेफ माना जाता है। ऐसे में नेजल वैक्सीन 14 दिन में ही असर दिखाने लगती है।
इफेक्टिव नेजल डोज न केवल कोरोना वायरस से बचाएगी, बल्कि बीमारी फैलने से भी रोकेगी। मरीज में माइल्ड लक्षण भी नजर नहीं आएंगे। वायरस भी शरीर के अन्य अंगों को नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा।
यह सिंगल डोज वैक्सीन है, इस वजह से ट्रैकिंग आसान है। इसके साइड इफेक्ट्स भी इंट्रामस्कुलर वैक्सीन के मुकाबले कम हैं। इसका एक और बड़ा फायदा यह है कि सुई और सीरिंज का कचरा भी कम होगा।
इस नेजल वैक्सीन का नाम iNCOVACC रखा गया है। पहले इसका नाम BBV154 था। इसकी खास बात यह है कि शरीर में जाते ही यह कोरोना के इन्फेक्शन और ट्रांसमिशन दोनों को ब्लॉक करती है। इस वैक्सीन में इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिए इससे चोट लगने का खतरा नहीं है। साथ ही हेल्थकेयर वर्कर्स को भी खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इंट्रानेजल वैक्सीन को कोवैक्सिन और कोवीशील्ड जैसी वैक्सीन्स लेने वालों को बूस्टर डोज के तौर पर दिया जाएगा। हालांकि इसे प्राइमरी वैक्सीन के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत बायोटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन डॉ. कृष्णा एल्ला ने कुछ समय पहले कहा था कि पोलियो की तरह इस वैक्सीन की भी 4 ड्रॉप्स काफी हैं। दोनों नॉस्ट्रिल्स में दो-दो ड्रॉप्स डाली जाएंगी।
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सीमा विवाद: कर्नाटक के 5 शहरों और 865 गांवों को पाने के लिए महाराष्ट्र सरकार लड़ेगी कानूनी लड़ाई, विधानसभा में प्रस्ताव पारित
मुंबई । महाराष्ट्र विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया है कि महाराष्ट्र कर्नाटक के 865 गांवों के मराठी भाषी लोगों के साथ पूरी ताकत से खड़ा होगा। इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी।
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा ने मंगलवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि कर्नाटक के 865 मराठी भाषी गांवों की एक-एक इंच जमीन महाराष्ट्र की है और महाराष्ट्र सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में मराठी भाषी लोगों के पीछे मजबूती से खड़ी है।
कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज नागपुर में चल रहे शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया है।
पिछले कई हफ़्तों से कर्नाटक सीमा के मुद्दे पर विवाद छिड़ा हुआ है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने जहां आक्रामक रुख अख्तियार किया हुआ, वहीं महाराष्ट्र के विपक्षी दल शिंदे-फडणवीस सरकार पर निष्क्रिय रुख अपनाने का आरोप लगाते हुए हमला बोल रहे हैं।
हाल ही में कर्नाटक सरकार ने सीमा मुद्दे से जुड़े एक प्रस्ताव को विधानसभा में सर्वसम्मति से मंजूरी दी थी। इससे महाराष्ट्र सरकार पर दबाव बढ़ गया था। महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद से ही विपक्ष लगातार बेलगाम सीमा का मुद्दा उठा रहा था और इसके समाधान की मांग कर रहा था।
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हाईकोर्ट का फैसला: यूपी नगर निकाय चुनव में ओबीसी आरक्षण रद्द , तय समय पर चुनाव कराने के दिए आदेश
लखनऊ। उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का बड़ा फैसला आया है। कोर्ट ने नगर निकाय चुनाव को तुंरत कराने के आदेश दिए हैं। यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण रद्द कर दिया है।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने UP सरकार को बड़ा झटका दिया है। निकाय चुनावों के लिए 5 दिसंबर को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने राज्य सरकार को निकाय चुनावों को बिना ओबीसी आरक्षण के ही कराने के आदेश दिए हैं। लखनऊ हाईकोर्ट की बेच ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट के बिना कोई आरक्षण नहीं तय होगा। समय पर चुनाव कराने के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने UP के स्थानीय निकाय चुनाव के ओबीसी आरक्षण के मामले की सुनवाई 24 दिसंबर शनिवार को पूरी कर ली थी। कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया था।
केशव प्रसाद मौर्य बोले- विशेषज्ञों से राय लेने के बाद लेंगे फैसला
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश का विस्तृत अध्ययन कर विधि विशेषज्ञों से परामर्श के बाद सरकार के स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा,परंतु पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा!