ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर का सागरताल सरकारी मल्टी इलाका स्वास्थ्य विभाग के हाई अर्लट मोड पर है। शुक्रवार को जापानी इंसेफेलाइटिस के लक्षणों वाले 11 मरीज मिलने के बाद स्वास्थ विभाग ने इलाके को हाई अलर्ट मोड़ पर रखा है। स्वास्थ विभाग की टीम यहां डोर-टु-डोर सर्वे कर रही है
स्वास्थ्य विभाग के स्पेशलिस्ट डॉक्टर और पैथालॉजी की टीम घर-घर जाकर दस्तक दे रही है। जहां इन घरों में बीमार लोगों की जानकारी ले रही है। बच्चों, बुजुर्ग और बुखार से पीड़ित मरीज़ों की जानकारियां दर्ज की जा रही है। शनिवार को करीब आधा सैंकड़ा से ज्यादा परिवारों में जाकर टीम ने सर्वे किया।
बतादें कि इसी इलाके में ग्वालियर का पहला जापानी इंसेफेलाइटिस का केस मिला था। यहां 15 साल की किशोरी जापानी इंसेफेलाइटिस की चपेट में आई थी। जापानी बुखार की चपेट में आने से किशोरी कोमा में चली गई थी। वक्त पर इलाज मिलने के चलते उसकी सेहत में सुधार हो गया। स्वास्थ्य विभाग की टीम किशोरी में जपानी इंसेफेलाइटिस वायरस के आने की हिस्ट्री तलाश रही है। इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग की टीम सागर ताल स्थित सरकारी मल्टी इलाके में सैंपलिंग के लिए शुक्रवार को पहुंची थी। यहां मल्टी में रहने वाले 11 संदिग्ध मरीज के सैंपल लिए गए थे, इन मरीजों को जापानी इंसेफेलाइटिस जैसे लक्षण मिले थे,जांच के लिए सैम्पल वायरोलॉजी लेब में भेजे गए हैं।
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चार अधिकारियों को राष्ट्रपति मेडल, 17 अधिकारियों-कर्मचारियों को सर्विस अवार्ड
भोपाल। गणतंत्र दिवस के मौके पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने मध्यप्रदेश के चार आईपीएस अधिकारियों को प्रेसिडेंट मेडल, 17 अधिकारियों व कर्मचारियों को मेरिटोरियस सर्विस अवॉर्ड से नवाजा है. इस बार किसी अधिकारी को गैलेंट्री अवॉर्ड (वीरता पदक) नहीं मिला है.
करेक्शनल सर्विस में एक अधिकारी को प्रेसिडेंट मेडल व पांच को मेरिटोरियस अवॉर्ड दिया गया है. अवॉर्ड पाने वालों में एडीजी मकरंद देउस्कर, रुचिवर्धन मिश्रा, हिमानी खन्ना, डीआईजी बीरेंद्र कुमार सिंह, शैलेंद्र सिंह चौहान व राकेश खाखा शामिल हैं.
केंद्र सरकार द्वारा हर साल 15 अगस्त व 26 जनवरी को पुलिस और होमगार्ड सेवा से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को वीरता पदक, पुलिस सेवा पदक व सराहनीय सेवा पदक दिए जाते हैं.
केंद्र सरकार द्वारा यह पदक देने का ऐलान 25 जनवरी और 14 अगस्त को किया जाता है. इस साल गणतंत्र दिवस के पहले जिन अधिकारियों और कर्मचारियों को राष्ट्रपति के हाथों पदक लेने के लिए चुना गया है. जिसमें एमपी के 21 अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं.
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तीन मंजिला सिलाई सेंटर में भड़की आग, 50 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया
भोपाल। खानूगांव इलाके में शनिवार सुबह एक भीषण हादसा हुआ जब तीन मंजिला बिल्डिंग में आग लग गई। सिलाई सेंटर से शुरू हुई यह आग इतनी तेजी से फैली कि पूरी बिल्डिंग को अपनी चपेट में ले लिया। हादसे के दौरान करीब 50 लोगों को समय रहते सुरक्षित बाहर निकाला गया। आग बुझाने में फायर ब्रिगेड की टीम को 3 घंटे की कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
शनिवार सुबह करीब 8 बजे खानूगांव स्थित 3 मंजिला बिल्डिंग में आग लगने की सूचना मिली। बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर पर सिलाई सेंटर स्थित था, जहां सिलाई मशीनें और कपड़ों की गठानें रखी हुई थीं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। चश्मदीद फहीमुद्दीन चौधरी ने बताया कि आग लगने के तुरंत बाद मजदूरों ने शोर मचाना शुरू किया और धुआं निकलता देख फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई।
हादसे के वक्त बिल्डिंग में करीब 6 से 8 परिवार और सिलाई सेंटर के 10 मजदूर मौजूद थे। सुबह का वक्त होने के कारण ज्यादातर लोग सो रहे थे। शोर सुनते ही लोग अपनी जान बचाने के लिए बाहर भागे। महिलाओं ने अपने छोटे बच्चों को गोद में लेकर भागकर जान बचाई। इसके साथ ही घरों से गैस सिलेंडर भी बाहर निकाले गए ताकि आग से कोई बड़ा हादसा न हो।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि फायर ब्रिगेड को आग लगने की सूचना तुरंत दी गई थी, लेकिन औपचारिकताओं में देरी होने के कारण आग तेजी से फैल गई। अगर दमकल वाहन समय पर पहुंचते तो आग पर जल्दी काबू पाया जा सकता था और नुकसान कम होता।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग इतनी भयावह थी कि उसकी लपटें 10 से 15 फीट तक ऊपर उठ रही थीं। आग ने पूरी बिल्डिंग और उसमें रखे घरेलू सामान को पूरी तरह जला दिया। साथ ही, सामने स्थित कपड़े के गोदाम में भी आग लग गई।
फतेहगढ़ और आसपास के फायर स्टेशनों से करीब 30 दमकल गाड़ियां और पानी के टैंकर मौके पर पहुंचे। लगातार 3 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सुबह 11 बजे आग पर काबू पाया गया। हालांकि, तब तक पूरी बिल्डिंग में मौजूद सामान जलकर राख हो चुका था।