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RSS ने गिनाईं BJP की खामियां, बताया भाजपा लोकसभा चुनाव में क्यों नहीं कर सकी कमाल

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लोकसभा चुनाव के परिणाम में भाजपा के प्रदर्शन को देख हर कोई हैरान था। हर एग्जिट पोल भाजपा को 300 सीटों के पार दिखा रहा था, लेकिन नतीजों में वह 240 पर ही सिमट गई। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भाजपा के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के कारणों का जिक्र किया है।
आरएसएस के मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' में एक लेख छिपा है, जिसमें कहा गया है कि भाजपा कार्यकर्ता चुनाव के दौरान अति आत्मविश्वास में दिख रहे थे। यही वजह है कि भाजपा का परिणाम बहुत निराशाजनक था। कार्यकर्ता जनता से कट गए थे। वह उनकी ना सुनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के भरोसे ही बैठे थे।
आरएसएस ने कहा कि भाजपा ने जमीन पर 'स्वयंसेवकोंं' का बिल्कुल सहयोग नहीं किया था। भाजपा ने काम करने वाले कार्यकर्ताओं का ध्यान नहीं रखा। वह उन कार्यकर्ताओं के भरोसे बैठे रहे, जो 'सेल्फी' के जरिए प्रचार कर रहे थे। आरएसएस मेंबर रतन शारदा ने लिखा कि भाजपा को निराशाजनक प्रदर्शन से सबक सीखने की जरूरत है।
उन्होंने आगे लिखा कि महाराष्ट्र में भाजपा कार्यकर्ताओं में बहुत ज्यादा आक्रोश था। वह राज्य में भाजपा की राजनीति को पसंद नहीं कर रहे थे। एनसीपी (अजीत गुट) के भाजपा के साथ गठबंधन को पार्टी कार्यकर्ताओं ने नापसंद किया। भाजपा के इन निर्णयों की वजह से पार्टी की साख राज्य में कम होती चली गई।
रतन शारदा ने कहा कि यह पार्टी की जिम्मेदारी होती है कि वह मतदाताओं तक पहुंचे। उन पार्टी के एजेंडे, साहित्य पहुंचाए। भाजपा का महाराष्ट्र में प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक रहा है, क्यों कि 23 सीटों पर लड़कर वह केवल नौ सीटें ही जीत पाई है।
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राहुल बोले: वाराणसी में हारते-हारते बचे हैं पीएम मोदी, मेरी बहन लड़ जाती तो वह दो-ढाई लाख वोटों से हारते
लखनऊ। राहुल गांधी मंगलवार को अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली पहुंचे। वहां वह रायबरेली और अमेठी की जनता को धन्यवाद देने के लिए गए थे। अपने भाषण में राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से कैसे भी जान बचाकर भागकर आए हैं। वो वहां से हारते-हारते बचे हैं। मैं अपनी बहन से कहता रहा हूं कि यदि वह वहां से लड़ जाती तो पीएम दो ढाई लाख वोटो से हार जाते। उनकी इस बात पर पूरा पंडाल तालियों से गूंज उठा।
फैजाबाद सीट पर भाजपा के हारने पर राहुल गांधी ने चुटकी ली। उन्होंने कहा कि ये अध्योध्या की सीट हार गए हैं। इसके मतलब साफ हैं। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में अरबपति लोग बुलाए गए, पूरा बॉलीवुड आया। अंबानी और अडानी आए लेकिन एक गरीब व्यक्ति को वहां आमंत्रित नहीं किया गया। इसके जवाब उस क्षेत्र की जनता ने दिया है। जनता ने अपना महत्व बताया है।
राहुल गांधी ने कहा कि आपने देखा होगा कि इस बार मोदी ने संविधान को हाथों से उठाकर माथे पर लगाया है। आपने अपनी ताकत का एहसास उन्हें करा दिया है। यह इशारा दे दिया है कि वह संविधान को जरा सा भी छुएंगे तो जनता उनके साथ क्या करेगी।
राहुल गांधी ने यह बात इसलिए कही क्योंकि इस बार पीएम मोदी के जीतने का अंतर पिछले दो चुनावों की तुलना में काफी कम हो गया। पीएम मोदी वाराणसी सीट से करीब डेढ़ लाख वोटों से जीते हैं। मतगणना के दिन वह कुछ दिन कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय से पीछे भी चल रहे थे। वाराणसी में पीएम मोदी की जीत का मार्जिन कम होने पर बीजेपी आलाकमान भी स्थानीय नेताओं से नाराज है।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- गड़बड़ियों से परीक्षा की विश्वसनीयता को चोट पहुंची, हमें जवाब चाहिए, NTA को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को NEET काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। ये याचिका स्‍टूडेंट शिवांगी मिश्रा और 9 अन्य छात्रों ने रिजल्ट की घोषणा से पहले 1 जून को दायर की थी। इसमें ब‍िहार और राजस्‍थान के एग्‍जाम सेंटर्स पर गलत क्‍वेश्‍चन पेपर्स बंटने के चलते हुई गड़बड़ी की शिकायत की गई थी और परीक्षा रद्द कर SIT जांच की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने परीक्षा कराने वाली संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी NTA को नोटिस जारी करते हुए कहा- NEET UG की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है। हमें इसका जवाब चाहिए।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की वैकेशन बेंच ने मामले की सुनवाई की। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट में 10 जून को भी NEET रिजल्‍ट पर रोक लगाने की याचिका दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं ने NEET UG एग्जाम 2024 में ग्रेस मार्क्स देने में मनमानी का आरोप लगाया है। एक एग्जाम सेंटर के 67 कैंडिडेट्स को पूरे 720 मार्क्स मिले हैं, इस पर भी याचिकाकर्ताओं ने संदेह जताया है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर नई याचिका में 5 मई को आयोजित NEET UG एग्जाम का पेपर लीक होने की व्यापक शिकायतों का भी हवाला दिया गया है।
याचिका में कहा गया था कि रिजल्‍ट में ग्रेस मार्क्‍स देना NTA का मनमाना फैसला है। स्‍टूडेंट्स को 718 या 719 मार्क्स देने का कोई मैथमेटिकल आधार नहीं है।
ये याचिका स्टूडेंट वेलफेयर के लिए काम करने वाले अब्दुल्ला मोहम्मद फैज और डॉक्टर शेख रोशन ने दायर की थी। ये दोनों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में स्टूडेंट्स वेलफेयर के लिए काम करते हैं।
देशभर में NEET-UG 2024 को लेकर अलग-अलग राज्यों में लगभग 20 हजार स्टूडेंट्स ने याचिकाएं दायर की थीं, जिसमें परीक्षा में गड़बड़ी की शिकायत की गई थी।
ग्रेस मार्क्स के खिलाफ दायर की गई याचिका में कहा गया कि NTA ने अब तक ये नहीं बताया कि उन्होंने स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स देने के लिए क्या तरीका अपनाया। वहीं, एग्जाम के पहले NTA की तरफ से जारी इन्फॉर्मेशन बुलेटिन में भी ग्रेस मार्क्स देने के प्रावधान का जिक्र नहीं था। ऐसे में कुछ कैंडिडेट्स को ग्रेस मार्क्स देना सही नहीं है।