रतलाम। शहर के 20 वर्षीय मुमुक्षु संयम पालरेचा अब नूतन मुनि सिद्धर्षिचंद्र सागरजी के नाम से जाने-पहचाने जाएंगे। उन्होंने आचार्य बंधु बेलड़ी प्रशिष्यरत्न गणिवर्य पद्म-आनंदचंद्र सागरजी के करकमलों से परमानंदी प्रवज्या ग्रहण की। दीक्षा लेते ही साधु जीवन में आजीवन पंच महाव्रत का पालन करने का संकल्प लिया। रतलाम में विगत 2 माह में पांचवीं, सागर समुदाय में दो वर्ष में चौथी व बंधु बेलड़ी परिवार में 128वीं दीक्षा है। हजारों की संख्या में देश के विभिन्न प्रांतों व मालवा अंचल से पहुंचे समाजजन इस ऐतिहासिक प्रसंग के साक्षी बने।
दीनदयाल नगर स्थित आचार्य देव श्री जिनचंद्र सागर सूरी विरति वाटिका आगमोद्धारक नगरी में 12 दिवसीय दीक्षा महोत्सव बुधवार को उल्लास के साथ संपन्न हो गया। बंधु त्रिपुटी आचार्य अशोक-जिन-हेमचंद्र सागर सूरीश्वरजी के शुभाशीष से दीक्षार्थी गणिवर्यश्री की निश्रा में चल समारोह के साथ नाचते-झूमते दीक्षा स्थल पहुंचे। माता-पिता प्रवीण-कविता पालरेचा व स्वजन दीक्षा उपकरण से सुसज्जित छाप लेकर चल रहे थे। शुभ मुहूर्त में दीक्षा विधि प्रारंभ हुई। करीब 5 घंटे से अधिक समय तक परमात्मा के समक्ष दीक्षा विधि चली। परंपरानुसार गुरु भगवंत को पालरेचा परिवार ने प्रवज्या भेंट की। लाभार्थी मातुश्री दौलतबाई आनंदीलाल लुनिया परिवार व स्वजन ने दीक्षार्थी को विजय तिलक लगाकर संयम पथ दिग्विजयी होने की मंगल कामना की।
जैसे ही मुमुक्षु संयम को प्रवज्या प्रदान करने की शुभ मंगल घड़ी आई, वैसे ही वे उत्साह और उमंग से भरे दीक्षा वातावरण में परमात्मा के समक्ष झूम उठे। आंखों में खुशी के आंसू और अंतर में संयम जीवन के प्रति अहोभाव संजोय संयम भाई गुरु भगवंत के समक्ष प्रवज्या प्रदान करने की विनती लेकर पहुंचे। उन्हें मंगल मुहूर्त में परमानंदी प्रवज्या प्रदान की गई। हाथों में प्रवज्या थामे मुमुक्षु संयम भाई ने परमात्मा की परिक्रमा करते हुए सम्यक्त्व के पराक्रम को अभिव्यक्ति दी। हाथों में केसरिया धर्म पताकाएं थामे उपस्थित जनमेदनी ने दीक्षार्थी के जयघोष से विरति वाटिका को गूंजा दिया। अक्षत से उन्हें वधाया गया।
प्रवज्या प्राप्त करने के बाद वे संयम वेश धारण कर दीक्षा स्थल पर पहुंचे। विधि-विधान से नियत क्रियाएं संपन्न कराई गई। नूतन मुनि के रूप में उनके गुरु ने उनका नामकरण सिद्धर्षिचंद्र सागरजी किया। इसकी उद्घोषणा सांसारिक पिता प्रवीण पालरेचा ने की। नूतन मुनिराज की नाम पट्टिका का अनावरण करतल ध्वनि ने साथ किया गया।
साधु जीवन अंगीकार कर नूतन मुनि बने सिद्धर्षिचंद्रसागरजी गुरुवार को संयम जीवन की पहली सुबह में पहली बार अपने सांसारिक निवास काटजू नगर पर पगलिये करने जाएंगे। सुबह गुरु भगवंत की निश्रा में श्रमण-श्रमणी वृंद के साथ वे दीक्षा स्थल से विहार कर काटजू नगर आएंगे। यहां उनके दर्शन-वंदन के साथ व्याख्यान होंगे। इसके बाद शाम को वे श्री करमचंद उपाश्रय हनुमान रुंडी के लिए प्रथम विहार करेंगे।
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दूषित पानी पीने से एक साथ 76 लोग बीमार, 1 युवक की मौत पर मचा हड़कंप, अलर्ट मोड पर रखीं 3 जिलों की एम्बुलेंस
भिंड। मध्य प्रदेश के भिंड जिले से बड़ी खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि यहां दूषित पानी पीने से अबतक करीब 76 लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए हैं। सभी बीमारों को उल्टी-दस्त की शिकायत बताई जा रही है। जानकारी ये भी सामने आई है कि, बीमारी से ग्रस्त एक युवक की मौत हो गई है, जबकि 3 गंभीर घायलों को इलाज के लिए ग्वालियर रेफर किया गया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग ने भिंड के साथ साथ ग्वालियर और मुरैना जिले की करीब 11 एम्बुलेंस अलर्ट मोड पर रखी हुई है। जबकि, 4 एम्बुलेंसों को मुरैना से भिंड के जिला अस्पताल बुलाकर स्टेंड बाय पर रख लिया है। जबकि 4 एम्बुलेंस भिंड जिला अस्पताल के पास भी मौजूद हैं।
बताया जा रहा है कि ये हैरानकर देने वाला घटनाक्रम जिले के फूप कस्बे का है, जहां बिजली के नए पोल लगाए जा रहे हैं। ये पोल्स नाली के नजदीक गाढ़े जा रहे हैं। इसके लिए मशीनो का इस्तेमाल किया जा रहा है। काम के दौरान पेयजल सप्लाई लाइन टूट गई, जिसमें भारी मात्रा में पानी मिल गया और यही दूषित पानी लोगों के घरों में पहुंच रहा है। सोमवार से यहां के वार्ड नंबर 5, 6 और 7 में मौजूद घरों में दूषित पानी पहुंचा। जिसे पीने के बाद उल्टी-दस्त से अब तक 76 मरीज बीमार हो चुके हैं। सोमवार रात मरीजों की संख्या 52 थी, जबकि मंगलवार को 24 नए मरीज सामने आए। इनमें 3 लोगों को नाजुक हालत में ग्वालियर जिला अस्पताल रेफर किया गया है, देर रात एक मरीज की मौत हो गई है।
इलाके के हालात ये हैं कि मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिसे लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है। आनन-फानन अफसरों को मामले पर पैनी नजर बनाए रखने के आदेश दिए गए। स्वास्थ्य विभाग की टीम फूप के तीनों वार्डों को अपने ऑब्जरवेशन में रखे हुए है। मंगलवार रात वार्ड 7 के निवासी 79 वर्षीय बैजनाथ की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि अन्य बीमारों की तरह उल्टी-दस्त से ग्रस्त होकर वो सोमवार को फूप के अस्पताल में भर्ती हुए थे।
मामले को लेकर फूप बीएमओ सिद्धार्थ चौहान ने बताया कि फिलहाल हालात लगभग काबू में हैं। दूषित पानी के कारण ये समस्या बनी है। वहीं, कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि फूप में उल्टी-दस्त के मरीज बढ़े हैं। हालात पर काबू पा लिया गया है। मरीजों का उचित उपचार कराया जा रहा है। एक मरीज की मौत हुई है। मरीज अन्य बीमारियों से भी ग्रस्त था।
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सड़क किनारे प्याज फेंकने को मजबूर किसान, नहीं मिल रहा सही मूल्य
राजगढ़। जिले के ब्यावरा में कभी किसानों की किस्मत चमकाने में अहम भूमिका रखने वाले तो कभी सरकार बदलने में अहम रोल करने वाले प्याज अब रोड पर फेंके जा रहे हैं। जिलेभर में प्याज खराब होने की सूचनाएं मिल रही हैं। बुधवार को भोपाल ब्यावर फोरलेन के बीच नरसिंहगढ़ ब्यावरा के हिस्से में कई जगह प्याज फेंकी हुई मिली खराब हो चुकी प्याज को लोग रोड किनारे फेंक रहे हैं।
खराब हो चुकी और सड़ चुकी प्याज को सिर्फ फेंकना ही एक माध्यम रह जाता है। बारिश में इसके और अधिक खराब होने की संभावना रहती है, इसलिए किसान या कारोबारी इसे बाहर फेंकना चाहते हैं। जगह-जगह प्याज के ढेर अब मिल रहे हैं। कुछ लोग इन्हें रोडियों में डाल रहे हैं तो कुछ अन्य जगह फेंक रहे हैं। किसानों सहित कुछ कारोबारी ने अच्छे मुनाफे की उम्मीद से तैयार हो चुकी प्याज को खरीदकर सहेज लिया लेकिन अब उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है। इधर किसानों ने भी पिछले साल अच्छे भाव की उम्मीद में भरपूर पैदावार की, अच्छे रकबे में प्याज रही लेकिन अब इसकी दशा देखकर रब्बा कम होने की संभावना नजर आ रही है।
अच्छे भाव की उम्मीद से संग्रह कर रखे गए प्याज को महज 2 से 18 रुपए किलो भाव मिल रहे हैं। जिससे लागत मूल्य निकल पाना भी मुश्किल हो रहा है। कारोबारी ने इसी दाम में प्याज खरीदी थी, अब इसी दाम में उसे बेचने की बजाए फेंकना पड़ रहा है। नरसिंहगढ़ मंडी के अनुसार वर्तमान में दो से 18 रुपए किलो का ही भाव चल रहा है। इससे पहले भाव 30 रु. किलो तक पहुंच गया था लेकिन पिछले माह ही या काम हो गया।
गर्मी को और तीखी धूप के कारण कमरों में पंखों के नीचे रखें प्याज में अचानक से नमी बैठ गई या नमी धीरे-धीरे बढ़ती गई और प्याज में सडन पकड़ ली। जिसके चलते वह खराब होने लगी। उसमें फफूंद आ गई, धीरे-धीरे वह बदबू मारने लगी फिर उसे फेंकना ही एक मजबूरी रह गया। ज्यादा दिन घर में रखने से उसमें स्थाई रूप से बदबू रह सकती है इसलिए किसान और संग्रहकर्ता उसे फेंकने पर ही विश्वास कर रहे हैं।
प्याज को अतिरिक्त सुविधा के साथ-सहेज कर रखना पड़ता है। कई बार काफी सावधानियां बरतने के बावजूद इसमें नमी आ जाती है कई बार मौसम का असर भी रहता है। इस बार लगभग बढ़ने की उम्मीद है।