


बालाघाट। मध्यप्रदेश के बालाघाट में हिंदुओं के आस्था के साथ खिलवाड़ का मामला सामने आया है। किसी विधर्मी ने भगवान शिवलिंग के ऊपर मटन का ग्रेवी (रस) डाल दिया। इतना ही नहीं जलपात्र (मटकी) में मटन का टुकड़ा भी मिला है। इसकी खबर लगते ही हड़कंप मच गया। हिंदुवादी संगठनों में जबरदस्त आक्रोश है। मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। फिलहाल पुलिस सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर मामले की जांच में जुट गई।
दरअसल घटना कोतवाली थाना क्षेत्र के गर्रा शंकरघाट की है, जहां आज सुबह लोग पूजा करने पहुंचे तो देखा कि शिवलिंग पर मटर का ग्रेवी डला हुआ था। जलपात्र (मटकी) में मटन का टुकड़ा भी मिला है। श्रद्धालुओं ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है।
वीडियो वायरल होने के बाद स्थानीय लोगों के साथ हिंदुओं में जबरदस्त आक्रोश है। बवाल मचने के बाद पुलिस CCTV फुटेज खंगाल रही। पुलिस आरोपियों की तलाश में जुट गई है। आशंका जताई जा रही है कि पिकनिक मनाने आए विधर्मियों द्वारा हिंदू आस्था को ठेस पहुंचाने यह हरकत की गई होगी। फिलहाल मामले को लेकर कोतवाली पुलिस जांच में जुटी है।
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सुरक्षा को लेकर हाई कोर्ट सख्त, मकर संक्रांति से पहले इन 14 जिलों में चाइनीज मांझा बैन
मकर संक्रांति आने में कुछ ही दिन बचे हैं। बाजारों में पतंगों की दुकानें सज चुकी हैं, बच्चों की आंखों में उत्साह है, और छतों पर उड़ती पतंगों की कल्पना से ही त्योहार की रौनक महसूस होने लगती है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में चाइनीज मांझे से हुए दर्दनाक हादसों ने इस खुशियों भरे त्योहार पर एक काली छाया डाल दी।
इंदौर में एक नाबालिग बच्चे की गर्दन कटने से मौत, खजराना में एक व्यक्ति का अंगूठा कटने जैसी घटनाओं ने हाई कोर्ट को झकझोर दिया। लगातार बढ़ते हादसों को देखते हुए इंदौर हाई कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाते हुए बड़े स्तर पर कार्रवाई की है और प्रदेश के 14 जिलों में चाइनीज मांझे की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन पर अब कड़ी निगरानी की जिम्मेदारी आ गई है, जिससे कि त्योहार किसी और मासूम की जान न ले।
मकर संक्रांति से पहले इंदौर और आसपास के क्षेत्रों में चाइनीज मांझे से लगातार हादसे बढ़ने लगे थे। कनाडिया थाना क्षेत्र में एक नाबालिग बच्चे की चाइनीज मांझे से गर्दन कटने से मौत ने पूरे शहर को हिला दिया। यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि चेतावनी थी कि त्योहार की भीड़ में किसी भी दिन बड़ा नुकसान हो सकता है।
इसी बीच खजराना थाना इलाके में एक व्यक्ति का चाइनीज मांझे में पैर उलझ गया और उसका अंगूठा कट गया। शहर के अन्य क्षेत्रों से भी इसी तरह की घटनाओं की रिपोर्ट आने लगी। ये घटनाएँ हाई कोर्ट के ध्यान में आईं और कोर्ट ने बिना किसी शिकायत का इंतज़ार किए स्वत: संज्ञान लिया। यह कदम बताता है कि अदालत इस मुद्दे को कितना गंभीर मानती है।
सुनवाई के दौरान पीठ ने साफ कहा चाइनीज मांझा खुलेआम बिक रहा है और प्रशासन सिर्फ कागजों में कार्रवाई दिखा रहा है। वास्तविकता में ग्राउंड पर स्थिति अलग है। कोर्ट ने साफ पूछा कि जब इसके कारण लगातार हादसे हो रहे हैं, तब अधिकारी कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे? कोर्ट की टिप्पणी ने प्रशासन की जिम्मेदारी को और ज्यादा केंद्रित कर दिया।
सरकारी उप महाधिवक्ता सुदीप भार्गव ने कोर्ट को बताया कि चाइनीज मांझे पर पहले ही प्रतिबंध का आदेश जारी किया जा चुका है, और पुलिस अभियान चलाकर कार्रवाई भी कर रही है। लेकिन अदालत ने इस पर संतोष नहीं जताया और साफ निर्देश दिए कि प्रतिबंध कागजों में नहीं, जमीन पर दिखना चाहिए।
जिन 14 जिलों में चाइनीज मांझा पूरी तरह बैन हुआ है
इंदौर
देवास
उज्जैन
रतलाम
नीमच
मंदसौर
आगर मालवा
शाजापुर
राजगढ़
धार
झाबुआ
अलीराजपुर
खरगोन
बड़वानी
हाई कोर्ट ने प्रशासन को निर्देश दिया है कि बाजारों में नियमित निरीक्षण किया जाए। जहां-जहां पतंग और मांझा बिकता है, राजवाड़ा, सियागंज, मालवायुक्ति, राऊ, खजराना जैसे बड़े बाजारों में विशेष टीमें निगरानी करेंगी। दुकानदारों से स्टॉक की जानकारी ली जाएगी। पुराने स्टॉक में चाइनीज मांझा छिपा कर रखने वालों पर केस दर्ज किया जाएगा। पैकेजिंग बदलकर बेचने वालों पर भी कार्रवाई तय है।
चाइनीज मांझा सिर्फ एक पतंग की डोर नहीं, बल्कि अत्यंत तीखी, मजबूत और घातक धातु-लेपित नायलॉन की डोर होती है। भारत में कानूनी मांझा सूती धागे पर आधारित होता है, जबकि चाइनीज मांझा नायलॉन, सिंथेटिक फाइबर, ग्लास पाउडर, धातु के महीन टुकड़े से बनाया जाता है। यह गर्दन, हाथ और चेहरे को बेहद आसानी से काट देता है। दोपहिया वाहन सवार इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। 2021-2024 के बीच देशभर में चाइनीज मांझे से 200 से ज्यादा मौतें और 500 से अधिक गंभीर चोटें दर्ज हुई थीं। हाई कोर्ट हमेशा से इस सामग्री को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा मानता आया है। अब 2025 में हादसे फिर बढ़ने लगे, इसलिए अदालत को सख्ती दिखाना जरूरी लगा।
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झोलाछाप डॉक्टरों पर बड़ी कार्रवाई, मचा हड़कंप, कई लोग क्लीनिक छोड़कर भागे
श्योपुर। मध्य प्रदेश के श्योपुर में झोलाछाप डॉक्टरों पर शुक्रवार को ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई। CMHO की रेड से कई लोग डरकर अपनी क्लिनिक छोड़कर फरार हो गए। इस दौरान एक शख्स ने स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई भी रोकने की कोशिश की।
दरअसल, काफी दिनों से झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ लोगों की जान से खिलवाड़ करने की शिकायत सामने आ रही थी। जिसके बाद सीएमएचओ डॉ. दिलीप सिंह सिकरवार कार्रवाई करने के लिए पहुंचे तो उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं सीएमएचओ के साथ मुंहवाद करते हुए कार्रवाई करने से भी रोक दिया। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने इसका वीडियो बना लिया जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
मंदसौर। नाहरगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम हिंगोरिया बड़ा में 17 व 18 जुलाई की दरमियानी रात में भाजपा के मंडल उपाध्यक्ष श्यामलाल पुत्र दौलतराम धाकड़ की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने कई एंगल से जांच की पर कोई सिरा हाथ नहीं लग रहा था।
एसपी विनोद कुमार मीना ने बताया कि जांच में पाया कि मृतक श्यामलाल धाकड़ का गांव की एक महिला से संपर्क था। स्वजन को मृतक श्यामलाल धाकड़ द्वारा अपने नाम की रजिस्टर्ड जमीन व घर महिला के नाम करने का डर भी था। वहीं समाज में बदनामी का डर भी सता रहा था। इसी कारण मृतक के पिता दौलतराम धाकड़ ने गोपाल धाकड़, रंगलाल बाछड़ा, सुमित बाछड़ा, अटलू बाछड़ा के साथ मिलकर बेटे श्यामलाल को कुल्हाडी व चाकू से मारने की योजना बनाई।
दौलतराम धाकड़ ने रंगलाल बाछड़ा, सुमित बाछड़ा, अटलु बाछड़ा को श्यामलाल धाकड़ की हत्या के लिए 5 लाख रुपये भी दिए थे। 17 व 18 जुलाई की दरमियानी रात में को सुमित और अटलू अपनी-अपनी मोटर साईकिल से राती तलाई से हिंगोरिया बड़ा पहुंचे। यहां मोटरसाईकिल दौलतराम धाकड़ के घर से थोड़ी दूर गली में खड़ी कर दौलतराम के घर पहुंचे।
यहां से बताए अनुसार सीढ़ियों के रास्ते श्यामलाल के कमरे में पहुंचे। श्यामलाल पलंग पर सोया था। आरोपित सुमित, रंगलाल व अटलु ने कुल्हाड़ी व चाकू से श्यामलाल की गर्दन व शरीर पर कई बार वार कर हत्या कर दी।
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महिला को आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का डर दिखाकर किया ‘Digital Arrest’,30 लाख की ठगी
इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर के एरोड्रम थाना क्षेत्र में बड़ी ठगी की वारदात सामने आई है, जम्मू का एसपी बनकर वृद्ध महिला को साइबर अपराधी ने डिजिटल अरेस्ट किया और 30 लाख रुपए खातों में ट्रांसफर करवा लिए। जब वृद्ध महिला का दामाद और बेटी उससे मिलने पहुंचे तो इस पूरी घटना का खुलासा हुआ।
एरोड्रम थाना क्षेत्र में रहने वाली एक वृद्ध महिला साइबर ठगों का शिकार हो गई, खुद को जम्मू-कश्मीर पुलिस का एसपी बताने वाले बदमाश ने महिला को डिजिटल अरेस्ट में रखकर उससे करीब 30 लाख रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर करवा लिए। जानकारी के अनुसार आरोपी ने महिला को फोन कर बताया कि उसका नाम एक आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग केस में आया है, इसी बहाने उसे घंटों कॉल पर रोके रखा और डराकर अलग-अलग दिनों में महिला के बैंक खातों से कई ट्रांजैक्शन करवाए।
मामला तब खुला जब महिला की बेटी और दामाद घर पहुंचे, संदिग्ध गतिविधि पर उन्हें शक हुआ और पूछताछ में पूरी घटना सामने आई। इसके बाद पीड़िता ने एरोड्रम थाना पुलिस को शिकायत दर्ज करवाई है, पुलिस साइबर ठगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर जांच में जुट गई है।
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पुलिसवाले ने ली ‘5 हजार’ की रिश्वत, SP ने किया निलंबित
अलीराजपुर। मध्यप्रदेश में रिश्वतखोरी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। आए दिन कोई न कोई अफसर या कर्मचारी रिश्वत लेते लोकायुक्त के हत्थे चढ़ता है। ऐसा ही मामला आलीराजपुर जिले से सामने आया है। यहां पर बीते दिनों चौकी उमराली के कार्यवाहक प्रधान आरक्षक मनोहर जाटव रिश्वत लेते वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें वह एक युवक से रिश्वत लेते नजर आ रहे थे।
जानकारी के अनुसार, फरियादी के द्वारा प्रधान आरक्षक को एक युवक की गुमशुदगी की एफआईआर दर्ज कराई थी। युवक एफआईआर के 2-3 दिन बाद ही घर वापस लौट आया था। परिजनों ने इसकी जानकारी चौकी में दे दी थी, लेकिन प्रधान आरक्षक के द्वारा एफआईआर बंद करने की एवज में 5 हजार रुपए की रिश्वत ली गई थी।
जैसे ही वीडियो आलीराजपुर एसपी तक पहुंचा। उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते तुरंत ही मनोहर जाटव को निलंबित कर दिया है। उन्हें चौकी उमराली से हटाकर रक्षित केंद्र आलीराजपुर से संबद्ध किया गया है।
गुरुवार को प्रदेश के अलग-अलग जिलों में लोकायुक्त ने कार्रवाई करते हुए 5 और रिश्वतखोरों को पकड़ा था।
विदिशा जिले के गंजबासौदा से उपयंत्री को राम गोपाल यादव के द्वारा 30 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था। उसके द्वारा सीसी सड़क निर्माण के मूल्यांकन की एवज में 40 हजार रुपए की रिश्वत मांगी जा रही थी।
शिवपुरी में अपर कलेक्टर कार्यालय के स्टेनो को पांच हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। आरोपी स्टोनो के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन)2018 की धारा-7 के अंतर्गत कार्रवाई की जा रही है।
झाबुआ जनजतीय विभाग में पदस्थ लेखापाल जामसिंह अमलियार को लोकायुक्त ने 14,500 की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया है। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन)2018 की धारा-7 के अंतर्गत कार्रवाई की जा रही है।
नरसिंहपुर में लोकायुक्त जबलपुर की टीम ने सहकारिता निरीक्षक (कॉपरेटिव इंस्पेक्टर) संजय दुबे को 3 हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा है। सहकारिता निरीक्षक संजय दुबे के खिलाफ 8 दिसंबर को लोकायुक्त कार्यालय जबलपुर में रिश्वत मांगने की शिकायत दर्ज कराई गई थी।
बालाघाट में भी जबलपुर लोकायुक्त की टीम ने तहसील कार्यालय बिरसा में पदस्थ बाबू राजकुमार रामटेके को 3 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है। रिश्वतखोर बाबू राजकुमार रामटेके के खिलाफ संतोष ढेकवार नाम के युवक ने लोकायुक्त कार्यालय जबलपुर में रिश्वत मांगने की शिकायत दर्ज कराई थी।
लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में किसी भी प्रकार की हड़ताल पर अगले छह महीनों के लिए रोक लगाने का बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने आवश्यक सेवाओं को बिना बाधा जारी रखने के लिए एस्मा लागू कर दिया है.
नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने इसकी अधिसूचना सभी विभागों और संस्थानों को भेज दी है. आदेश के अनुसार अब राज्य सरकार के सभी दफ्तरों, शहरी निकायों, निगमों, बोर्डों, प्राधिकरणों और सरकारी कंपनियों पर यह नियम पूरी तरह लागू रहेगा. किसी कर्मचारी या संगठन द्वारा हड़ताल करने या हड़ताल के लिए उकसाने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है. एस्मा के तहत दोषी पाए जाने पर छह महीने तक की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
हाल ही में बिजली विभाग के कर्मचारियों और शिक्षक संगठनों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर बड़े स्तर पर हड़ताल की चेतावनी दी थी. ऐसे में सरकार को आशंका थी कि इसके चलते प्रदेश की महत्वपूर्ण सेवाएँ ठप हो सकती हैं. इसके अलावा जल्द ही त्योहारी सीजन, विधानसभा सत्र और कई विकास परियोजनाओं की समयसीमा नज़दीक है. इन कारणों से सरकार ने स्थिति बिगडऩे से पहले ही सख्त कदम उठाते हुए हड़ताल पर पूर्ण रोक लगाने का निर्णय लिया. अधिकारियों का मानना है कि अगर अभी नियंत्रण नहीं किया गया तो आम जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता था.
सरकार का साफ कहना है कि जनहित पहले है और किसी भी तरह की बाधा सेवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित करती है. स्वास्थ्य, बिजली, पानी, परिवहन और प्रशासनिक कार्यों में रुकावट आने से करोड़ों लोगों की दिनचर्या प्रभावित होती है. इसलिए एस्मा के दायरे में आने वाले लाखों सरकारी कर्मचारी अब अगले छह महीनों तक किसी तरह का प्रदर्शन या काम बंदी नहीं कर पाएंगे. हालांकि कई कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इस फैसले पर असंतोष जताया है और आगे की रणनीति पर विचार कर रहे हैं. उनका कहना है कि उनकी जायज़ मांगों पर बातचीत होनी चाहिए, न कि सीधे प्रतिबंध लगा दिया जाए.
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देशभर के बैंकों का बड़ा फैसला, ऑनलाइन फ्रॉड से बचाने के लिए बदला वेरिफिकेशन का नियम
देशभर के बैंकों ने एक बड़ा फैसला किया है, जिसके तहत वेरिफिकेशन का नियम बदला गया है. नए फैसले के अनुसार, अब बैंक अकाउंट होल्डर्स की वेरिफिकेशन ऑनलाइन की बजाय बैंक में फिजिकली होगी, यानी अब ऑनलाइन अप्लाई करके बैंक खुलवाने वालों को भी बैंक में आकर फिजिकल वेरिफिकेशन करानी होगी या रिलेशनशिप मैनेजर खाताधारक को बैंक बुलाकर वेरिफिकेशन करेंगे या खाताधारक के घर जाकर वेरिफिकेशन करेंगे.
बैंकों ने अकाउंट होल्डर की आइडेंटिटी चोरी होने और फर्जी खाते खोलने के बढ़ते मामलों को देखते हुए वेरिफिकेशन का नियम बदला है. ऑनलाइन से फिजिकल वेरिफिकेशन का नियम लागू होने से डिजिटल बैंकिंग सिस्टम पर असर पड़ेगा, लेकिन फर्जी खातों और धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के चलते डिजिटलाइजेशन से थोड़ा पीछे हटना ही पड़ेगा. वहीं अब ICICI बैंक, HDFC बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा आदि ने डिजिटलाइजेशन पर लगाम लगा दी है.
बता दें कि बैंकों ने अब अपने ग्राहकों से दस्तावेज जमा कराने और वेरिफिकेशन कराने के लिए बैंक की नजदीकी ब्रांच में जाने को कहना शुरू कर दिया है. बैंक अधिकारियों को भी ग्राहकों के पास वेरिफिकेशन करने के लिए भेजा जा रहा है. अगर बैंकों ने अकाउंट खोलते समय अपने ग्राहक को जानें (KYC) प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया तो बैंकों पर जुर्माना लगाया जा सकता है. ICICI बैंक ने इंस्टा-अकाउंट खोलने की सर्विस पूरी तरह बंद कर दी है. केवल सैलरी अकाउंट ही ऑनलाइन खोले जाते हैं, बाकी खातों के लिए बैंक अधिकारी ग्राहक के घर जाकर अकाउंट खोलता है.
ICICI बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा , बैंक ऑफ इंडिया और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के फर्जी खाते खुलने के कई मामले साल 2024 में सामने आए. इन खातों में धोखाधड़ी करके पैसा ट्रांसफर किया गया. धोखाधड़ी चलते इन बैंकों ने ऑनलाइन अकाउंट ओपनिंग सर्विस के नियम कड़े कर दिए. बैंक शाखाओं को निर्देश मिला है कि वे अपने दायरे में आने वाले इलाके में ही बैंक खाते खोलें. अन्य इलाकों के खाते खोलने के लिए वहां की संबंधित ब्रांच ही खोले. अभी तक बैंक बचत और चालू खाते ही टागरेट के तौर पर खोलते रहे हैं, लेकिन डिजिटल बैंकिंग से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों के कारण बचत खाता खोलने पर भी वेरिफिकेशन करना अनिवार्य हो गया है.
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राहुल गांधी ने संसद में उठाया दिल्ली प्रदूषण का मुद्दा, कहा-देश का भविष्य हो रहा बर्बाद, डिबेट की मांग
लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ने शुक्रवार को सदन में वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इस विषय पर विपक्ष ब्लेम गेम नहीं करेगा और सरकार के साथ मिलकर समाधान खोजने को तैयार है। राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से पूछा कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए उसका अगले 4–5 वर्षों का रोडमैप क्या है और अनुरोध किया कि इसे सदन के पटल पर पेश किया जाए।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, “हमारे अधिकांश बड़े शहर जहरीली हवा की चादर में लिपटे हुए हैं। लाखों बच्चे फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं, उनका भविष्य खतरे में है। लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे हैं और बुजुर्गों को सांस लेने में भारी दिक्कत हो रही है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है और मुझे पूरा विश्वास है कि इस पर सरकार और विपक्ष के बीच पूर्ण सहमति होगी। यह कोई वैचारिक विवाद का विषय नहीं है। सदन के सभी सदस्य मानेंगे कि वायु प्रदूषण और उससे होने वाले नुकसान से निपटने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा।”
राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा कि वायु प्रदूषण से निपटने का रास्ता निकाला जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि एक-दूसरे को दोष देने की बजाय सरकार और विपक्ष को मिलकर समाधान पर काम करना चाहिए। राहुल गांधी ने मांग की कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर हर शहर के लिए अलग-अलग प्रदूषण नियंत्रण प्लान तैयार करे। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस दिशा में पहल करने की अपील की। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि संसद में प्रदूषण के मुद्दे पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष आरोप-प्रत्यारोप से हटकर देशहित में एक ठोस और साझा योजना को अंतिम रूप दें।
राहुल गांधी ने कहा, “मुझे लगता है कि बेहतर यही होगा कि हम चर्चा को इस तरह आगे बढ़ाएँ कि न हम यह कहें कि सरकार ने क्या नहीं किया, और न ही सरकार यह कहे कि विपक्ष ने क्या नहीं किया। इसके बजाय हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि भविष्य में भारत के लोगों के लिए क्या किया जा सकता है और हमें कौन से कदम उठाने होंगे। इसलिए, मेरा मानना है कि यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या हम एक-दूसरे पर दोषारोपण किए बिना एक ऐसे मुद्दे पर जिस पर हम सभी सहमत हैं. भारत के लोगों के भविष्य और उनके हितों के बारे में सार्थक चर्चा कर सकते हैं।
राहुल गांधी के सुझाव पर प्रतिक्रिया देते हुए संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार वायु प्रदूषण के मुद्दे पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है और लोकसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमिटी इसके लिए समय निर्धारित कर सकती है। रिजिजू ने कहा, “राहुल गांधी द्वारा उठाया गया मुद्दा बिजनेस एडवाइजरी कमिटी के संज्ञान में लाया गया है। सरकार ने पहले दिन से ही यह स्पष्ट किया है कि वह विपक्ष के सुझावों को साथ लेकर सभी महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा करने और समाधान निकालने के लिए तैयार है। हम देखेंगे कि इस चर्चा को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है और इसे किस प्रकार व्यवस्थित किया जाए। सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है।”
भोपाल। राजधानी के हमीदिया अस्पताल में बुधवार तड़के दो नवजात शिशुओं के अधजले शव मिलने से पूरे परिसर में अफरा-तफरी मच गई। इस सनसनीखेज घटना ने अस्पताल की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अधिकारियों के अनुसार, पुरानी पानी की टंकी को लंबे समय से डस्टबिन की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था, जिसमें आग लगने के बाद शवों का पता चला। पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी है।
सुबह कचरे में लगी आग को बुझाने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने फायर ब्रिगेड को बुलाया। आग काबू में आने के बाद जब टंकी की जांच की गई, तो दो नवजात बच्चों के जले हुए शव दिखाई दिए। शवों पर जली हुई पन्नी और प्लास्टिक चिपकी मिली, जिससे संकेत मिलता है कि बच्चों को किसी तरह लपेटकर टंकी में फेंका गया था। पुलिस को घटना की जानकारी दोपहर करीब दो बजे दी गई।
पुलिस के अनुसार, एक नवजात लगभग 90% जला हुआ था, जबकि दूसरे का शरीर आंशिक रूप से जला मिला। पंचनामा कार्रवाई के बाद दोनों शव मॉर्चुरी भेजे गए। पांच डॉक्टरों की टीम पोस्टमॉर्टम कर रही है, जिससे यह स्पष्ट होगा कि नवजात पहले से मृत थे या आग में ही उनकी मृत्यु हुई।
टंकी से निकाले गए कचरे में अस्पताल में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक बेडशीट भी मिली। इससे पुलिस का मानना है कि, नवजातों को बेडशीट और पन्नी में लपेटकर फेंका गया और बाद में आग लगा दी गई। पुलिस ने डीएनए सैंपल सुरक्षित रखने और संबंधित रिकॉर्ड खंगालने के निर्देश दिए हैं।
टीआई केजी शुक्ला ने बताया कि, मॉर्चुरी के पास स्थित यह पुरानी टंकी लंबे समय से कचरे के लिए इस्तेमाल होती रही है। अस्पताल में बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था ठीक से नहीं थी और मॉर्चुरी के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की क्वालिटी भी खराब थी। फुटेज अस्पष्ट होने की वजह से घटना का तुरंत पता नहीं चल सका।
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धोखाधड़ी केस में भाजपा के बड़े नेता गिरफ्तार, दो साथी भी पकड़े गए
भोपाल। मध्य प्रदेश के सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी में पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहे भगत सिंह कुशवाहा को राजधानी भोपाल में गिरफ्तार किया गया है। बीते दिनों शहर के टीटी नगर थाने में दर्ज किए गए धोखाधड़ी के एक केस में उनकी गिरफ्तारी की गई है। आपको बता दें कि, भगत सिंह के साथ दो अन्य आरोपियों को भी पुलिस ने अरेस्ट किया है।
दरअसल टीटी नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाले अंजलि कॉम्प्लेक्स में स्थित कुशवाहा भवन को हड़पने के लिए कूटरचित दस्तावेज बनाए गए थे। इन्हीं के आधार पर 15 साल से कुशवाहा भवन पर कब्जा कर ऑफिस के साथ-साथ गर्ल्स हॉस्टल चला रहा था। मामले को लेकर एसीपी अंकिता खातेकर ने बताया कि, साल 2022 में भगत सिंह कुशवाह के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत मिली थी। दो साल मामले की जांच चलने के बाद 2024 में एफआईआर दर्ज की गई। इसी के बाद से पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी हुई थी।
इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल भानपुर के बेटे सीताराम कुशवाहा और मोहन कुशवाहा को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर कुशवाहा समाज को आवंटित भवन पर कब्जा जमाकर उसे निजी संपत्ति की तरह इस्तेमाल कर रहे थे।
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लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाईः अपर कलेक्टर का स्टेनो रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार
शिवपुरी। मध्यप्रदेश में भ्रष्ट सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ लोकायुक्त की कार्रवाई जारी है। इसके बाद बी रिशिवतखोरी के मामले कम नहीं हो रहे हैं। ताजा मामला प्रदेश के शिवपुरी जिले का है, जहां अपर कलेक्टर के स्टेनो को लोकायुक्त पुलिस की टीम ने 5 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। समाचार के लिखे जाने तक आरोपी के खिलाफ कार्रवाई जारी थी।
दरअसल अपर कलेक्टर दिनेशचंद्र शुक्ला का स्टेनो मोनू शर्मा को पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते लोकायुक्त की टीम ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। आरोपी कलेक्ट्रेट में अपर कलेक्टर कार्यालय में रिश्वत ले रहा था। उन्होंने जमीन के मामले में फरियादी से 15 हजार की रिश्वत मांगी थी। आरोपी गिरश्वत की पहली किस्त लेते लोकायुक्त के हत्थे चढ़ गया। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार के विभिन्न अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है।
भोपाल. एमपी की राजधानी भोपाल में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने बैंक ऑफ इंडिया जोन के दो कर्मचारियों व पांच खाताधारकों द्वारा किए गए संगठित बैंक धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज की है. यह धोखाधड़ी बैंक की कैटेगराइज्ड मार्केट ब्रांच, हमीदिया रोड, एमपी नगर, भेल एरिया, प्रोफेसर्स कॉलोनी, सैफिया कॉलेज सहित कुल सात से अधिक शाखाओं में वर्षों तक संचालित की जाती रही. इनके द्वारा 227 बचत खातों से लगभग 44.11 लाख की राशि निकाली गई है.
ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने बताया कि बैंक के दो कर्मचारियों ने पांच खाताधारकों की मिलीभगत से उन बचत खातों को निशाना बनाया जिनमें शासन की सामाजिक सुरक्षा पेंशन एवं राहत राशि जमा होती थी. आरोपी कर्मचारियों ने फिनैकल प्रणाली में अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर इन निष्क्रिय खातों को अवैध रूप से एक्टिव किया. जमा राशि को अपने परिचितों के खातों में स्थानांतरित किया तथा एटीएम कार्डों के माध्यम से नकद निकासी कर अवैध धनराशि को अपने बीच बांटते रहे.
शिकायत के अनुसार बैंक कर्मचारी दीपक जैन विशेष सहायक तथा अजय सिंह परिहार स्टाफ क्लर्क ने अपनी पदस्थापना का दुरुपयोग करते हुए सुनियोजित तरीके से इन खातों को फिनैकल सिस्टम की प्क् के दुरुपयोग कर बड़ी मात्रा में राशि का गबन किया. बैंक द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज, ट्रांजैक्शन विवरण, विजिलेंस रिपोर्ट, विभागीय कार्रवाई और प्रारंभिक जांच में यह भी पाया गया कि यह धोखाधड़ी तीन वर्षों से अधिक समय तक कई शाखाओं में लगातार चलती रही. बैंक की शिकायत पर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने जांच कीए शिकायत जांच में आरोप प्रथम दृष्टया सत्य पाए जाने पर इस प्रकरण में अपराध पंजीबद्ध किया है.
आरोपियों के बीच अवैध रूप से प्राप्त धनराशि का बंटवारा 70.30 के अनुपात में किया जाता था. यह धोखाधड़ी लगभग तीन वर्ष जनवरी 2016 से मार्च 2019 तक विभिन्न शाखाओं में चलती रही और कुल 227 बचत खातों से लगभग 44.11 लाख की राशि अवैध रूप से डेबिट की गई.
जांच में पाया गया कि बैंक नियमों के विपरीत जहां एक कर्मचारी एंट्री करता था तो दूसरा वेरीफाई करता था. इन्होंने अपनी पर्सनल आईडी का उपयोग कर एक.दूसरे के लेनदेन को सत्यापित किया. खाते सक्रिय होते ही उनकी जमा राशि को चार अन्य परिचित खाता धारक खुशबू खान, कल्पना जैन, ललिता ठाकुर व अफरोज खान के खातों में स्थानांतरण किया गया. इन सभी के एटीएम कार्ड आरोपी दीपक जैन के पास थे. जिसके माध्यम से नियमित रूप से नकद निकासी की जाती रही.
जांच के दौरान पाया गया कि बैंक कर्मचारियों की उन खातों में वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं जिनमें शासन की सामाजिक सुरक्षा पेंशन, राहत राशि तथा अन्य सरकारी सहायता जमा होती थी.
यह भी पाया गया कि 18 मार्च 2019 को सैफिया कॉलेज शाखा में एक महिला भगवती देवी ने अपने मृत पति के खाते से अवैध निकासी की शिकायत दर्ज कराई. शाखा प्रबंधक द्वारा आंतरिक जांच में पाया गया कि संदिग्ध लेनदेन अजय सिंह परिहार एवं दीपक जैन द्वारा किया है. इसके बाद मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया गया. जहां बैंक की विजिलेंस यूनिट एवं विभागीय जांच में बड़े पैमाने पर की गई अनियमितताएं उजागर हुईं. जांच के दौरान फिनैकल लॉग, ट्रांजैक्शन रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज, निकासी विवरण, ऑडिट ट्रेल एवं विभिन्न शाखाओं के रिकॉर्ड के विश्लेषण से आरोपियों की भूमिका उपयोग में लाई गई
जांच में आरोप सिद्ध होने पर 9 दिसंबर को ईओडब्ल्यू द्वारा आरोपी दीपक जैन, अजय सिंह परिहार, खुशबू खान, अफरोज खान, ललिता ठाकुर, कल्पना जैन, हेमलता जैन तथा अन्य संभावित व्यक्तियों के विरुद्ध धारा 420, 409, 120 बी सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है.
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लाखों रुपए की ठगी करने के मामले में , 6 युवक 13 युवतियां गिरफ्तार
शाजापुर। शाजापुर में स्टेट साइबर की टीम ने दबिश दी। लोगों को मोबाइल पर शेयर ट्रेडिंग की फर्जी एडवाइजरी लिंक देकर लाखों रुपए की ठगी करने के मामले में जांच की जा रही है। टीम द्वारा शाजापुर में स्थित मजार-ए-यूसुफी के पास स्थित एक भवन पर दबिश देकर 6 युवक एवं 13 युवतियों को पकड़ा। करीब 4 घंटे से ज्यादा चली कार्रवाई के दौरान किसी को भी अंदर प्रवेश नहीं दिया गया।
कार्रवाई पूरी होने के बाद स्टेट साइबर टीम की उप पुलिस अधीक्षक लीना मारोठ ने बताया कि लोगों को मोबाइल पर फर्जी एडवाइजरी की लिंक भेज कर लाखों रुपए की ठगी करने के मामले में लगातार इनपुट मिल रहा था। इसके चलते गुरुवार को स्टेट साइबर की टीम के साथ मिलकर शाजापुर पहुंचकर दबिश दी। इस दौरान टीम ने यूसुफ दरगाह के पास स्थित एक घर से कल 6 युवक एवं 13 युवतियों को पकड़ा है। उनके बैंक स्टेटमेंट की जांच की जा रही है।
प्रारंभिक तौर पर पता पूछताछ में लगा है कि इन लोगों के द्वारा प्रतिमाह 7 से 8 लख रुपए की राशि लोगों से जमा कराई गई है। हालांकि अभी आगामी कार्रवाई के बाद सबकुछ स्पष्ट हो सकता है। कार्रवाई के बाद टीम द्वारा सभी को अपने साथ लाई गई पुलिस बस में बैठाकर ले जाया गया। इस पूरी कार्रवाई के दौरान करीब आधा दर्जन से ज्यादा वाहन एवं दो दर्जन से ज्यादा स्टेट साइबर टीम का स्टॉफ मौजूद रहा।
बीतों दिनों एमपी के बालागाट जिले में व्हाट्सऐप पर भेजी जा रही नकली फाइलों के कारण लोगों के मोबाइल फोन हैक होने और बैंक खातों से राशि चोरी होने के कई मामले सामने आए हैं। साइबर सेल से मिली जानकारी के अनुसार अब तक 10 से 15 लोग इस जाल में फंस चुके हैं। इनमें से 3 से 4 पीडि़तों से लाखों रुपए की ठगी होने की पुष्टि हुई है। जबकि कई लोगों के मोबाइल और संदेश सेवा खाते नियंत्रित किए जाने के प्रमाण मिले हैं।
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बालाघाट में 29 लाख के इनामी नक्सली दीपक ने किया सरेंडर: साथी के साथ पहुंचा CRPF कैंप
बालाघाट। मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में पुलिस और सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। 29 लाख रुपये का इनामी हार्डकोर नक्सली दीपक ठाकुर उर्फ दीपक ने अपने एक साथी रोहित के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है। दोनों ने कोरका थाना क्षेत्र स्थित CRPF कैंप में पहुंचकर हथियार सहित सरेंडर किया।
दीपक ठाकुर बालाघाट जिले के पलारीगोंदी गांव का रहने वाला है। वह वर्ष 1995 से मलाजखंड दलम में सक्रिय था और कई बड़े नक्सली वारदातों में शामिल रहा। उसके सिर पर मध्य प्रदेश सरकार ने 25 लाख और छत्तीसगढ़ सरकार ने 4 लाख, कुल 29 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था।आत्मसमर्पण के दौरान दीपक के पास से एक इंसास रायफल, 3 मैगजीन और 40 जिंदा कारतूस बरामद किए गए हैं। उसके साथी रोहित ने भी हथियार डाल दिए।
बालाघाट पुलिस और CRPF की संयुक्त टीम लगातार नक्सलियों पर दबिश बना रही थी। सरेंडर पॉलिसी और परिवार से मिलने की चाहत के चलते दीपक ने हथियार डालने का फैसला किया। दोनों नक्सलियों को सरेंडर पॉलिसी के तहत पुनर्वास और सुरक्षा प्रदान की जाएगी।पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह सरेंडर बालाघाट-राजनांदगांव क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों को समाप्त करने की दिशा में बड़ी कामयाबी है।
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